माता सीता की धरती, लव-कुश का जन्म, क्या है राहुल के वायनाड की कहानी?

माता सीता की धरती, लव-कुश का जन्म, क्या है राहुल के वायनाड की कहानी?
माता सीता की धरती, लव-कुश का जन्म, क्या है राहुल के वायनाड की कहानी?


राहुल
गांधी
दूसरी
बार
केरल
की
वायनाड
सीट
से
चुनावी
मैदान
में
हैं

केरल
के
वायनाड
को
लेकर
सियासत
गर्म
हो
गई
है.
कांग्रेस
के
पूर्व
अध्यक्ष
राहुल
गांधी
बुधवार
को
इस
सीट
से
दूसरी
बार
अपना
नामांकन
दाखिल
करेंगे.
वर्तमान
में
राहुल
गांधी
वायनाड
सीट
से
सांसद
भी
हैं.
राहुल
गांधी
के
वायनाड
से
चुनाव
लड़ने
के
बाद
इस
सीट
की
गिनती
अब
वीआईपी
सीट
के
रूप
में
होने
लगी
है.
अब
जब
देश
की
सियासत
में
वायनाड
की
चर्चा
है
तो
हम
आज
इसके
धार्मिक
मान्यताओं
के
बारे
में
आपको
बताएंगे.

अपने
पिता
राजीव
गांधी
की
अमेठी
सीट
के
साथ
2019
में
स्मृति
ईरानी
की
कड़ी
टक्कर
के
वक्त
राहुल
ने
केरल
के
वायनाड
को
चुना.
मलयालम
शब्द
वायल-धान
की
खेती
और
नाडु-भूमि
से
नाम
पड़ा
था
वायनाड.
वायनाड
से
माता
सीता,
लव
कुश
और
बाल्मीकि
जुड़े
हैं
तो
राजीव
गांधी
का
भी
कनेक्शन
है.
वायनाड
धान
के
साथ
चाय,
रबर,
केला,
कॉफी
की
खेती
के
लिए
मशहूर
है,
इलाके
में
मस्जिद,
चर्च
भी
खूब
हैं
लेकिन
हिन्दू
धर्म
से
जुड़ी
बड़ी
अहम
धार्मिक
मान्यताएं
भी
वायनाड
से
जुड़ी
हैं.

पुलपल्ली
में
रहीं
थी
माता
सीता

शंकराचार्यों
का
हवाला
देकर
कांग्रेस
राम
मंदिर
के
प्राण
प्रतिष्ठा
के
कार्यक्रम
में
शामिल
नहीं
हुई,
लेकिन
राहुल
ने
जिस
वायनाड
को
चुना
है
उसे
भी
माता
सीता
की
धरती
कहा
जाता
है.
मान्यता
है
कि
अयोध्या
त्यागने
के
बाद
गर्भवती
सीता
माता
यहीं
पुलपल्ली
में
रहीं,
यही
लव
कुश
को
जन्म
दिया.
यहीं
वाल्मीकि
ने
रामायण
लिखी.
यहीं
पर
सीता
माता
की
वो
कुटिया
है
जहां
वो
अपने
दो
बच्चों
के
साथ
रहती
थीं.
सीता
माता
की
कुटिया
से
नीचे
कुछ
दूरी
पर
मुनिपारा
है,
जहां
वाल्मीकि
रहते
थे.

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भी
पढ़ें

वर्तमान
में
एक
बूढ़ी
महिला
है
जो
इस
स्थान
और
कुटिया
की
देख
रेख
करती
हैं.
उनका
कहना
है
कि
माता
सीता
ने
लव
कुश
को
यहीं
जन्म
दिया.
यहां
दूर
से
लोग
संतान
के
लिए
आते
हैं.
ये
देवी
की
भूमि
है
इसलिए
यहां
कुटिया
में
कोई
कृत्रिम
निर्माण
नहीं
किया
गया,
एक
कील
का
भी
इस्तेमाल
नहीं
है.

