Chhatarpur: कलेक्टर के आदेश की खुलेआम उड़ाई जा रही धज्जियां, अधिकारी कर्मचारी जानकर भी अनजान

Chhatarpur Collector orders are being flouted openly officers and employees are unaware of this

नलकूपों
के
खनन


फोटो
:
अमर
उजाला

विस्तार

छतरपुर
जिले
में
कम
बारिश
होने
पर
प्रशासन
ने
बोर
उत्खनन
पर
रोक
लगाई
है।
इसके
बाद
भी
रात
के
अंधेरे
में
और
दिन
के
उजाले
में
अनुमति
की
आड़
में
बोर
हो
रहे
हैं।
वहीं,
रोक
लगाने
के
बाद
मशीन
संचालक
ने
बोरिंग
के
रेट
बढ़ा
दिए
हैं।
अब
लोगों
को
अवैध
तरीके
से
बोरिंग
कराने
के
लिए
ज्यादा
पैसे
देने
पड़
रहे
हैं।
वहीं,
जिम्मेदार
अधिकारी
बेपरवाह
हैं।

हरपालपुर
नगर
में
कृषि
उपज
मंडी
के
सामने
दिन
के
उजाले
में
अनुमति
की
आड़
में
बोरिंग
मशीन
चल
रही
है।
जबकि
जिला
प्रशासन
ने
पिछले
माह
तत्काल
प्रभाव
से
मप्र
पेयजल
अधिनियम
1986
की
धारा
3
के
तहत
जल
प्रदाय
सुरक्षित
रखकर
अबाध
रखने
के
उद्देश्य
से
जिले
की
समस्त
तहसीलों
को
अगली
बरसात
आने
तक
या
अन्य
आदेश
तक
जल
अभावग्रस्त
घोषित
किया
था।
यह
आदेश
लागू
होने
से
कोई
भी
व्यक्तिप्रशासन
की
अनुमति
के
बगैर
पेयजल
स्त्रोत
का
उपयोग
सिंचाई
साधन
अथवा
व्यवसायिक
उद्देश्य
से
नहीं
कर
सकता।

इसके
साथ
ही
जल
स्त्रोत
हैंडपंप
या
ट्यूवेल
से
200
मीटर
की
परिधि
में
अन्य
हैंडपंप
या
ट्यूबवेल
का
उत्खनन
नहीं
कर
सकेगा।
साथ
ही
किसी
भी
निस्तारी
तालाब
के
पानी
का
उपयोग
सिंचाई
अथवा
व्यवसायिक
कार्य
के
लिए
नहीं
किया
जा
सकेगा।
यह
आदेश
शासकीय
विभागों
द्वारा
खनित
किए
जाने
वाले
नलकूपों
के
खनन
पर
लागू
नहीं
है।
विशेष
परिस्थिति
में
एसडीएम
की
लिखित
अनुमति
से
नलकूप
खनन
किया
जा
सकता
है।


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पिछले
माह
जिला
प्रशासन
द्वारा
बोर
उत्खनन
प्रतिबंधित
कर
दिया
गया
था।
फिर
भी
इसका
पूरी
तरह
पालन
नहीं
हो
पा
रहा
है।
प्रतिबंध
से
पहले
बोर
उत्खनन
का
रेट
80
से
85
रुपये फीट
के
हिसाब
से
बोरिंग
की
जा
रही
थी।
लेकिन
प्रतिबंध
के
बाद
बोरिंग
का
रेट
बढ़ाकर
110
से
130
रुपये फीट
कर
दिया
गया
है।
यह
काम
पूरी
तरह
सेटिंग
से
चल
रहा
है।


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इसके
लिए
पहले
बोर
उत्खनन
के
लिए
संपर्क
किया
जाता
है।
इसके
बाद
तय
स्थान
को
देखा
जाता
है।
तब
रात
के
रात
के
अंधेरे
में
बोर
मशीन
तय
स्थान
पर
पहुंचती
हैं।
इसके
लिए
उनका
पूरा
नेटवर्क
सक्रिय
रहता
है।
जो
तहसील
सबंधित
व्यक्ति
को
पेयजल
की
समस्या
दर्शा
कर
बोर
कराने
की
अनुमति
लेते
हैं।
जबकि
मौके

पटवारी,

नगर
परिषद
के
अधिकारियों
कर्मचारियों
द्वारा
वास्तविक
स्थिति
देखी
जाती
है।
और
कागजों
में
गुमराह
कर
अधिकारियों
से
अनुमति
ली
जाती
है।
पीने
की
पानी
समस्या
बतला
कर
भवन
निर्माण
के
लिए
खुलेआम
बोरिंग
कराई
जा
रही
है।


इनका
कहना
है

जिला
कलेक्टर
द्वारा
पूर्णता
बोरिंग
पर
रोक
नहीं
लगाई
विशेष
परिस्थितियों
में
अनुमति
दी
जा
सकती
हैं।
बिना
अनुमति
कही
बोरिंग
मशीन
चल
रही
हो
तो
तुरंत
सूचना
दे
कार्रवाई की
जायेगी।


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…नौगांव
एसडीएम
विशा
मघवानी