

हज
यात्रियों
को
राहत
की
खबर
–
फोटो
:
सोशल
मीडिया
विस्तार
हज
कमेटी
ऑफ
इंडिया
ने
हज
2024
के
चयनित
आवेदकों
को
राहत
दी
है।
उन्हें
अब
4
मई
तक
अपने
हज
खर्च
की
आखिरी
किश्त
जमा
करने
की
इजाजत
होगी।
इससे
पहले
यह
राशि
27
अप्रैल
तक
अनिवार्य
रूप
से
जमा
करने
के
लिए
कहा
गया
था।
प्रदेश
सहित
देशभर
के
हजारों
ऐसे
हाजियों
को
इस
रियायत
से
राहत
मिल
गई
है,
जो
किसी
वजह
से
अपनी
आखिरी
किश्त
जमा
नहीं
कर
पाए
थे।
जून
माह
में
होने
वाले
हज
के
लिए
देश
से
करीब
1.75
लाख
हाजी
इसी
महीने
के
आखिरी
सप्ताह
में
रवाना
होना
शुरू
हो
जाएंगे।
इनमें
प्रदेश
के
करीब
7
हजार
हाजी
भी
शामिल
होंगे।
इस
सफर
के
लिए
तय
राशि
की
दो
किश्तें
अब
तक
जमा
हो
चुकी
हैं।
इसके
बाद
आखिरी
किश्त
27
अप्रैल
तक
जमा
करना
थी,
लेकिन
बड़ी
तादाद
में
आवेदक
अब
तक
यह
राशि
जमा
नहीं
कर
पाए
हैं।
रमजान,
ईद
और
इसके
बाद
शादियों
के
सीजन
के
चलते
कुछ
लोगों
के
आर्थिक
बजट
गड़बड़ाए
हुए
हैं,
जिसके
चलते
यह
किश्त
जमा
होने
में
कोताही
हुई
हैं।
इस
स्थिति
के
मद्देनज़र
हज
कमेटी
ने
अब
अंतिम
रूप
से
अनिवार्यता
लागू
करते
हुए
4
मई
तक
यह
राशि
जमा
करने
के
लिए
कहा
है।
7
साल
में
हो
गया
दोगुना
खर्च
राजधानी
भोपाल
के
वरिष्ठ
पत्रकार
मोहम्मद
जावेद
खान
बताते
हैं
कि
वे
वर्ष
2017
में
अपनी
वालिदा
के
साथ
हज
सफर
पर
गए
थे।
उस
समय
एक
हाजी
को
करीब
1
लाख
80
हजार
रुपए
खर्च
करना
पड़ा
था।
इस
राशि
से
भी
सऊदी
अरब
में
उन्हें
खर्च
के
लिए
माकूल
राशि
मिली
थी।
अब
7
साल
बाद
यह
खर्च
4
लाख
पार
हो
गया
है।
मोहम्मद
जावेद
खान
इस
बढ़े
खर्च
की
वजह
हज
सबसिटी
खत्म
होना,
पेट्रोल
और
सऊदी
रियाल
के
रेट
बढ़ना
मानते
हैं।
वे
कहते
हैं
कि
सऊदी
सरकार
द्वारा
हज
सफर
को
पर्यटन
में
शामिल
कर
लिए
जाने
की
वजह
से
रिहाइश
और
लोकल
ट्रैवल
के
महंगे
होने
से
भी
हज
सफर
महंगा
हुआ
है।
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निजी
टूर
पर
भी
जोर
राजधानी
स्थित
ट्रैवल
हाउस
के
संचालक
ममनून
हुसैन
कहते
हैं
हज
कमेटी
कोटे
में
नाम
न
आने
के
बाद
लोगों
का
रुख
निजी
टूर
की
तरफ
हुआ
है।
उन्होंने
कहा
कि
हालांकि
निजी
टूर
के
साथ
जाने
में
हाजियों
को
सरकारी
खर्च
के
मुकाबले
कुछ
ज्यादा
रकम
अदा
करना
पड़ती
है।
लेकिन
इस
सफर
में
उन्हें
मक्का
मदीना
में
करीब
की
रिहाइश,
जियारत
और
लोकल
कॉन्वेंस
की
आसानी,
खानपान
से
लेकर
लेकर
लॉन्ड्री
आदि
की
सुविधाएं
मिल
जाती
हैं।
इससे
उन्हें
इबादत
के
लिए
ज्यादा
वक्त
मिल
जाता
है।
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(भोपाल
से
खान
आशु
की
रिपोर्ट)