दिल्ली की नॉर्थ ईस्ट सीट से मनोज तिवारी के सामने कांग्रेस ने कन्हैया को क्यों उतारा? जानिए वजह

दिल्ली की नॉर्थ ईस्ट सीट से मनोज तिवारी के सामने कांग्रेस ने कन्हैया को क्यों उतारा? जानिए वजह
दिल्ली की नॉर्थ ईस्ट सीट से मनोज तिवारी के सामने कांग्रेस ने कन्हैया को क्यों उतारा? जानिए वजह


मनोज
तिवारी
और
कन्हैया
कुमार

दिल्ली
की
नॉर्थ
ईस्ट
सीट
पर
मुकाबला
दो
पूर्वांचली
उम्मीदवारों
के
बीच
है.
दो
बार
के
सांसद
मनोज
तिवारी
का
मुकाबला
फायर
ब्रांड
कन्हैया
कुमार
के
साथ
होने
जा
रहा
है.
कन्हैया
कुमार
दिल्ली
से
ही
चर्चा
में
आए
और
अब
दिल्ली
के
चुनावी
दंगल
में
भी
उतर
गए
हैं.
कांग्रेस
ने
जब
उम्मीदवारों
की
नई
लिस्ट
का
ऐलान
किया
तो
उसमें
कन्हैया
कुमार
का
नाम
भी
शामिल
था.
पिछले
कुछ
समय
से
बिहार
की
राजनीति
में
सक्रिय
रहे
कन्हैया
कुमार
की
एंट्री
अब
दिल्ली
की
सियासत
में
भी
हो
गई
है.

नॉर्थ
ईस्ट
दिल्ली
पर
2009
में
पहली
बार
यहां
पर
लोकसभा
का
चुनाव
हुआ,
तब
कांग्रेस
के
जयप्रकाश
अग्रवाल
ने
जीत
हासिल
की
थी.
उन्होंने
3
लाख
से
ज्यादा
वोटों
से
जीत
दर्ज
की.
इसके
बाद
2014
के
चुनाव
में
बीजेपी
ने
यहां
से
मनोज
तिवारी
को
उतारा.
मनोज
तिवारी
ने
पार्टी
की
उम्मीदों
पर
खरा
उतरते
हुए
आम
आदमी
पार्टी
के
आनंद
कुमार
को
शिकस्त
दी,
उनको
डेढ़
लाख
वोटों
से
जीत
मिली
थी.
इसके
बाद
2019
के
चुनाव
में
भी
मनोज
तिवारी
को
जीत
हासिल
हुई
थी,
जब
उन्होंने
कांग्रेस
की
दिग्गज
नेता
शीला
दीक्षित
को
शिकस्त
दी.

कांग्रेस
ने
साधा
ये
समीकरण

मनोज
तिवारी
और
कन्हैया
कुमार
दोनों
में
नॉर्थ
ईस्ट
दिल्ली
से
टिकट
देने
के
पीछे
बीजेपी
और
कांग्रेस
दोनों
ने
पुरबिया
समीकरण
भी
साधा
है.
इस
सीट
पर
पुरबिया
के
लोगों
की
तादाद
काफी
ज्यादा
है.
इसी
इलाके
में
बुराड़ी,
करावल
नगर,
सीमापुरी
और
गोकुलपुरी
जैसी
जगह
हैं,
यही
वजह
है
यहां
से
पिछले
दो
लोकसभा
चुनावों
में
मनोज
तिवारी
को
जीत
हासिल
हुई
थी.
यह
इलाका
सबसे
ज्यादा
सांप्रदायिक
ध्रुवीकरण
का
इलाका
भी
माना
जाता
है.
पूरे
लोकसभा
क्षेत्र
में
आबादी
की
बात
की
जाए
तो
यहां
20
फीसदी
मुस्लिम
आबादी
है
तो
वही
16.7
आबादी
एससी
समुदाय
से
आती
है.
ऐसे
में
इन
चुनावों
में
यह
आबादी
यहां
के
लिए
निर्णायक
साबित
हो
सकती
है.

