
Happy
Eid
2024
Wishes
–
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:
Amar
Ujala
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कोई
दो
दिन
के
लिए
भी
अपना
घर
छोड़ता
है
तो
उसके
दिल
में
इसका
मलाल
और
अफसोस
समा
जाता
है।
अल्लाह
और
उसके
प्यारे
नबी
के
घर
और
मक्का
मदीना
की
गलियों
से
रुखसत
होना
ऐसा
है,
जैसे
कोई
अपना
जिस्म
ढोकर
साथ
ले
जाए
और
रूह
को
कहीं
छोड़कर
आ
जाए।
माह
ए
रमजान
के
मुकम्मल
होने
के
बाद
नमाज
ए
ईद
के
लिए
जब
हरम
शरीफ
जाकर
काबा
के
सामने
दुआओं
के
लिए
हाथ
उठाए
तो
अपने
मुल्क
की
तरक्की,
इसकी
कामयाबी,
यहां
अमन,
शांति
और
सुकून,
आपसे
सौहाद्र
और
भाईचारे
के
लिए
दुआएं
बरबस
ही
जुबान
पर
आ
गईं।
सफर
ए
उमराह
के
दौरान
जब
भी
दुआ
के
लिए
हाथ
उठते
थे
तो
अपने
लिए
मांगने
की
ख्वाहिश
नहीं
होती
थी,
क्योंकि
अल्लाह
ने
माह
ए
रमजान
के
मुबारक
महीने
में
अपने
घर
की
जियारत
का
मौका
देकर
हमें
वैसे
ही
नवाज
दिया
था।
इसलिए
दुआओ
में
सबकी
खैर,
सबकी
सेहत,
सबको
सुकून
और
कामयाबी
की
दुआएं
की
जाती
रहीं।
अंतरराष्ट्रीय
शायर
मंजर
भोपाली
और
सीनियर
सहाफी
डॉ.
मेहताब
आलम
ने
सफर
ए
उमराह
के
आखिरी
दिन
बुधवार
को
मक्का
में
हरम
शरीफ
के
आंगन
में
ईद
की
नमाज
अदा
की।
अपने
वतन
की
वापसी
के
लिए
चलने
से
पहले
उन्होंने
अमर
उजाला
से
खास
बातचीत
की।
इस
दौरान
मंजर
भोपाली
ने
कहा
कि
इरादे
रोज
बनते
हैं
और
बिगड़
जाते
हैं,
लेकिन
अल्लाह
के
इस
दरबार
में
नसीब
वाले
ही
पहुंच
पाते
हैं।
कई
बीमारियों
से
घिरे,
दर्जनों
परहेज
और
पचासों
पाबंदियों
के
बावजूद
इस
मुकद्दस
सफर
को
पूरा
कर
पाना
मंजर
खुद
के
लिए
नेमत
ए
खुदा
मानते
हैं।
उनके
साथ
उनकी
पत्नी
तबस्सुम
भी
इस
सफर
में
मौजूद
थीं।
ये
नजारा
रहेगा
सदा
याद
डॉ.
महताब
आलम
कहते
हैं
कि
ईद
की
नमाज
हरम
शरीफ
में
अदा
करने
की
ललक
में
हर
शख्स
मंजिल
की
तरफ
बढ़ता
नजर
आ
रहा
था।
वे
कहते
हैं
अल
सुबह
फजिर
की
नमाज
के
कुछ
देर
बाद
होने
वाली
ईद
की
नमाज
में
शामिल
होने
के
लिए
अधिकांश
लोग
देर
रात
से
ही
पहुंचने
लगे
थे।
तहज्जुद
की
नमाज़
अदा
करने
के
लिए
पहुंचे
लोगों
ने
अपनी
जगह
से
हटना
मुनासिब
नहीं
समझा।
वे
यहां
से
ईद
की
नमाज
अदा
करके
ही
उठे।
डॉ
महताब
आलम
बताते
हैं
कि
मक्का
शरीफ
में
हुई
ईद
की
नमाज
में
शामिल
होने
वाले
नमाजियों
की
तादाद
का
आंकलन
25
लाख
से
ज्यादा
लोगों
तक
किया
जा
रहा
है।
वे
बताते
हैं
कि
मक्का
शरीफ
के
हर
तरफ
कई
किलोमीटर
तक
लोग
मौजूद
थे।
काबा
शरीफ
परिसर
में
जगह
न
मिलने
से
इन
लोगों
ने
जहां
जगह
मिली,
वहीं
नमाज
अदा
कर
ली।
कुछ
दिन
रहेगी
बेरुखी
भोपाल
से
उमराह
सफर
पर
गए
कांग्रेस
विधायक
आरिफ
मसूद
कहते
हैं
कि
भौतिक
रूप
से
हम
वहां
से
लौट
आए
हैं
लेकिन
हमारी
रूह
अब
तक
मक्का
मदीना
की
गलियों
में
ही
सैर
कर
रही
है।
अपने
घर
का
सुकून
भी
उस
रूहानी
सफर
के
मंजर
को
दिल
से
ओझल
नहीं
होने
दे
रही
हैं।
(भोपाल
से
खान
आशु
की
रिपोर्ट)