

मेनका
गांधी
मेनका
गांधी
और
वरुण
गांधी
कांग्रेस
परिवार
से
अलग
क्यों
हैं…यह
सवाल
बहुत
पहले
से
बना
हुआ
है.
मगर
हाल
के
समय
में
इससे
भी
बड़ा
सवाल
ये
हो
गया
था
कि
क्या
गांधी
परिवार
एक
होने
जा
रहा
है.
क्या
मेनका
और
वरुण
गांधी
कांग्रेस
परिवार
के
साथ
हो
जाएंगे.
दरअसल,
ये
सवाल
तब
उठने
लगा
था
कि
जब
बीजेपी
ने
वरुण
गांधी
का
पीलीभीत
से
टिकट
काटा
था.
वहीं,
जब
वरुण
गांधी
की
मां
मेनका
से
ये
सवाल
पूछा
गया
कि
वरुण
गांधी
के
टिकट
कटने
के
बाद
कांग्रेस
नेताओं
के
बीच
ये
चर्चा
है
गांधी
परिवार
को
एक
हो
जाना
चाहिए…इसके
जवाब
में
मेनका
ने
कहा,
मैं
इस
कोई
टिप्पणी
नहीं
करूंगी.
मेनका
ने
इस
सवाल
को
यह
कहकर
टाल
दिया
कि
मैं
बीजेपी
में
हूं
और
यहां
बहुत
खुश
हूं.
वहीं
बेटे
को
लेकर
कहा
कि
चुनाव
के
बाद
देखते
हैं.
ये
भी
पढ़ें
#WATCH
|
Sultanpur,
UP:
On
Varun
Gandhi’s
ticket
being
denied,
BJP
MP
Maneka
Gandhi
says,
“…Let’s
see
after
the
elections,
there
is
still
a
long
time
to
go…I
am
in
the
BJP
and
I
am
very
happy
that
I
am
in
BJP”
pic.twitter.com/BLVoKhAMhk—
ANI
UP/Uttarakhand
(@ANINewsUP)
April
1,
2024
पीलीभीत
से
कटा
वरुण
गांधी
का
पत्ता
बता
दें
कि
मेनका
गांधी
सुल्तानपुर
से
बीजेपी
के
सांसद
हैं
और
पार्टी
ने
एक
बार
फिर
उन्हें
सुल्तानपुर
से
अपना
उम्मीदवार
बनाया
है.
2014
के
लोकसभा
चुनाव
में
मेनका
गांधी
पीलीभीत
से
सांसद
थीं.
वहीं,
2019
के
लोकसभा
चुनाव
में
बीजेपी
ने
उनके
बेटे
वरुण
गांधी
को
पीलीभीत
से
टिकट
दिया
था.
मगर
इस
बाद
वरुण
का
पत्ता
कट
गया.
बीजेपी
ने
इस
बार
वरुण
का
टिकट
जितिन
प्रसाद
को
टिकट
दिया
है.
वरुण
गांधी
को
लेकर
थीं
कई
अटकलें
ये
वही
जितिन
प्रसाद
हैं,
जो
कांग्रेस
से
बीजेपी
शामिल
हुए
थे.
बता
दें
कि
जितिन
प्रसाद
योगी
सरकार
में
मंत्री
हैं.
पीलीभीत
से
वरुण
गांधी
का
टिकट
कटने
के
बाद
कई
तरह
की
अटकलें
लगाई
जा
रही
थीं.
पहला
ये
कि
वो
निर्दलीय
चुनाव
लड़ेंगे.
दूसरा
ये
कि
वो
सपा
का
दामन
थाम
लेंगे.
तीसरा
ये
कि
वो
कांग्रेस
में
शामिल
हो
जाएंगे.
मैं
पीलीभीत
का
था,
हूं
और
रहूंगा
मगर
इन
सभी
अटकलों
पर
विराम
लग
गया
जब
वरुण
गांधी
की
ओर
से
ये
कहा
गया
कि
वो
इस
बार
लोकसभा
चुनाव
नहीं
लड़ेंगे.
इसके
बाद
उनकी
एक
चिट्ठी
आती
है.
इस
चिट्ठी
में
पीलीभीत
से
टिकट
कटने
का
दर्द
साफ
झलकता
है.
इस
चिट्ठी
में
वो
कहते
हैं
कि
पीलीभीत
से
मेरा
रिश्ता
अंतिम
सांस
तक
खत्म
नहीं
हो
सकता.
मैं
पीलीभीत
का
था,
हूं
और
रहूंगा.