पानी
की
बॉटल
–
फोटो
:
अमर
उजाला
विस्तार
प्रदेश
की
राजधानी
भोपाल
स्थित
राष्ट्रीय
स्वास्थ्य
मिशन
(NHM)
के
अधिकारी
ऑफिस
में
आरो
लगे
होने
के
बाद
भी
साल
में
करीब
8
लाख
का
बिसलेरी
बॉटल
का
पानी
पी
जाते
हैं।
यनी
हर
महीने
60
से
70
हजार
रुपए
का
पानी
एनएचएम
द्वारा
खरीदा
जाता
है।
यहां
जनता
के
पैसे
को
पानी
में
बहाया
जा
रहा
है।
लेकिन
अब
इस
पर
रोक
लग
गई
है। दरअसल
एनएचएम
की
नई
मिशन
संचालक
(एमडी)
सलोनी
सिडाना
ने
जब
देखा
कि
हर
ऑफिस
में
बिसलेरी
बॉटल
पहुंच
रही
है
तो
उन्होंने
इसकी
पड़ताल
की
तो
पता
चला
कि
दफ्तर
में
सभी
अधिकारी
कर्मचारी
बिसलेरी
का
ही
पानी
पीते
हैं।
उन्होंने
तत्काल
इस
मामले
पर
एक्शन
लिया
और
निर्देशित
किया
कि
अब
सभी
आरो
का
ही
पानी
पिएंगे
और
बिसलेरी
की
सप्लाई
को
बंद
करने
के
निर्देश
दिए।
जानकारी
के
अनुसार
कई
अधिकारी
बिसलेरी
की
बोतल
अपने
घर
भी
ले
जाते
थे।
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सभी
विभागों
में
लगें
हैं
आरो
एनएचएम
में
अधिकारियों
और
कर्मचारियों
को
शुद्ध
पानी
उपलब्ध
हो
सके
इसके
लिए
यहां
के
सभी
विभागों
में
अलग-अलग
आरो
लगाए
गए
हैं,
लेकिन
कोई
भी
व्यक्ति
यहां
तक
की
छोटे
कर्मचारी
भी
बिसलेरी
बोतल
का
ही
पानी
पीते
नजर
आता
हैं।
धीरे-धीरे
यह
लगे
आरो
खराब
होने
लगे
थे
कई
आरो
बंद
हो
चुके
थे।
नई
मिशन
संचालक
सलोनी
सिडाना
ने
तत्काल
इन्हें
सुधारने
के
निर्देश
दिए
और
अब
इन्हें
सुधार
दिया
गया
है।
सभी
अधिकारियों
को
कहा
गया
कि
अपने
ऑफिस
में
आरो
का
पानी
उपयोग
करें
।
केवल
मीटिंग
बैठकों
में
ही
बिसलेरी
पानी
का
उपयोग
किया
जाएगा।
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पानी
के
बोतल
घर
भी
ले
जाते
थे
अधिकारी
एनएचएम
सूत्रों के
अनुसार
एनएचएम
में
पदस्थ
अधिकारी
यहां
तक
की
पुरानी
एमडी
प्रियंका
दास
और
डायरेक्टर
केके
रावत
भी
पानी
के
बोतल
अपने
घर
ले
जाते
थे,
और
कहा
जाता
था
कि
अधिकारियों
के
घर
पर
जो
उनसे
मिलने
आलो
के
लिए
ले
जाया
जाता
है।
यही
वजह
है
कि
महीने
में
करीब
60
से
70
हजार
रुपए
का
पानी
खरीदा
जाता
था।
अब
इस
पर
रोक
लग
गई
है।
जिससे
विभाग
को
साल
में
8
लाख
से
ज्यादा
रुपए
की
बचत
होगी।
सूत्रों
की
माने
तो
कई
अधिकारी
5-5
बोतल
की
पेटी
गाड़ियों
में
भर
कर
घर
ले
जाते
थे।
बीमारी
को
भी
दे
रहे
थे
बढ़ावा
एनएचएम
जहां
स्वास्थ्य
विभाग
के
लिए
काम
करता
है
वहीं
दूसरी
तरफ
यहां
के
अधिकारी
बोतल
बंद
पानी
पीकर
स्वास्थ्य
खराब
कर
रहे
थे।
एक
रिसर्च
के
मुताबिक
पॉली
कार्बोनेट
की
बोतलों
से
पानी
पीने
में
केमिकल
बिस्फेनॉल
ए
पाया
जाता
है।
इस
केमिकल
का
ज्यादा
सेवन
दिल
के
रोग
और
डायबिटीज
का
खतरा
कई
गुना
बढ़ा
सकते
हैं।
वहीं
प्लास्टिक
की
बोतल
में
पानी
पीने
से
उसमें
मौजूद
रसायन
बीपीए
और
फ़ेथलेट्स
प्रजनन
क्षमता
को
प्रभावित
करते
हैं।
ये
पानी
हार्मोन
असंतुलन
का
कारण
बनता
है।
माइक्रोप्लास्टिक
से
दूषित
पानी
कोशिकाओं
में
सूजन
और
क्षति
का
कारण
बनता
है
।एक्सपर्ट
के
मुताबिक
प्लास्टिक
की
बोतल
में
पानी
पीने
से
कैंसर
की
बीमारी
का
खतरा
बढ़ने
लगता
है।
प्लास्टिक
की
पॉलिथीन
में
रखी
गर्म
चीज
खाने
या
पीने
से
कैंसर
की
आशंका
बढ़
जाती
है।