Bhopal Gas Tragedy: मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं पर अमल न होने से हाईकोर्ट नाराज, केंद्र व राज्य को नोटिस

विस्तार

भोपाल
गैस
त्रासदी
मामले
में
दायर
याचिकाओं
की
सुनवाई
के
दौरान,
केंद्र
और
राज्य
सरकार
की
ओर
से
मॉनिटरिंग
कमेटी
की
अनुशंसाओं
के
अनुपालन,
बीएचएमआरसी
अस्पताल
में
नियुक्तियों
सहित
अन्य
संबंधित
मुद्दों
पर
जवाब
प्रस्तुत
किया
गया।
हाईकोर्ट
के
कार्यवाहक
मुख्य
न्यायाधीश
संजीव
सचदेव
और
न्यायमूर्ति
विनय
सराफ
की
युगलपीठ
ने
जवाब
की
प्रति
सभी
पक्षों
को
उपलब्ध
कराने
के
निर्देश
देते
हुए
अगली
सुनवाई
7
अगस्त
को
निर्धारित
की
है।


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गौरतलब
है
कि
सर्वोच्च
न्यायालय
ने
2012
में
भोपाल
गैस
पीड़ित
महिला
उद्योग
संगठन
सहित
अन्य
की
ओर
से
दायर
याचिका
की
सुनवाई
के
दौरान
भोपाल
गैस
पीड़ितों
के
उपचार
और
पुनर्वास
के
संबंध
में
20
निर्देश
जारी
किए
थे।
इन
बिंदुओं
का
क्रियान्वयन
सुनिश्चित
करने
के
लिए
मॉनिटरिंग
कमेटी
का
गठन
करने
के
निर्देश
भी
दिए
गए
थे।
मॉनिटरिंग
कमेटी
को
हर
तीन
महीने
में
अपनी
रिपोर्ट
हाईकोर्ट
के
समक्ष
पेश
करने
और
रिपोर्ट
के
आधार
पर
हाईकोर्ट
द्वारा
केंद्र
और
राज्य
सरकार
को
आवश्यक
दिशा-निर्देश
जारी
करने
के
निर्देश
भी
दिए
गए
थे।
इसके
बाद
उक्त
याचिका
पर
हाईकोर्ट
द्वारा
सुनवाई
की
जा
रही
थी।
याचिका
के
लंबित
रहने
के
दौरान
मॉनिटरिंग
कमेटी
की
अनुशंसाओं
का
पालन

किए
जाने
के
खिलाफ
2015
में
उक्त
अवमानना
याचिका
दायर
की
गई
थी।


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याचिका
की
सुनवाई
के
दौरान,
युगलपीठ
को
बताया
गया
कि
पिछले
12
वर्षों
से
मॉनिटरिंग
कमेटी
की
रिपोर्ट
में
की
गई
अनुशंसाओं
का
पालन
नहीं
किया
जा
रहा
है।
बीएचएमआरसी
अस्पताल
में
डॉक्टरों
की
नियुक्ति
नहीं
की
गई
है।
इसके
अलावा
उपकरणों
की
कमी
है।
पीड़ित
व्यक्तियों
को
उपचार
से
लाभ
नहीं
मिल
रहा
है
और
इस
संबंध
में
किसी
प्रकार
का
अनुसंधान
नहीं
हो
रहा
है।
मॉनिटरिंग
कमेटी
की
अनुशंसाओं
पर
सरकार
का
उदासीन
रवैया
है।
याचिका
की
सुनवाई
करते
हुए
युगलपीठ
ने
अपने
आदेश
में
कहा
कि
मॉनिटरिंग
कमेटी
की
अनुशंसाओं
का
समय
सीमा
में
पालन
किया
जाए।
युगलपीठ
ने
केंद्र
और
राज्य
सरकार
को
जवाब
प्रस्तुत
करने
के
निर्देश
जारी
किए
थे।
याचिका
पर
मंगलवार
को
हुई
सुनवाई
के
दौरान
प्रस्तुत
किए
गए
जवाब
की
प्रति
संबंधित
पक्षों
को
देने
के
निर्देश
युगलपीठ
द्वारा
जारी
किए
गए।