
चौहान
चौक
पर
चुनावी
चौपाल
–
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:
अमर
उजाला
विस्तार
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बागपत
में
चौधराहट
की
जंग
साफ
दिखती
है।
जाट
समाज
मुखर
है।
आलोचनाओं
में
भी,
तो
पक्ष
लेने
में
भी।
चुनाव
की
चर्चा
छिड़ते
ही
वे
किसानों
की
परेशानियां
गिनाने
लगते
हैं।
पर,
किंतु-परंतु
के
साथ
ही
यह
भी
जाहिर
कर
देते
हैं
कि
यह
सीट
उनकी
नाक
का
सवाल
है।
उनके
बीच
से
कोई
संसद
जाएगा,
तो
वहां
किसानों
की
आवाज
उठाएगा।
‘अपने
बीच
का’
पर
जोर
देकर
वे
अपने
इरादे
स्पष्ट
कर
देते
हैं। वहीं,
समीकरणों
की
बिसात
पर
सबसे
ज्यादा
आबादी
वाले
मुस्लिम
खामोशी
से
सभी
समीकरणों
को
तौल
रहे
हैं।
सुबह
हम
मेरठ
के
रास्ते
बागपत
की
ओर
बढ़े।
मुख्य
मार्ग
से
गांवों
की
ओर
जाने
वाले
ज्यादातर
संपर्क
मार्ग
के
गेट
चौधरी
चरण
सिंह
के
नाम
पर
हैं।
सिवालखास
कस्बे
में
एक
चाय
की
दुकान
पर
नसीम
और
अजहरुद्दीन
मिले।
लोकसभा
चुनाव
की
चर्चा
छिड़ते
ही
वे
शिक्षा
और
चिकित्सा
व्यवस्था
का
मुद्दा
उठाते
हैं।
वे
कहते
हैं,
इन
दिशाओं
में
जो
काम
होने
चाहिए
थे,
नहीं
हुए।
हमें
इलाज
के
लिए
मेरठ
या
दिल्ली
जाना
पड़ता
है।
वहीं
अयूब
कहते
हैं,
मैं
तो
भाजपा
को
वोट
दूंगा।
बगल
में
खड़े
पंकज
चौधरी
इस
पर
संदेह
जताते
हैं,
तो
वह
तर्क
देते
हैं-जब
गुलाम
मोहम्मद
को
टिकट
मिला
था,
तो
जाट
बिरादरी
ने
विरोध
किया
था।
उस
वक्त
राजकुमार
सांगवान
ने
लोगों
को
समझाकर
विरोध
खत्म
कराया
था।
हम
उनका
अहसान
उतारेंगे।
यहां
से
हम
बागपत
कस्बे
की
ओर
निकल
पड़े।
कस्बे
में
चौहान
चौक
कुपेश्वर
मंदिर
के
पास
कुछ
लोग
ताश
के
पत्ते
फेंटते
हुए
दिखे।
चुनाव
का
माहौल
पूछते
ही
श्रीनिवास
चौहान
और
राकेश
चौहान
बताते
हैं
कि
उनके
परिवार
चौधरी
चरण
सिंह
के
साथ
रहे
हैं।
वहीं,
रणवीर
चौहान
कहते
हैं
कि
उन्हें
भाजपा
पसंद
है। क्यों?
इस
सवाल
पर
वह
कहते
हैं
कि
वह
हिंदुत्व
की
रक्षक
है।
कयूम
और
नसीरुद्दीन
भी
अन्य
लोगों
की
तरह
भाजपा
के
पक्ष
में
हां
में
हां
मिलाते
हैं।
इस
चौक
से
बाहर
निकल
मुख्य
मार्ग
पर
आते
ही
शकील
और
जावेद
मिलते
हैं।
ये
दोनों
दिल्ली
में
पढ़ाई
करते
हैं।
चुनाव
की
चर्चा
करते
ही
तपाक
से
बोले,
जो
भाजपा
को
हराएगा,
हम
उसके
साथ
हैं।
वजह
पूछने
पर
कभी
धर्म
तो
कभी
संविधान
का
हवाला
देते
हैं।
मतलब
साफ
है
कि
मुस्लिम
मतदाता
वेट
एंड
वाॅच
की
मुद्रा
में
है।
बागपत
शहर
से
बड़ौत
विधानसभा
क्षेत्र
के
सिसाना
गांव
पहुंचे
तो
हमारी
मुलाकात
रूप
सिंह
से
हुई।
वह
सरकारी
मुलाजिम
थे।
चुनावी
माहौल
पर
सवाल
करते
ही
कहते
हैं,
जाट
समाज
के
सामने
जयंत
की
इज्जत
का
सवाल
है।
यदि
भाजपा-रालोद
उम्मीदवार
को
कम
वोट
मिले
तो
इसका
संदेश
दूर
तक
जाएगा।
रालोद
का
कद
भाजपा
की
निगाह
में
कम
होगा।
कुछ
ऐसी
ही
बातें
खेड़की
की
रूपरानी
व
शांति
भी
करती
हैं।
पर,
डाॅ.