  1. मनोज
    तिवारी
    और
    कन्हैया
    कुमार
    दोनों
    बिहार
    राज्य
    से
    आते
    हैं.
    मनोज
    तिवारी
    एक
    प्रसिद्ध
    भोजपुरी
    अभिनेता,
    गायक
    और
    भारतीय
    जनता
    पार्टी
    (भाजपा)
    से
    जुड़े
    राजनीतिज्ञ
    हैं.
    उन्होंने
    उत्तर
    पूर्वी
    दिल्ली
    निर्वाचन
    क्षेत्र
    से
    संसद
    सदस्य
    के
    रूप
    में
    कार्य
    किया
    है
    और
    राजनीति
    में
    प्रवेश
    करने
    से
    पहले
    कई
    वर्षों
    तक
    भोजपुरी
    सिनेमा
    में
    सक्रिय
    रहे
    हैं.
    दूसरी
    ओर
    कन्हैया
    कुमार
    ने
    दिल्ली
    में
    जवाहरलाल
    नेहरू
    विश्वविद्यालय
    (जेएनयू)
    में
    एक
    छात्र
    नेता
    के
    रूप
    में
    प्रसिद्धि
    हासिल
    की.
    वह
    वामपंथी
    छात्र
    राजनीति
    से
    जुड़े
    थे
    और
    2016
    में
    जेएनयू
    देशद्रोह
    विवाद
    के
    दौरान
    राष्ट्रीय
    स्तर
    पर
    चर्चा
    में
    आए.
    कन्हैया
    कुमार
    जवाहरलाल
    नेहरू
    विश्वविद्यालय
    छात्र
    संघ
    (जेएनयूएसयू)
    के
    अध्यक्ष
    थे
    और
    भारतीय
    कम्युनिस्ट
    पार्टी
    (सीपीआई)
    और
    इसकी
    छात्र
    शाखा
    ऑल
    इंडिया
    स्टूडेंट्स
    फेडरेशन
    (एआईएसएफ)
    से
    जुड़े
    रहे
    हैं.
  2. दोनों
    ही
    उच्च
    जाति
    से
    संपर्क
    रखते
    हैं.
    मनोज
    तिवारी
    जहां
    ब्राह्मण
    जाति
    से
    आते
    हैं,
    वहीं
    कन्हैया
    कुमार
    भूमिहार
    हैं.
  3. दोनों
    को
    जब
    प्रसिद्धि
    मिली
    तो
    उन्होंने
    लोकसभा
    चुनाव
    में
    उतरने
    का
    निर्णय
    किया.
  4. अपना
    पहला
    चुनाव
    अपनी
    वर्तमान
    से
    अलग
    पार्टियों
    से
    लड़ा.
    कन्हैया
    सीपीआई
    में
    थे,
    जबकि
    मनोज
    तिवारी
    समाजवादी
    पार्टी
    में
    थे.
  5. मनोज
    तिवारी
    ने
    2009
    का
    आम
    चुनाव
    समाजवादी
    पार्टी
    के
    उम्मीदवार
    के
    रूप
    में
    गोरखपुर
    लोकसभा
    से
    लड़ा
    था,
    लेकिन
    योगी
    आदित्यनाथ
    से
    हार
    गए
    थे,
    जबकि
    कन्हैया
    कुमार
    ने
    पहला
    चुनाव
    सीपीआई
    के
    टिकट
    से
    बेगूसराय
    से
    बीजेपी
    के
    नेता
    गिरिराज
    सिंह
    के
    खिलाफ
    लड़ा.
    दोनों
    को
    ही
    पहले
    चुनाव
    में
    बीजेपी
    नेताओं
    से
    हार
    का
    सामना
    करना
    पड़ा
    था.