दिग्विजय
सिंह
–
फोटो
:
फाइल
फोटो
विस्तार
मध्य
प्रदेश
के
नर्सिंग
कॉलेज
का
घोटाला
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
तक
पहुंच
गया
है।
इसे
लेकर
पूर्व
मुख्यमंत्री
दिग्विजय
सिंह
ने
पत्र
लिख
कर
पीएम
से
मांग
की
है
कि
एमपी
के
नर्सिंग
कॉलेज
के
घोटाले
की
जांच
सीबीआई
के
ईमानदार
अफसरों
से
कराई
जाए।
नर्सिंग
कॉलेज
घोटाले
ने
राज्य
की
साख
को
तार-तार
किया
दिग्विजय
ने
लिखा
कि
प्रधानमंत्री
मोदी
जी
मध्यप्रदेश
में
विगत
एक
दशक
से
गूंज
रहे
व्यापम
भर्ती
घोटाले
की
स्याही
अभी
सूखी
भी
नही
थी
कि
एक
और
नर्सिंग
कॉलेज
घोटाले
ने
राज्य
की
साख
को
तार-तार
कर
दिया
है।
इस
मामले
में
राज्य
सरकार
की
जिम्मेदार
एजेंसियों
और
शीर्ष
स्तर
के
राजनेता
से
लेकर
नौकरशाह
तक
पूर्ण
रूप्
से
लिप्त
और
हिस्सेदार
है।
हाल
ही
में
आपकी
बहुचर्चित
एजेंसी
सीबीआई
के
अफसरों
ने
भी
करोड़ों
रूपये
की
रिश्वत
खाकर
मप्र.
उच्च
न्यायालय
के
आदेश
पर
अब
तक
की
गई
जांच
को
संदिग्ध
बना
दिया
है।
दिग्विजय
ने
मंत्री
विश्वास
सारंग
को
घेरा
दिग्विजय
ने
लिखा
कि
पिछली
सरकार
में
पूर्व
मुख्यमंत्री
शिवराज
सिंह
चौहान
उनके
अति
करीबी
मंत्री
विश्वास
सारंग
इस
नर्सिंग
घोटाले
से
बच
निकलने
के
लिये
लगातार
प्रयास
कर
रहे
है।
उनकी
नाक
के
नीचे
और
संरक्षण
प्राप्त
नौकरशाहों
ने
करोड़ो
रूपये
का
लेनदेन
कोरोना
काल
में
सारे
मापदंडों
के
विरूद्ध
जाकर
सैकड़ो
की
तादाद
में
नर्सिंग
कॉलेज
खोलने
की
अनुमति
शिक्षा
माफिया
को
प्रदान
कर
दी।
तत्कालीन
मंत्री
परिषद
के
सदस्यों
की
शह
पर
अफसरों
ने
मप्र.
नर्सिंग
शिक्षण
संस्था
मान्यता
अधिनियम
2018
की
धज्जियां
उड़ाते
हुए
300
से
अधिक
नर्सिंग
कॉलेज
खुलवा
दिए।
इन
फर्जी
कॉलेजों
में
न
पर्याप्त
स्थान
था
न
ही
वांछित
बिस्तरों
का
अस्पताल।
यही
नही
माइग्रेट
फेकल्टी
के
नाम
पर
दूसरे
राज्यों
के
शिक्षकों
को
इन
संस्थाओं
में
कार्यरत
दिखाकर
धोखाधड़ी
की।
शिक्षा
माफिया
और
अफसरों
के
गठजोड़
ने
हजारों
छात्रों
के
भविष्य
पर
प्रश्नचिन्ह
लगा
दिया
है।
मंत्री
स्तर
से
संरक्षण
प्राप्त
विभाग
के
प्रमुख
सचिव,
सचिव
से
लेकर
आयुक्त,संचालक
तकनीकी
शिक्षा
ने
नर्सिंग
डिग्री
और
डिप्लोमा
जैसे
कोर्स
की
विश्वसनीयता
संदिग्ध
बना
दी।
मध्यप्रदेश
सहित
बाहर
के
राज्यों
के
नौजवानों
के
एडमीशन
कागजी
खानापूर्ति
के
लिये
खुली
छूट
दे
दी।
बिना
नर्सिंग
कॉलेज
में
पढ़े
डिग्री,
डिप्लोमा
प्राप्त
ये
हजारों
छात्र
प्रदेश
के
करोड़ों
लोगों
की
जिंदगी
से
खिलवाड़
कर
जनता
से
द्रोह
किया
गया
है।
विज्ञापन
मेरे
द्वारा
इस
मामले
की
जांच
के
लिये
महामहिम
राज्यपाल
महोदय
को
10,9,
2023
को
पत्र
लिखकर
करोड़ों
रूपये
के
भ्रष्टाचार
की
लोकायुक्त
या
ईओडब्ल्यू
से
जांच
कराने
की
मांग
की
थी।
(जिसकी
प्रति
संलग्न
है)
लेकिन
जांचों
की
परतों
में
फंसने
के
डर
से
शीर्ष
राजनेता
और
मंत्री
इस
व्यापम-2