शमीम
का
अलग
तर्क
है।
वह
कहते
हैं,
जयंत
चौधरी
ने
भाजपा
का
साथ
पकड़
कर
किसानों
के
मुद्दे
को
भटका
दिया
है।
कई
इलाकों
में
जाट
समाज
के
लोग
नाराज
हैं।
नाराजगी
को
दूर
करने
के
लिए
रात-रात
भर
बैठकें
चल
रही
हैं।
वापसी
में
मलकपुर
चीनी
मिल
के
सामने
सोहनपाल
बुग्गी
से
जाते
मिले।
वह
कहते
हैं,
बसपा
ने
गुर्जर
नेता
दिया
है।
जब
सभी
अपनी
जाति
देख
रहे
हैं,
तो
हम
क्यों
न
देखें?
कुछ
ऐसा
ही
जवाब
युवा
राहुल
और
संदीप
भी
देते
हैं।
वे
कहते
हैं,
वोटों
का
बंटवारा
होगा।
दलित,
गुर्जर
और
मुसलमान
एक
हुए
तो
पासा
पलट
सकता
है।
विज्ञापन
यादव
वोट
बैंक
में
बंटवारा
मेरठ
से
बागपत
के
रास्ते
में
पूरा
महादेव
और
नवादा
गांव
पड़ते
हैं।
पूरा
महादेव
के
आसपास
के
करीब
15
गांव
यादव
बहुल
हैं।
इस
बार
यहां
के
यादव
मतदाता
दो
हिस्सों
में
बंटे
हैं।
दोपहर
के
वक्त
हम
नवादा
गांव
पहुंचे।
चुनावी
चर्चा
छिड़ते
ही
उदयवीर
सिंह
यादव
निजीकरण
को
कोसने
लगते
हैं।
कहते
हैं,
हमारा
वोट
तो
सपा
को
ही
जाएगा।
ओमपाल
यादव
भी
उनकी
हां
में
हां
मिलाते
हैं।
पर,
बुजुर्ग
अमरपाल
इस
बात
से
दुखी
हैं
कि
सपा
सिर्फ
परिवार
के
लोगों
को
ही
उम्मीदवार
बना
रही
है।
युवा
सिद्धार्थ
यादव
कहते
हैं,
हम
लंबे
समय
तक
सपा
में
रहे,
लेकिन
सुरक्षा
के
मुद्दे
पर
भाजपा
बेहतर
है।
इसलिए
इस
बार
मन
बदल
गया
है।
महिलाओं
को
कौन
पूछता
है
छपरौली
कस्बे
से
आगे
तिलवाड़ा
है।
यहां
हमारी
मुलाकात
धीमर
बिरादरी
की
महिलाओं
से
हुई।
वे
कहती
हैं,
कि
जयंत
फूल
की
ओर
चले
गए।
आप
सब
किधर
जाएंगी?
इस
सवाल
पर
वे
कहती
हैं,
हम
लोग
अब
साइकिल
या
हाथी
पर
मुहर
लगाएंगे।
साइकिल
या
हाथी?
इस
पर
वे
कहती
हैं,
अभी
तय
नहीं
किया
है।
क्यों?
