पीएम
नरेंद्र
मोदी,
अखिलेश
यादव,
मायावती,
राहुल
गांधी
मायावती
की
माया
अपंरपार
है.
यूपी
की
राजनीति
में
बीएसपी
चीफ
मायावती
को
लेकर
ये
कहावत
बड़ी
मशहूर
है.
उनका
नया
अवतार
किसी
की
समझ
में
नहीं
आ
रहा
है.
जितनी
हैरान
समाजवादी
पार्टी
है.
उतने
ही
परेशान
बीजेपी
के
नेता
भी
हैं.
कुछ
दिनों
पहले
तक
कांग्रेस
और
समाजवादी
पार्टी
चिंता
में
थी.अब
वही
हाल
बीजेपी
का
भी
है.
आख़िर
बीएसपी
का
हाथी
किसे
कुचलने
चला
है,
रहस्य
गहराता
जा
रहा
है.
हफ़्ते
भर
में
बहन
जी
ने
यूपी
का
राजनीतिक
गुणा
गणित
बदल
दिया
है.
सोमवार
को
मायावती
ने
बीजेपी
को
ज़ोर
का
झटका
बड़े
आहिस्ते
से
दिया
है.
बीएसपी
ने
श्रीकला
सिंह
को
जौनपुर
से
टिकट
दे
दिया
है.
वे
जेल
में
बंद
बाहुबली
नेता
धनंजय
सिंह
की
पत्नी
हैं.
श्रीकला
अभी
जौनपुर
ज़िला
पंचायत
की
अध्यक्ष
भी
हैं.
बीजेपी
ने
इस
बार
यहां
मुंबई
से
लाकर
कृपा
शंकर
सिंह
को
टिकट
दे
दिया
है.
महाराष्ट्र
में
कांग्रेस
सरकार
में
मंत्री
रहे
कृपा
शंकर
मूल
रूप
से
जौनपुर
के
रहने
वाले
हैं.
समाजवादी
पार्टी
ने
यहां
से
बाबू
सिंह
कुशवाहा
को
टिकट
दिया
है.
एक
जमाने
में
वे
मायावती
के
आंख
कान
होते
थे.
कृपा
शंकर
की
तरह
ही
धनंजय
भी
ठाकुर
बिरादरी
से
हैं.
मतलब
साफ़
है
कि
बीएसपी
इस
चुनाव
में
बीजेपी
का
वोट
काटेगी.
वैसे
भी
बीजेपी
जौनपुर
में
पिछले
चुनाव
में
हार
गई
थी.
मायावती
ने
बीजेपी
की
टेंशन
बढ़ा
दी
है.
मायावती
के
दांव
से
टेंशन
में
SP-BJP
हफ्तेभर
में
ही
मायावती
ने
अखिलेश
यादव
और
कांग्रेस
को
बैकफ़ुट
पर
ला
दिया
है.
इन
दोनों
ही
पार्टियों
के
नेता
बीएसपी
को
बीजेपी
की
बी
टीम
बता
रहे
थे.
इसके
पीछे
तर्क
ये
था
कि
मायावती
इस
बार
मुस्लिम
वोटों
का
बंटवारा
कर
रही
हैं.
शुरूआत
में
बीएसपी
ने
पश्चिमी
यूपी
में
कई
जगहों
पर
मुस्लिम
उम्मीदवार
दिए.
सहारनपुर
में
इमरान
मसूद
कांग्रेस
से
चुनाव
लड़
रहे
हैं.
यहां
बीएसपी
ने
माजिद
अली
को
टिकट
दे
दिया.
यहां
क़रीब
42
प्रतिशत
वोटर
मुसलमान
हैं.
जब
मायावती
यहां
प्रचार
करने
पहुंची
तो
उन्होंने
इंडिया
गठबंधन
पर
ही
मुस्लिम
वोटों
के
बंटवारे
का
आरोप
लगा
दिया.
पिछले
चुनाव
में
बीएसपी
ने
सहारनपुर
की
सीट
जीत
ली
थी.
तब
एसपी,
बीएसपी
और
आरएलडी
का
गठबंधन
था.
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मुस्लिम
वोटों
पर
मायावती
की
नजर
मुस्लिम
वोट
लेने
के
लिए
मायावती
ने
अब
नया
दांव
चल
दिया
है.
मुरादाबाद
में
समाजवादी
पार्टी
ने
वर्तमान
सांसद
एस
टी
हसन
का
टिकट
काट
कर
रूचिवीरा
को
दे
दिया.
बीएसपी
ने
इरफ़ान
सैनी
को
उम्मीदवार
बनाया
है.
