दमोह
जिले
की
सबसे
बड़ी
ब्यारमा
नदी
मगरमच्छों
के
लिए
सुरक्षित
ठिकाना
बनती
जा
रही
है।
बरसात
के
मौसम
में
मगरमच्छों
की
गतिविधियां
और
भी
तेज
हो
गई
हैं।
नदी
के
कई
हिस्सों
में
मगरमच्छों
की
बढ़ती
संख्या
और
क्षेत्रीय
फैलाव
ने
ग्रामीणों
की
चिंता
बढ़ा
दी
है।
यदि
पिछले
साल
के
मगरमच्छ
के
हमलों
की
घटना
को
देखा
जाए
तो
सभी
घटनाएं
ब्यारमा
नदी
में
ही
घटित
हुई
हैं।
जिसमें
नोहटा
थाना
अंतर्गत
एक
आठ
साल
के
बच्चे
को
नहाते
समय
मगरमच्छ
जबड़े
में
फंसाकर
ले
गया
था
और
अगले
दिन
उसका
शव
मिला
था।
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स्थानीय
लोगों
के
अनुसार,
पहले
मगरमच्छ
नदी
के
सीमित
क्षेत्रों
में
नजर
आते
थे,
लेकिन
अब
ये
खेतों,
सड़कों
और
गांव
के
पास
तक
पहुंचने
लगे
हैं।
पिछले
एक
वर्ष
में
तेंदूखेड़ा,
सिंग्रामपुर,
खोजाखोड़ी
और
नोहटा
सहित
कई
गांवों
में
मगरमच्छ
देखे
गए
हैं।
कुछ
स्थानों
पर
रेस्क्यू
करना
पड़ा
तो
कई
स्थानों
पर
मगरमच्छ
पकड़
में
ही
नहीं
आ
सका।
अब
बारिश
का
मौसम
शुरू
हो
गया
है
और
जिस
प्रकार
से
ब्यारमा
नदी
में
मगरमच्छों
की
संख्या
बढ़ी
है
इससे
इस
साल
भी
लोगों
में
दहशत
का
माहौल
बना
है।
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के
साथ
एक
युवक
गिरफ्तार,
2.95
लाख
का
17
किलो
‘माल’
पुलिस
ने
किया
जब्त
जानकारी
के
अनुसार,
केन
घड़ियाल
सेंचुरी
से
निकलकर
मगरमच्छ
ब्यारमा
नदी
के
रास्ते
दमोह
तक
पहुंच
जाते
हैं।
यह
मार्ग
उनके
लिए
प्राकृतिक
कॉरिडोर
की
तरह
काम
कर
रहा
है।
इसी
के
चलते
ब्यारमा
नदी
में
मगरमच्छों
की
संख्या
में
निरंतर
वृद्धि
हो
रही
है
जिनकी
संख्या
सैकड़ों
में
है।
इधर,
कुछ
ग्रामीणों
ने
बताया
कि
मगरमच्छों
के
हमलों
में
मवेशियों
के
मारे
जाने
की
घटनाएं
भी
सामने
आई
हैं।
इस
कारण
लोग
नदी
किनारे
आना-जाना
कम
कर
चुके
हैं।
बच्चों
और
महिलाओं
की
सुरक्षा
को
लेकर
परिजनों
में
विशेष
चिंता
है।
ये
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को
लेकर
शिवराज
पहुंचे
मुख्यमंत्री
के
निवास,
डॉ.
यादव
ने
सीहोर
डीएफओ
को
हटाया
वन
विभाग
के
डीएफओ
ईश्वर
जरांडे
का
कहना
है
कि
मगरमच्छ
आमतौर
पर
नदी
से
बाहर
नहीं
निकलते
जब
तक
उन्हें
उकसाया
न
जाए
या
भोजन
की
तलाश
न
हो।
उन्होंने
कहा
है
कि
सतर्कता
के
लिए
लोगों
को
जागरूक
करने
का
प्रयास
कर
रहे
हैं।
तेंदूखेड़ा
इलाके
में
बाकायदा
बोर्ड
लगाए
गए
हैं।