Clean City Indore: इंदौर अब सुपर से ऊपर, ऐसा रहा आठ वर्षों में स्वच्छता का सफर

इंदौर
ने
एक
बार
फिर
साबित
कर
दिया
कि
स्वच्छता
इंदौर
के
संस्कारों
में
शामिल
है।
स्वाद
और
स्वच्छता
की
राजधानी
ने
लगातार
सात
बार
स्वच्छता
में
नंबर
वन
रही और आठवीं
बार
स्वच्छता
लीग
में
सुपर
से
ऊपर
का
खिताब
पाया
है।
दस
वर्ष
पहले
इंदौर
सफाई
में
काफी
पिछड़ा
था।
वर्ष
2014
की
स्वच्छता
रैंकिंग
में
इंदौर
का
149
वां
नंबर
था।
नगर
निगम
के
अफसरों
को
गंदगी
के
मामले
में
हाईकोर्ट
की
फटकार
झेलना
पड़ती
थी,
लेकिन
धीरे-धीरे
ढर्रा
सुधरा।
वर्ष
2017
में
इंदौर
की
सफाई
में
गुणात्मक
सुधार
हुआ और
इंदौर
पहले
नंबर
पर
आ गया।
इसके
बाद
शहर
ने
पीछे
मुड़
कर
नहीं
देखा।
आठ
वर्षों
से
लगातार
स्वच्छता
का
परचम
इंदौर
देशभर
में
लहरा
रहा
है।
स्वच्छता
का
सफर
इंदौर
में
कुछ
इस
तरह
रहा।
देखे
खास
रिपोर्ट-


पहला
साल
:
निजी
हाथों
से
छिनी
सफाई,
सिस्टम
सुधारा

वर्ष
2017
में
इंदौर
ने
सफाई
में
सरताज
बनने
का
फैसला
लिया।
इंदौर
का
जिला
खुले
में
शौच
से
मुक्त
हुआ।
इसके
बाद
शहर
को
खुले
में
शौच
से
मुक्त
करने
के
प्रयास
हुए।
तत्कालीन
मेयर
मालिनी
गौड़
ने
शहर
की
सफाई
व्यवस्था
सुधारने
की
पहल
की।
भोपाल
में
बतौर
नगर
निगम
आयुक्त
डोर
टू
डोर
सिस्टम
लागू
करवा
चुके
मनीष
सिंह
तबादला
होकर
इंदौर
आए।
उन्होंने
सबसे
पहले
इंदौर
को
खुले
में
शौच
से
मुक्त
करने
पर
जोर
दिया।
जगह-जगह
शौचालय
बनवाए।
इसके
बाद
शहर
के
कुछ
वार्डों
में
डोर
टू
डोर
कचरा
कलेक्शन
व्यवस्था
लागू
की।
कचरा
उठाने
वाली
एटूझेड
कंपनी
का
ठेका
निरस्त
किया
और
सफाईकर्मियों
ने
व्यवस्था
संभाली।
फिर
पूरे
शहर
में
डोर
टू
डोर
कचरा
कलेक्ट
होने
लगा और
इंदौर
ने
वर्ष
2017
की
स्वच्छता
रैंकिंग
में
पहले
स्थान
पा
लिया।


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दूसरा
साल:
कचरा
संग्रहण
सिस्टम
मजबूत,
गिला-सूखा
कचरा
सीधे
ट्रेंचिंग
ग्राउंड
तक

इंदौर
में
डोर
टू
डोर
कचरा
कलेक्शन
सिस्टम
को
वर्ष
2018
में
और
मजबूत
बनाने
के
प्रयास
तेज
हुए।
लोग
घरों
में
अलग-अलग
डस्टबीन
रखने
लगे।
शहर
में
शत
प्रतिशत
गीला
और
सूखा
कचरा
संग्रहित
होता
था
और
ट्रेंचिंग
ग्राउंड
तक
जाता
था।
गीले
कचरे
से
खाद
बनना
के
लिए
भी
शहरवासी
प्रेरित
हुए।

 



तीसरा
साल:
ट्रेंचिंग
ग्राउंड
बना
गार्डन,
लोग
सेल्फी
लेने
जाते
थे

वर्ष
2019
में
इंदौर
ने
सड़कों
की
सफाई
का
सिस्टम
मजबूती
से
काम
करने
लगा।
कचरे
के
साथ
धूल
भी
गायब
हो
जाए,
इसके
लिए
सड़कों
की
सफाई
मशीनों
से
होने
लगी।
असर
यह
हुआ कि
शहर
से
प्रदूषण
भी
कम
हो
गया।
इस
साल
निगम
ने
ट्रेंचिंग
ग्राउंड
को
कचरे
के
पहाड़
से
उसे
मुक्त
कर
दिया
गया।
वहां
गार्डन
बनाया
गया
और
लोग
फोटो
शूट
के
लिए
वहां
जाने
लगे।