यहां
47
प्रतिशत
मुस्लिम
वोटर
हैं.
अब
बीएसपी
चीफ़
मायावती
कह
रही
हैं
कि
मुसलमानों
की
असली
नेता
तो
वहीं
हैं.
उनका
आरोप
है
कि
समाजवादी
पार्टी
ने
उन
सीटों
पर
भी
हिंदू
उम्मीदवार
दे
दिया
जहां
मुस्लिम
वोटरों
का
दबदबा
है.
पश्चिमी
यूपी
में
कई
सीटों
पर
मुस्लिम
वोटर
प्रभावी
हैं.
पिछले
लोकसभा
चुनाव
में
मुरादाबाद
मंडल
की
सभी
छह
सीटों
पर
बीजेपी
हार
गई
थी.
रामपुर,
मुरादाबाद,
अमरोहा,
संभल,
बिजनौर
और
नगीना
लोकसभा
सीटों
पर
बीजेपी
अपना
खाता
तक
नहीं
खोल
पाई
थी.
इस
बार
बीएसपी
ने
अधिकतर
सीटों
पर
मुस्लिम
उम्मीदवार
देकर
इंडिया
गठबंधन
का
खेल
ख़राब
कर
दिया
है.
मायावती
ने
बिगाड़ा
SP-BJP
का
खेल!
लेकिन
अब
मायावती
चुन
चुन
कर
ऐसे
टिकट
दे
रही
हैं
कि
बीजेपी
कैंप
की
परेशानी
बढ़
गई
है.
आज़मगढ़
में
बीजेपी
इस
बार
फंस
गई
है.
यहां
अखिलेश
यादव
ने
अपने
चचेरे
भाई
धर्मेन्द्र
यादव
को
समाजवादी
पार्टी
का
उम्मीदवार
बनाया
है.
बीजेपी
से
सांसद
दिनेश
लाल
यादव
निरहुआ
चुनाव
लड़
रहे
हैं.
मायावती
ने
भीम
राजभर
को
टिकट
दे
दिया.
बीएसपी
के
उम्मीदवार
से
बीजेपी
का
वोट
कटने
का
ख़तरा
बढ़
गया
है.
पिछले
उप
चुनाव
में
बीजेपी
जीत
गई
थी.
तब
मायावती
ने
मुस्लिम
नेता
को
टिकट
दे
दिया
था.
यहां
साढ़े
तीन
लाख
यादव
हैं.
तीन
लाख
से
ज़्यादा
मुसलमान
और
तीन
लाख
दलित
है.
मुसलमान
एकजुट
होकर
जिसके
साथ
गया,
उसकी
जीत
तय
समझिए.
मायावती
के
राजनीतिक
उत्तराधिकारी
आकाश
आनंद
धुआंधार
चुनाव
प्रचार
पर
हैं.
वे
खुल
कर
बीजेपी
को
टार्गेट
कर
रहे
हैं.
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र
मोदी
पर
वे
देश
के
लोगों
से
झूठ
बोलने
का
आरोप
लगाते
हैं.
जबकि
अब
तक
ये
आरोप
लग
रहा
था
कि
जांच
एजेंसियों
के
डर
से
बीएसपी
कभी
भी
बीजेपी
के
खिलाफ
नहीं
जा
सकती
है.
मायावती
ने
जब
अकेले
चुनाव
लड़ने
का
फ़ैसला
किया
तब
इस
बात
को
खूब
फैलाया
गया
था.
इंडिया
गठबंधन
के
कई
नेताओं
ने
कहा
था
कि
मायावती
तो
बीजेपी
की
मदद
कर
रही
हैं.
उन्हें
विपक्षी
एकता
तीनों
शामिल
होना
चाहिए
था.
ऐसा
कहने
वाले
नेता
अब
चुप
हैं.
मायावती
इस
चुनाव
में
दो
फ़ार्मूले
पर
काम
कर
रही
हैं.
अकेले
लड़
कर
वे
अपना
पार्टी
का
राष्ट्रीय
स्तर
का
दर्जा
बचाए
रखना
चाहती
हैं.
यूपी
में
उनकी
लड़ाई
को
अगले
विधानसभा
की
तैयारी
के
रूप
में
देखा
जा
रहा
हैं.
यूपी
चुनाव
2027
में
होने
वाला
है.
उनकी
लड़ाई
अपना
बेस
वोट
बचाने
की
है.
2014
के
लोकसभा
चुनाव
में
बीएसपी
अपना
खाता
तक
नहीं
खोल
पाई
थी.
लेकिन
2019
में
अखिलेश
यादव
से
गठबंधन
कर
बीएसपी
ने
दस
सीटें
जीत
ली
थीं.