इस
सवाल
पर
वे
कहती
हैं,
अभी
तक
हम
महिलाओं
को
किसी
ने
पूछा
नहीं
है।
पेंशन
से
लेकर
आवास
तक
का
इंतजाम
नहीं
हुआ
है।
सिलिंडर
कुछ
ही
लोगों
को
दिया
गया।
किसानों
का
मुद्दा
बड़ा,
पर
दिल
रालोद
के
साथ
शाम
के
वक्त
हम
बड़ौत
से
छपरौली
की
ओर
निकले।
रास्ते
में
जुगाड़
वाली
गाड़ियां
मिलती
हैं,
तो
कस्बे
में
हर
घर
के
सामने
बुग्गी।
घर-घर
गायें
और
भैंसें
बंधी
मिलती
हैं।
हम
छपरौली
के
उस
हाते
में
पहुंचे,
जहां
जयंत
चौधरी
ने
चौधरी
चरण
सिंह
और
अजित
सिंह
की
आवाजाही
की
परंपरा
कायम
रखी
है।
यहां
मिले
छपरौली
नगर
पंचायत
के
पूर्व
अध्यक्ष
खिलारी
सिंह
कहते
हैं,
चुनाव
तो
भाजपा
के
पक्ष
में
दिख
रहा
है,
लेकिन
सावधानी
रखनी
होगी।
एक-एक
वोट
की
निगरानी
जरूरी
हैै।
-
चौधरी
रणवीर
सिंह
चौबीसी
खाप
के
अध्यक्ष
हैं।
चुनावी
मुद्दों
पर
सवाल
करते
ही
कहते
हैं,
गन्ना
का
बकाया
भुगतान
बड़ी
समस्या
है।
इसके
लिए
सरकार
से
समिति
बनाने
की
मांग
की
जा
रही
है।
हवा
का
रुख
किधर
है?
इस
सवाल
के
जवाब
में
साफ-साफ
कहते
हैं,
राजकुमार
सांगवान
की
छवि
अच्छी
है।
उनकी
बात
को
चौधरी
अजयपाल
आगे
बढ़ाते
हुए
कहते
हैं,
हम
किसानों
के
मुद्दे
पर
लगातार
लड़
रहे
हैं।
पर,
यह
चुनाव
जाट
समाज
की
नाक
का
सवाल
है।
हमारा
प्रतिनिधि
लोकसभा
में
पहुंचेगा,
तो
संभव
है
कि
किसानों
की
समस्या
कम
हो। -
यहां
के
मतदाताओं
में
एक
तरह
का
डर
भी
दिखा।
यदि
यह
सीट
हारे
तो
संभव
है
कि
बागपत
अगली
बार
रालोद
के
कोटे
से
निकल
जाए।
थाने
के
सामने
मिले
रफीक
निजी
विद्यालय
में
पढ़ाते
हैं।
चुनावी
चर्चा
छिड़ते
ही
कहते
हैं,
हम
तो
भाजपा
का
विरोध
करेंगे।
जयंत
की
तारीफ
करते
हैं
और
यह
तर्क
भी
देते
हैं
कि
देर-सबेर
जयंत
भाजपा
से
अलग
होंगे।
वह
मोदी
की
रैली
में
जयंत
के
नहीं
पहुंचने
को
भी
अपनी
बात
से
जोड़ते
हैं।
ये
हैं
समर
के
योद्धा
राजकुमार
सांगवान,
रालोद
-
मेरठ
के
अपेड़ा
गांव
निवासी
डॉ.
राजकुमार
सांगवान
करीब
चार
दशक
से
चौधरी
परिवार
के
साथ
हैं।
यही
वजह
है
कि
पार्टी
ने
उन्हें
पारिवारिक
विरासत
वाली
सीट
सौंपी
है।
भाजपा
के
परंपरागत
वोटबैंक
को
लामबंद
रखने
की
चुनौती
है।
अमरपाल
शर्मा,
सपा
-
बसपा
और
कांग्रेस
से
होते
हुए
सपा
में
आए
अमरपाल
शर्मा
साहिबाबाद
से
2012
से
2017
तक
विधायक
रहे।
ब्राह्मण
समाज
से
हैं।
मुस्लिम
वोट
बैंक
पर
इनको
काफी
भरोसा
है।
प्रवीण
बैंसला,
बसपा
-
दिल्ली
हाईकोर्ट
में
वकालत
करने
वाले
प्रवीण
बैंसला
करीब
दो
दशक
से
बसपा
में
हैं।
गुर्जर
समाज
से
ताल्लुक
रखने
वाले
बैंसला
2015
में
दिल्ली
विधानसभा
का
भी
चुनाव
लड़
चुके
हैं।
स्थानीय
बनाम
बाहरी
की
हवा
रोकने
की
चुनौती
है।