

राहुल
गांधी,
मल्लिकार्जुन
खरगे,
अखिलेश
यादव
राजनीति
में
रिश्तों
के
मायने
बदलते
रहते
हैं.
कभी
जरूरत
के
हिसाब
से
तो
कभी
आपसी
संबंध
के
लिहाज
से.
वैसे
तो
यूपी
में
समाजवादी
पार्टी
और
कांग्रेस
का
गठबंधन
है,
लेकिन
दोनों
पार्टियों
के
बीच
कभी
गर्म
तो
कभी
नरम
रिश्ते
रहे
हैं.
एक
दौर
था
जब
नेताओं
को
तोड़ने
के
आरोप
में
गठबंधन
तक
टूट
की
कगार
पर
पहुंच
गया
था.
लखीमपुर
से
समाजवादी
पार्टी
के
सांसद
रहे
रवि
वर्मा
का
मामला
ऐसा
ही
है.
अखिलेश
यादव
का
साथ
छोड़कर
वे
कांग्रेस
में
चले
गए.
उन
दिनों
वे
समाजवादी
पार्टी
में
महासचिव
थे.
वे
खीरी
से
चुनाव
लड़ना
चाहते
थे.
समाजवादी
पार्टी
ने
मना
कर
दिया
तो
रवि
वर्मा
ने
पार्टी
बदल
ली.
बस
यहीं
बात
बिगड़
गई.
सीटों
के
बंटवारे
पर
बातचीत
शुरू
हुई
तो
समाजवादी
पार्टी
ने
उनके
नाम
पर
वीटो
कर
दिया.
अखिलेश
यादव
ने
किसी
भी
सूरत
में
खीरी
की
सीट
छोड़ने
से
मना
कर
दिया.
आखिरकार
समझौते
में
ये
सीट
समाजवादी
वार्ता
को
मिली.
अखिलेश
यादव
ने
यहां
से
उत्कर्ष
वर्मा
को
टिकट
दे
दिया
है.
कांग्रेस
के
पास
कोई
ढंग
का
उम्मीदवार
नहीं
बचा
गठबंधन
में
कांग्रेस
को
17
सीटें
मिली
हैं.
बाकी
63
सीटें
समाजवादी
पार्टी
को
मिल
गई
है.
कांग्रेस
ने
सीटें
अपने
बड़े
नेताओं
को
चुनाव
लड़ाने
के
हिसाब
से
ली
थीं.
लेकिन
कुछ
नेताओं
ने
चुनाव
लड़ने
से
ही
मना
कर
दिया.
प्रयागराज
की
सीट
समझौते
में
कांग्रेस
को
मिली
है.
तय
हुआ
था
कि
पूर्व
विधायक
अनुग्रह
नारायण
सिंह
यहां
से
उम्मीदवार
बनेंगे.
लेकिन
कुछ
निजी
कारणों
से
उन्होंने
हाथ
खड़े
कर
दिए.
अब
क्या
हो.
पार्टी
के
पास
उनके
अलावा
कोई
बड़ा
नेता
नहीं
बचा.
अब
कांग्रेस
से
कौन
चुनाव
लड़े.
पार्टी
के
पास
कोई
ढंग
का
उम्मीदवार
नहीं
बचा.
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अच्छे
उम्मीदवार
की
कांग्रेस
की
तलाश
उज्ज्वल
रमण
सिंह
पर
अटक
गई.
पर
वे
तो
समाजवादी
पार्टी
के
नेता
हैं.
फिर
क्या
किया
जाए.
इसी
दौरान
उज्ज्वल
के
पिता
रेवती
रमण
सिंह
को
लखनऊ
के
अस्पताल
में
भर्ती
होना
पड़ा.
रेवती
बाबू
समाजवादी
पार्टी
के
संस्थापक
सदस्य
रहे.
कई
बार
लोकसभा
और
फिर
राज्यसभा
के
सांसद
बने.
पिछले
कुछ
समय
से
वे
नाराज
चल
रहे
हैं.
रेवती
बाबू
ने
ये
अखिलेश
यादव
के
कामकाज
पर
भी
सवाल
उठा
दिया.
से
बात
करीब
महीने
भर
पहले
की
है.
उन्होंने
कहा
कि
अखिलेश
चाटुकार
क़िस्म
के
नेताओं
से
घिरे
रहते
हैं.
कांग्रेस
के
इस
प्रस्ताव
पर
अखिलेश
राजी
यूपी
के
पूर्व
मंत्री
और
समाजवादी
पार्टी
से
विधायक
रहे
उज्ज्वल
रमण
सिंह
आज
कांग्रेस
के
हो
गए.
लेकिन
ये
सब
अखिलेश
यादव
की
रज़ामंदी
से
हुआ
है.
कांग्रेस
उज्ज्वल
रमण
को
प्रयागराज
से
चुनाव
लड़ाना
चाहती
है.
लखनऊ
में
कांग्रेस
के
यूपी
प्रभारी
अविनाश
पांडे
और
प्रदेश
अध्यक्ष
अजय
राय
ने
रेवती
रमण
सिंह
से
मुलाकात
की.
फिर
उनसे
उज्ज्वल
को
कांग्रेस
से
चुनाव
लड़ाने
का
प्रस्ताव
दिया.
इसके
बाद
इस
मुद्दे
पर
अखिलेश
यादव
से
भी
चर्चा
हुई.
अखिलेश
यादव
भी
इस
प्रस्ताव
पर
राजी
हो
गए.
इसके
बाद
उज्ज्वल
रमण
सिंह
के
कांग्रेस
में
शामिल
होने
का
रास्ता
साफ
हो
गया.
लखनऊ
में
आज
कांग्रेस
के
यूपी
प्रभारी
अविनाश
पांडे
ने
उन्हें
पार्टी
में
शामिल
कराया.
ये
भी
संयोग
है
कि
यूपी
कांग्रेस
के
अध्यक्ष
अजय
राय
और
उज्ज्वल
रमण
सिंह
एक
ही
बिरादरी
के
हैं.
दोनों
भूमिहार
जाति
के
हैं.
अब
तक
कांग्रेस
ने
यूपी
की
चार
लोकसभा
सीटों
पर
टिकट
तय
नहीं
किए
हैं.
इसमें
गांधी
नेहरू
परिवार
के
कोटे
वाली
रायबरेली
और
अमेठी
भी
है.
मथुरा
और
प्रयागराज
से
भी
अब
तक
उम्मीदवारों
के
नाम
की
घोषणा
नहीं
हुई
है.
अब
प्रयागराज
से
उज्ज्वल
रमण
सिंह
कांग्रेस
से
चुनाव
लड़ेंगे.
वे
दो
बार
समाजवादी
पार्टी
से
विधायक
रह
चुके
हैं
उनके
पिता
रेवती
रमण
सिंह
भी
दो
बार
इलाहाबाद
से
लोकसभा
के
सांसद
रह
चुके
हैं