अस्पताल
पर
कार्रवाई
–
फोटो
:
अमर
उजाला
विस्तार
सागर
शहर
के
तिलकगंज
स्थित
सूर्या
मल्टी
स्पेशिलिटी
अस्पताल
आखिरकार
शनिवार
को
कलेक्टर
के
आदेश
पर
स्वास्थ्य
विभाग
ने
बंद
करा
दिया।
हालांकि,
स्वास्थ्य
विभाग
द्वारा
अस्पताल
के
गेट
पर
चस्पा
किए
गए
आदेश
को
देखकर
समझ
में
आ
रहा
है
कि
जैसे
विभाग
के
अधिकारियों
ने
महज
रस्म
अदायगी
के
लिए
अस्पताल
बंद का
नोटिस
लगवा
दिया
है।
इसमें न
तो
किसी
भी
अधिकारी
का
या
विभाग
का
नाम
लिखा
है
और
न
ही
यह
लिखा
गया
है
कि
किसके
आदेशानुसार
यह
अस्पताल
बंद
किया
गया
है।
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गौरतलब
है
कि
सूर्या
मल्टी
स्पेशिलिटी
अस्पताल
में
नियम
विरुद्ध
तरीके
से
नाबालिग
के
प्रसव
के
मामले
में
बाल
कल्याण
समिति,
किशोर
न्याय
बोर्ड
सदस्यों
और अन्य
संगठनों
के
द्वारा
बुधवार
को
काफी
गहन
जांच
पड़ताल
और
मशक्कत
के
बाद
एक
नाबालिग
बालिका
को
अस्पताल
के
बेसमेंट
की
सीढ़ियों के
नीचे
से
उसके
नवजात
सहित
बरामद
किया
गया
था।
नाबालिग
की
बरामदगी
के
बाद
से
ही
स्वास्थ्य
विभाग
द्वारा
की
जा
रही
लचर
कार्यप्रणाली
कहीं
न
कहीं
अस्पताल
प्रबंधन
के
पक्ष
को
मजबूत
करने
का
प्रयास
करती
नजर
आ
रही
थी।
हालांकि,
घटना
के
चार
दिन
बाद
कलेक्टर
संदीप
जीआर
के
निर्देश
पर
मुख्य
चिकित्सा
एवं
स्वास्थ्य
अधिकारी
डॉ.
ममता
तमोरी
के
द्वारा
कार्रवाई
करते
हुए
सूर्या
मल्टी
स्पेशलिटी
हॉस्पिटल
को
बंद
किया
गया
है।
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मुख्य
चिकित्सा
एवं
स्वास्थ्य
अधिकारी
डॉक्टर
ममता
तिमोरी
ने
बताया
कि
दिनांक
26
नवंबर
को
सूर्या
मल्टी
स्पेशलिटी
हॉस्पिटल,
रेल्वे
स्टेशन
रोड
सागर
मप्र
में
नाबालिग
लड़की का
प्रसव
कराया
गया।
इसकी
सूचना
मिलने
के
बाद
जिला
नोडल
मप्र
उपचर्यागृह
तथा
रूजोपचार
संबंधी
स्थापनायें
रजिस्ट्रीकरण
एवं
अनुज्ञापन
जिला
सागर
ने
दिनांक
27
नवंबर
को
सूर्या
मल्टी
स्पेशलिटी
हॉस्पिटल
में
जांच
की,
जिसमें
नाबालिग
लड़की के
प्रसव
से
संबंधित
दस्तावेज
लिए।
साथ
ही
उक्त
हॉस्पिटल
को
नाबालिग
लड़की का
प्रसव
कराने
के
संबंध
में
स्पष्टीकरण
देने
बावत
पत्र
जारी
किया
गया।
दिनांक
30
नवंबर
को
इस
कार्यालय
से
गठित
दल
ने
सूर्या
मल्टी
स्पैशलिटी
हॉस्पिटल
रेल्वे
स्टेशन
रोड
जाकर
हॉस्पिटल
को
बंद
करा
दिया।
क्या
फर्क
पड़ता
है
:
सीएमएचओ
इस
पूरी
कार्रवाई को
लेकर
लगातार
स्वास्थ्य
विभाग
की
शिथिल
कार्यप्रणाली
जगजाहिर
है।
वहीं,
दूसरी
ओर
अस्पताल
बंद
करने
का
आदेश
चस्पा
करने
में
शब्दों
की
कंजूसी
से
पता
चलता
है
कि
शायद
विभाग
के
अधिकारी
इस
कार्रवाई से
खुश
नहीं
हैं। क्योंकि
जो
आदेश
चस्पा
किया
गया
है
उसमें
कहीं
से
कहीं
तक
भी
विभागीय
अधिकारियों
का
उल्लेख
नहीं
है।
जब
इस
संबंध
में
सीएमएचओ
डॉ.
ममता
तिमोरी
से
बात
की
गई
तो
उन्होंने
कहा
कि
क्या
फर्क
पड़ता
है।
किसी
के
भी
आदेश
से
अस्पताल
बंद
हो।
अस्पताल
बंद
हो
गया
बात
खत्म
है।
लेकिन
शासकीय
आदेश
जिस
तरह
का
होना
चाहिए,
अस्पताल
के
मुख्य
द्वार
पर
चस्पा
कागज
यह
कहीं
से
कहीं
तक
इंगित
नहीं
कर
रहा
है।