मध्यप्रदेश
एंटी
टेरिरिस्ट
स्क्वॉड
(एटीएस)
की
एक
टीम
टेरर
फंडिंग
के
संदिग्धों
की
धरपकड़
के
लिए
हरियाणा
के
गुरुग्राम
पहुंची
थी।
एटीएस
ने
स्थानीय
पुलिस
को
बिना
सूचना
दिए
चार
युवकों
को
धरदबोचा
और
गुरुग्राम
के
सोहना
सब
डिवीजन
के
एक
होटल
में
ले
जाकर
पूछताछ
करने
लगे।
एटीएस
की
टीम
उस
होटल
में
करीब
एक
सप्ताह
से
ठहरी
हुई
थी।
पूछताछ
के
दौरान
हिमांशु
नाम
का
संदिग्ध
बाथरूम
जाने
के
बहाने
कमरे
से
निकला
और
होटल
की
तीसरी
मंजिल
की
गैलरी
से
छलांग
लगा
दी।
सिर
के
बल
नीचे
गिरने
से
उसकी
मौके
पर
ही
मौत
हो
गई।
घटना
दो
दिन
पुरानी
है।
इस
मामले
में
हरियाणा
की
गुरुग्राम
पुलिस
ने
मप्र
एटीएस
की
टीम
पर
हत्या
का
मामला
दर्ज
कर
लिया
है।
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बता
दें
कि
मप्र
एटीएस
की
टीम
निरीक्षक
राहुल
शर्मा
के
नेतृत्व
में
गुरुग्राम
गई
थी।
टीम
में
उप
निरीक्षक,
प्रधान
आरक्षक
और
आरक्षक
भी
शामिल
हैं।
पुलिस
हिरासत
में
मौत
का
मामला
सामने
आने
के
बाद
स्थानीय
पुलिस
ने
जुडीशियल
जांच
भी
करा
रही
है।
वहीं
इस
तरह
की
लापरवाही
सामने
आने
के
बाद
मप्र
के
डीजी
ने
भी
विभागीय
जांच
के
आदेश
दिए
हैं।
डीजीपी
कैलाश
मकवाणा
के
निर्देश
पर
आईजी
लॉ
एण्ड
ऑर्डर
अंशुमान
सिंह
को
गुरुग्राम
गई
मप्र
एटीएस
की
टीम
की
विभागीय
जांच
का
जिम्मा
सौंपा
गया
है।
एटीएस
की
टीम
भी
अब
वापस
भोपाल
आ
गई
है।
एडीजी
इंटेलीजेंस
योगेश
देशमुख
से
गुरुग्राम
गई
एटीएस
टीम
के
सभी
सदस्यों
को
निलंबित
कर
दिया
है।
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एटीएस
की
टीम
पर
लटकी
गिरफ्तारी
की
तलवार
एटीएस
की
हिरासत
में
होटल
से
कूदकर
हत्या
करने
वाला
हिमांशु
बिहार
का
रहने
वाला
है।
हिमांशु
के
चाचा
चंदन
कुमार
की
शिकायत
पर
मप्र
एटीएस
पर
हत्या
का
केस
दर्ज
किया
है।
सोहना
पुलिस
होटल
के
सीसीटीवी
कैमरों
की
रिकॉर्डिंग
की
जांच
कर
रही
है,
घटना
के
मूल
कारणों
का
पता
लगाया
जा
सके।
इधर
एमपी
एटीएस
का
दावा
है
कि
वह
टेरर
फंडिंग
की
पुख्ता
सूचना
के
बाद
ही
पूछताछ
करने
के
लिए
चारों
युवकों
को
उठाया
था।
हिमांशु
और
उसका
एक
और
दोस्त
टेरर
फंडिंग
के
मुख्य
सूत्रधार
थे।
वारंट
नहीं
होने
से
उलझी
एमपी
एटीएस
टीम
पुलिस
हिरासत
में
लेकर
पूछताछ
के
दौरान
संदिग्ध
की
मौत
का
यह
पहला
मामला
नहीं
है।
दूसरा
राज्य
होने
और
संदिग्धों
से
पूछताछ
का
कोई
वारंट
नहीं
होने,
स्थानीय
पुलिस
को
अपने
ऑपरेशन
में
शामिल
नहीं
करने
के
कारण
एमपी
एटीएस
को
स्थानीय
पुलिस
हिमांशु
की
मौत
के
बाद
सहयोग
नहीं
कर
रही
और
हत्या
जैसे
संगीन
अपराध
में
प्रकरण
दर्ज
किया
है।
अगर
संदिग्धों
से
पूछताछ
का
कोई
वारंट
या
पहले
से
कोई
अपराध
दर्ज
होता
को
एमपी
पुलिस
बच
सकती
थी।
पुलिस
का
दावा-
हिमांशु
टेरर
फंडिंग
का
मुख्य
सूत्रधार
इधर
मप्र
पुलिस
के
आला
अधिकारियों
ने
दावा
किया
है
कि
एटीएस
की
टीम
पुख्ता
सूचना
के
बाद
दबिश
देने
पहुंची
थी।
चार
युवकों
से
पूछताछ
कर
रही
थी।
संदिग्धों
के
पास
से
एक
दर्जन
से
अधिक
लैपटॉप,
टैबलेट,
तीन
दर्जन
से
अधिक
मोबाइल
फोन
और
करीब
80
एटीएम
कार्ड
बरामद
किए
गए
हैं।
हिमांशु
बिहार
से
पढ़ाई
करने
और
पुलिस-सेना
भर्ती
की
तैयारी
करने
दिल्ली
आया
था,
लेकिन
यहां
वह
पैसों
की
लालच
में
टेरर
फंडिंग
में
फंस
गया।
टेरर
फंडिंग
का
मुख्य
सूत्रधार
हिमांश
को
ही
बताया
जा
रहा
है,
जबकि
उसके
साथी
भी
इनमें
शामिल
थे।
हिमांश
की
मौत
के
बाद
बाकी
को
पुलिस
ने
छोड़
दिया
है,
लेकिन
अब
मामले
की
जांच
मध्यप्रदेश
साइबर
सेल
और
एटीएस
दोनों
एजेंसियां
मिलकर
कर
रही
हैं।