लव-कुश
का
मंदिर
भी
है

कुटिया
से
कुछ
ही
दूरी
पर
मां
सीता
और
लव-कुश
का
मंदिर
भी
है,
जहां
प्रियंका
गांधी
ने
जाकर
दर्शन
भी
किए
थे.
वायनाड
में
ही
एडक्कल
की
हजारों
साल
पुरानी
गुफाएं
हैं,
जहां
धनुष
बाण
से
जुड़ी
कलाकृतियां
भी
मौजूद
हैं.
वहां
मौजूद
सुरक्षाकर्मी
ने
मानें
तो
कलाकृतियां
हजारों
साल
पुरानी
हैं
और
अलग-अलग
प्रकार
के
चित्र
उकेरे
गए
हैं.

एडक्कल
की
गुफाओं
के
बोर्ड
से
धार्मिक
मान्यता
है
कि,
वायनाड
में
लव
कुश
ने
धनुष
विद्या
सीखी,
उनकी
आकृतियां
इस
गुफा
में
हैं.
यहीं
उन्होंने
भगवान
राम
का
अश्वमेध
यज्ञ
का
घोड़ा
पकड़ा
था.
अब
5
साल
से
राहुल
भी
वायनाड
में
सियासत
कर
रहे
हैं
तो
क्या
2024
में
मोदी
का
सियासी
रथ
थाम
पाएंगे?

वायनाड
का
राजीव
गांधी
से
भी
कनेक्शन
है

वैसे
खुद
को
शिवभक्त
बताते
आए
राहुल
ने
वायनाड
को
क्यों
चुना
और
क्यों
वायनाड
को
दक्षिण
का
काशी
कहते
हैं?
इसके
बारे
में
भी
जान
लेते
हैं.
वायनाड
का
राजीव
गांधी
से
भी
कनेक्शन
है.
वायनाड
के
तिरुनेल्ली
हजारों
साल
पुराना
महाविष्णु
का
मंदिर
है
और
पापनाशिनी
नदी
भी
बहती
है.
नदी
के
साथ
शंकर
जी
का
मंदिर
भी
यही
स्थित
है.
जैसे
काशी
में
गंगा
और
भगवान
शिव,
वैसे
ही
यहां
भगवान
विष्णु
और
पापनाशिनी
नदी
है.
एक
श्रद्धालु
ने
बताया
कि
जब
कोई
मर
जाता
है
तो
हम
नदी
में
अस्थियों
की
राख
प्रवाहित
करते
हैं,
मंदिर
में
पूजा
करते
हैं
तब
कर्म
पूरा
होता
है.

पापनाशिनी
नदी
को
लेकर
क्या
है
मान्यता?

दरअसल,
यहां
मान्यता
ये
भी
है
कि,
अगर
किसी
की
मृत्यु
होती
है
और
उसका
शरीर
क्षत
विक्षत
अवस्था
में
भी
मिलता
है
तो
उसका
कर्मकांड
यहां
किए
जाने
पर
कर्मा
पूरा
होता
है.
इसलिए
राजीव
गांधी
की
अस्थियों
की
राख
पापनाशिनी
नदी
में
प्रवाहित
की
गई
थी.
बाकी
कर्मकांड
भी
तिरुनेल्ली
मंदिर
में
हुआ
था.
बाद
में
राहुल
गांधी
ने
पहले
राजीव
गांधी
के
लिए
और
फिर
बाद
में
पुलवामा
शहीदों
के
पूजा
अर्चना
करने
यहां
आए
थे.

अब
पीएम
मोदी
तीसरी
बार
काशी
से
सियासी
किस्मत
आजमा
रहे
हैं
तो
दक्षिण
के
काशी
से
राहुल
दूसरी
बार
किस्मत
आजमाने
जा
रहे
हैं
और
वो
3
अप्रैल
को
नामांकन
भी
करने
जा
रहे
हैं.
काशी
से
पीएम
मोदी
दो
बार
सांसद
बन
चुके
हैं
जबकि
वायनाड
से
राहुल
गांधी
अभी
तक
एक
बार
सांसद
चुने
गए
हैं.