50 साल बाद फिर चर्चा में आया कच्चातिवु द्वीप, आखिर चुनाव में BJP ने इसे क्यों बनाया मुद्दा?

50 साल बाद फिर चर्चा में आया कच्चातिवु द्वीप, आखिर चुनाव में BJP ने इसे क्यों बनाया मुद्दा?
50 साल बाद फिर चर्चा में आया कच्चातिवु द्वीप, आखिर चुनाव में BJP ने इसे क्यों बनाया मुद्दा?


कच्‍चात‍िवु
द्वीप
को
लेकर
भाजपा
कांग्रेस
पर
हमलावर
हैं.

भारत
और
श्रीलंका
के
बीच
एक
छोटा
सा
निर्जन
द्वीप
कच्चातिवु
इन
दिनों
सुर्खियों
बटोर
रहा
है.
पीएम
नरेंद्र
मोदी
ने
1974
में
इस
द्वीप
को
श्रीलंका
को
देने
के
लिए
कांग्रेस
पार्टी
की
आलोचना
की.
विदेश
मंत्री
एस
जयशंकर
ने
कहा
कि
पूर्व
प्रधानमंत्री
जवाहरलाल
नेहरू
कच्चातिवु
को
बिना
महत्व
के
एक
छोटे
द्वीप
के
रूप
में
देखते
थे.

कच्चातिवु
द्वीप
आजकल
चर्चा
में
है,
बीजेपी
लगातार
इस
द्वीप
का
मुद्दा
उठा
रही
है.
यह
पाक
जलडमरूमध्य
में
285
एकड़
का
द्वीप
है
जो
भारत
और
श्रीलंका
को
अलग
करता
है.
कच्चातिवु
भारतीय
तट
से
33
किलोमीटर
और
उत्तरी
श्रीलंका
में
जाफना
से
लगभग
62
किलोमीटर
दक्षिण
पश्चिम
में
है.
इसकी
लंबाई
1.6
किमी
और
चौड़ाई
300
मीटर
से
कुछ
अधिक
है.
1974
में
तत्कालीन
प्रधान
मंत्री
इंदिरा
गांधी
द्वारा
भारत-श्रीलंकाई
समुद्री
समझौते
पर
हस्ताक्षर
करने
के
बाद
कच्चातिवु
श्रीलंका
का
हिस्सा
बन
गया
था.

अब
क्यों
भड़का
कच्चातिवु
विवाद

विदेश
मंत्री
एस
जयशंकर
ने
कहा
कि
श्रीलंका
ने
6,184
भारतीय
मछुआरों
और
1175
जहाजों
को
हिरासत
में
लिया
है.
ऐसा
इसलिए
क्योंकि
भारत
ने
कच्चातिवु
को
श्रीलंका
को
सौंप
दिया
और
मछली
पकड़ने
का
अधिकार
छोड़
दिया.
इस
द्वीप
का
उपयोग
पारंपरिक
रूप
से
दोनों
देशों
के
मछुआरों
द्वारा
किया
जाता
था,
लेकिन
समझौते
के
बाद
से,
इस
क्षेत्र
में
जाने
वाले
भारतीय
मछुआरों
को
अक्सर
श्रीलंकाई
अधिकारियों
की
कार्रवाई
का
सामना
करना
पड़ता
है.
इनमें
से
अधिकतर
मछुआरे
तमिलनाडु
के
रहने
वाले
हैं.

DMK
ने
किया
था
विरोध

1974
में
तमिलनाडु
की
डीएमके
सरकार
ने
श्रीलंका
के
साथ
समझौते
पर
हस्ताक्षर
करने
से
पहले
उसके
नजरिए
पर
विचार

करने
के
लिए
कांग्रेस
का
विरोध
किया,
लेकिन
नतीजा
कुछ
नहीं
निकला.
अब
बीजेपी
ने
इस
मुद्दे
को
फिर
से
उठाया
है
और
कांग्रेस
और
डीएमके
को
आड़े
हाथों
लिया
है.

तो
50
साल
बाद
क्यों
हो
रहा
इस
मुद्दे
का
राजनीतिकरण?

50
साल
बाद
भी,
द्वीप
विवाद
तमिलनाडु
की
राजनीति
में
तूल
पकड़ता
जा
रहा
है.
ऐसा
इसलिए
है
क्योंकि
राज्य
के
मछुआरों
पर
हमले
तमिल
लोगों
के
मन
में
गहरी
भावना
पैदा
करते
हैं.
तमिलनाडु
में
13
जिले
हैं
इनमें
अधिकांश
मछुआरा
समुदाय
के
लोग
हैं.
बीजेपी
का
कहना
है
कि
कांग्रेस
और
डीएमके
ने
उन
मछुआरों
को
विफल
कर
दिया
है,
जिन्हें
कच्चातिवु
के
आसपास
के
पानी
में
मछली
पकड़ने
के
लिए
हिरासत
में
लिया
गया
है.

कांग्रेस
का
आरोप
है
कि
भाजपा
2024
के
आम
चुनाव
से
पहले
तमिलनाडु
में
ज्यादा
सीटें
जीतने
के
लिए
इस
द्वीप
के
बारे
में
बात
कर
रही
है,
जहां
उसके
पास
एक
भी
लोकसभा
सीट
नहीं
है.
कांग्रेस
नेताओं
का
यह
भी
तर्क
है
कि
सीमा
परिक्षेत्रों
के
आदान-प्रदान
के
लिए
बांग्लादेश
के
प्रति
मोदी
सरकार
के
मैत्रीपूर्ण
इशारों
के
समान,
कच्चातीवू
को
एक
मैत्रीपूर्ण
समझौते
के
हिस्से
के
रूप
में
श्रीलंका
को
दिया
गया
था.
लोकसभा
चुनाव
से
कुछ
दिन
पहले
कच्चातिवु
को
लेकर
राजनीति
गरमा
गई
है.
देखना
होगा
कि
चुनाव
में
इससे
किसे
लाभ
होगा.