 


चौथा
साल:
महामारी
में
भी
नहीं
हारी
सफाई

वर्ष
2020
में
कोरोना
महामारी
ने
पूरे
देश
को
चपेट
में
ले
लिया।
इंदौर
में
लाॅकडाउन
लगा।
तब
भी
शहर
की
सफाई
व्यवस्था
बेपटरी
नहीं
हुई।
महामारी
के
कारण
सफाईकर्मियों
की
मौतें
भी
हुईं,
लेकिन
तब
भी
घरों
से
कचरा
उठता
रहा।
शहर
में
नियमित
सफाई
जारी
रही।
शहरवासियों
ने
सफाई
को
लेकर
अच्छा
फीडबैक
दिया।
इस
साल
बेकलेन
को
गंदगी
से
मुक्त
करने
की
मुहिम
शुरू
की
गई।
इसके
बाद
फिर
इंदौर
तीसरी
बार
स्वच्छता
में
नंबर
वन
आ गया।


पांचवां
साल:
नाले
सूख
कर
बन
गए
मैदान

शहर
साफ
रहने
लगा
था।वर्ष
2021
में
सुंदर
बनाने
पर
जोर
दिया।
सार्वजनिक
बाउंड्रीवाॅल
पर
पेंटिंग
नजर
आने
लगी।
डिवाइडरों
पर
रंग-रोगन
हुआ।
नगर
निगम
ने
थ्री
आर
माॅडल
अपनाया।
बेकार
वस्तुएं
शहर
के
चौराहों
पर
सजावट
का
काम
कर
रही
थी।
बेकलेन
साफ
होने
लगी।
सड़कों
पर
रंगोलियां
सजती
थी।
नाले
सूखकर
मैदान
बन
गए।
इंदौर
को
वाटर
प्लान
में
फाइव
स्टार
रेटिंग
मिली।
मेहनत
रंग
लाई
और
इंदौर
को
पांचवीं
बार
सफाई
में
सरताज
बनने
से
देश
को
कोई
शहर
रोक
नहीं
पाया।
 


छठा
साल:
सफाई
से
की
कमाई

वर्ष
2022
में
सफाई
से
कमाई
पर
जोर
रहा।
इंदौर
की
स्वच्छता
का
डंका
देशभर
में
लगातार
बच
रहा
था,
जो
शहर
साफ
बनना
चाहते
थे,
उनके
अफसर
इंदौर
आकर
स्वच्छता
का
पाठ
पढ़ते
इंदौर
के
माॅडल
का
अनुसरण
करते।
ट्रेंचिंग
ग्राउंड
पर
500
टन
क्षमता
का
बायो
सीएनजी
प्लांट
शुरू
हुआ।
कचरे
से
पैदा
हुई
गैस
से
सिटी
बसें
चलने
लगी।
शहर
के
वायु
प्रदूषण
को
रोकने
की
मुहिम
छेड़ी
गई।
इस
तरह
वर्ष
2022
में
भी
इंदौर
स्वच्छता
में
सरताज
रहा।


सातवां
साल:
इंदौर
को
मिली
बड़े
आयोजनों
की
मेजबानी

इस
साल
शहर
में
कई
बड़े
आयोजन
हुए।
प्रवासी
सम्मेलन,
स्मार्ट
सिटी
काफ्रेंस,
जी-20
बैठकों
के
कारण
शहर
सात
वर्षों
में
सबसे
सुंदर
नजर
आया।
डिवाइडरों
पर
विद्युत
सज्जा,
हरियाली
और
चौराहों
की
सजावट
का
फायदा
स्वच्छता
रैंकिंग
में
मिला।
वायु
प्रदूषण
कम
करने
का
अभियान
रंग
लाया
और
शहर
की
आबोहवा
बेहतर
हो
गई।
इंदौर
सातवीं
बार
पहले
स्थान
पर
रहा,
इस
साल
सूरत
की
रैंकिंग
भी
समान
रही।
 


आठवां
साल-
सफाई
के
सिस्टम
को
बरकरार
रखा

आठवें
वर्ष
में
इंदौर
में
सफाई
को
लेकर
ज्यादा
काम
नहीं
हुए
लेकिन
सात
वर्षों
में
जो
सिस्टम
तैयार
हुआ।
उसे
बरकरार
रखा
गया।
सड़कों
पर
जलजमाव दूर
करने
पर
जोर
दिया।
नालों
की
गंदगी
साफ
हुई।
नए
ट्रीटमेंट
प्लांट
बनाए
गए।
इस
तरह
आठवें
वर्ष
भी
इंदौर
स्वच्छता
लीग
में
सबसे
आगे
रहा।