जैसे
घोटाले
से
बचने
की
कोशिश
करते
रहे।
इस
बीच
अनेक
सामाजिक
कार्यकर्ता
और
एनजीओ
में
काम
करने
वाले
लोगों
ने
हाई
कोर्ट
की
ग्वालियर
बैंच
में
उच्च
स्तरीय
जांच
के
लिये
याचिका
लगाई।
जिस
पर
संज्ञान
लेकर
कोर्ट
ने
सीबीआई
जांच
के
आदेश
दे
दिये।
मामला
सीबीआई
की
स्थानीय
ईकाई
के
पास
जांच
के
लिये
आया।
संचालकों
ने
सीबीआई
अफसरों
को
ही
रिश्वत
के
जाल
में
लिया
उन्होंने
लिखा
कि
भ्रष्टाचार
में
गले-गले
तक
डूबे
राज्य
सरकार
के
अफसरों
और
फर्जी
कॉलेजों
को
बचाने
के
लिये
कॉलेज
संचालकों
ने
सीबीआई
अफसरों
को
ही
रिश्वत
के
जाल
में
समेट
दिया।
एक-एक
फर्जी
कॉलेज
को
सही
संचालन
की
टीप
के
एवज
में
केन्द्रीय
जांच
एजेंसी
सीबीआई
के
अफसरों
ने
लाखों
रूपये
एक-एक
कॉलेज
संचालकों
से
लिये
और
करोड़ो
रूपये
की
वसूली
की।
दिल्ली
सीबीआई
की
जांच
में
एडीशनल
एसपी
दीपक
पुरोहित
को
बचाया
जा
रहा
है।
जबकि
इस
अधिकारी
ने
भी
अनेक
कॉलेजों
की
जांच
कर
क्लीनचिट
दी
थी।
भ्रष्ट
इंस्पेक्टर
इसी
के
अधीन
रैकेट
चला
रहे
थे।
आपका
नारा
है
कि
न
खाऊंगा
न
खाने
दूंगा
की
बात
को
सीबीआई
के
अफसरों
ने
हवा
में
उड़ा
कर
नर्सिंग
कॉलेजों
का
भंडाफोड़
करने
की
जगह
दलालों
के
माध्यम
से
करोड़ों
रूपये
बटोर
चुके
है।
वो
तो
भला
हो
दिल्ली
में
बैठे
सीबीआई
अफसरों
का
जिन्होने
भोपाल
में
कार्यरत
सीबीआई
के
अफसरों
को
पर्याप्त
साक्ष्य
एवं
दस्तावेज
एकत्र
कर
रंगे
हाथों
गिरफ्तार
कर
लिया
गया
है।
दिल्ली
मुख्यालय
से
दोषी
अफसरों
को
सेवा
से
बर्खास्त
कर
एफआईआर
दर्ज
कर
गिरफ्तार
कर
लिया
गया
है।
डायरेक्टर
सी.बी.आई.
का
यह
कदम
स्वागत
योग्य
है।
लेकिन
करोड़ों
के
इस
भ्रष्टाचार
में
चुप्पी
साधे
बैठी
मध्यप्रदेश
सरकार
ने
अपने
यहां
के
दोषी
कर्मचारियों
को
सेवा
से
बेदखल
नही
किया
है।
नर्सिंग
घोटाले
की
जांच
के
साथ-साथ
व्यापम
घोटाले
के
प्रकरणों
में
आरोपियों
को
क्लीनचिट
दी
गई
थी,
ऐसे
संदिग्ध
प्रकरणों
की
पुनः
जांच
कराने
का
निर्णय
लिया
जाये।
व्यापम
के
प्रकरणों
के
अनेक
मामले
संदिग्ध
अधिकारियों
ने
बिना
पूर्व
जांच
किये
क्लोजर
रिपोर्ट
लगाई
थी।
विज्ञापन
उच्च
न्यायालय
के
सिटींग
जज
की
देखरेख
में
हो
जांच
आगे
लिखा
कि
मेरा
आपसे
अनुरोध
है
कि
दिल्ली
मुख्यालय
में
पदस्थ
ईमानदार
पुलिस
अफसरों
की
एक
स्पेशल
इन्वेस्टिगेशन
टीम
गठित
कर
माननीय
उच्च
न्यायालय
के
माननीय
सिटींग
जज
की
देखरेख
में
समय-सीमा
तय
करते
हुए
मध्यप्रदेश
में
संचालित
समस्त
मान्यता
प्राप्त
नर्सिंग
कॉलेजों
की
जांच
कराई
जाये।
क्योंकि
मध्यप्रदेश
सरकार
स्वतः
फंसने
के
डर
से
मामले
की
गहराई
से
जांच
कराना
नही
चाह
रही
है।
केन्द्रीय
स्तर
से
सीबीआई
जांच
कराने
पर
भ्रष्टाचार
में
आकंठ
डूबे
राज्य
सरकार
के
शीर्ष
अधिकारी,
शिक्षा
माफिया
और
सीबीआई
के
स्थानीय
अफसरों
पर
शिकंजा
कस
सकेगा
तथा
ऐसे
दोषी
अफसर
जेल
भी
जायेंगे
और
सेवा
से
भी
बर्खास्त
होंगे।