Damoh: बूंदाबहू मंदिर ट्रस्ट की जांच में निकला लाखों का हेर फेर, ट्रस्ट के पदाधिकारियों पर 70 लाख गबन का आरोप

Damoh: बूंदाबहू मंदिर ट्रस्ट की जांच में निकला लाखों का हेर फेर, ट्रस्ट के पदाधिकारियों पर 70 लाख गबन का आरोप

दमोह शहर
के
सबसे
बड़े
देवश्री
जानकी
रमणजी
बूंदाबहू
मंदिर
ट्रस्ट
के
लेखा-जोखा
की
जांच
में
हेर
फेर
सामने
आया
है।
शनिवार
को
मंदिर
के
पुजारी
और
सकल
हिंदू
समाज
के
लोगों
ने
पत्रकारवार्ता
में
आरोप
लगाते
हुए
70
लाख
रुपये के
गबन
की
बात
कही
है।
उन्होंने
कहा,
एसडीएम
ने
जांच
में
गंभीर
गड़बड़ी
पकड़ी
है, जिसके
बाद
से
ट्रस्ट
के
पदाधिकारी,
आमंत्रित
सदस्य
और
कर्मचरियों
की
भूमिका
संदिग्ध
के
घेरे
में

गई
है।


विज्ञापन

उन्होंने
कहा,
प्राथमिक
रूप
से
मंदिर
ट्रस्ट
के
पांच साल
के
लेन-देने
में
गंभीर
वित्तीय
गड़बड़ी
मिली हैं।
ट्रस्ट
ने
रोकड़
बुक
में
79
लाख
22
हजार
रुपये जमा
होने
का
उल्लेख
किया
है। लेकिन
बैंक
के
स्टेटमेंट
में
यह
राशि
घटकर
आठ लाख
23
हजार
600
रुपये मिली
है।
यानी
जितनी
राशि
रोकड़
बुक
में
दर्ज
होना
बताया
है,
बैंक
तक
उतनी
राशि
पहुंची
ही
नहीं।
70
लाख
98
हजार
400
रुपये की
राशि
का
बड़ा
अंतर
सामने
आया
है।
इसका
कोई
हिसाब
नहीं
मिल
रहा
है।
मंदिर
ट्रस्ट
की
संदिग्ध
गतिविधियों
को
लेकर
पंडित चंद्र
गोपाल
पौराणिक
ने
एसडीएम
कोर्ट
में
शिकायत
दर्ज
कराई
थी।
इसमें
उन्होंने
ट्रस्ट
पदाधिकारियों
द्वारा
बायलाज
में
हेराफेरी
करके
अपने
पारिवारिक
सदस्यों
को
लाभ
पहुंचाने,
वित्तीय
लेन-देन,
जमीन
खरीदी
का
भुगतान
और
मूर्ति
निर्माण
में
लागत
से
ज्यादा
भुगतान
होने
की
बात
कही
थी।


विज्ञापन


विज्ञापन

जब
इस
मामले
की
जांच
करने
के
लिए
एसडीएम
ने
टीम
गठित
की
तो
गंभीर
गड़बड़ी
सामने
आई।

पौराणिक
ने
बताया
कि
चार साल
पहले
मंदिर
में
निर्माण
के
नाम
पर
भगवान
राम
का
दरवार
तोड़
दिया
गया,
उसकी
जगह
पर
लकड़ी
का
तखत
रखकर
भगवान
की
प्रतिमा
रख
दी
गई।
चार
साल
गुजरने
के
बाद
भी
भगवान
तखत
पर
बैठे
हैं,
ट्रस्ट
के
पदाधिकारी
मंदिर
नहीं
बना
पाए,
जबकि
एक
करोड़
20
लाख
रुपये की
राशि
खर्च
हो
चुकी
है।
पहली
जांच
में
ट्रस्ट
के
खाते
में
जमा
की
गई
राशि
के
स्टेटमेंट
और
रोकड़
पुस्तक
में
दर्ज
राशि
में
काफी
अंतर
है।
रोकड़
पुस्तक
में
79
लाख
22
हजार
रुपये की
राशि
दर्ज
है।
जबकि
बैंक
स्टेटमेंट
में
यह
राशि
घटकर
आठ लाख
23
हजार
छह सौ
रुपये दर्ज
है।
इन
दोनों
में
70
लाख
98
हजार
400
रुपये की
राशि
का
अंतर
है।

इससे
साफ
होता
है
कि
ट्रस्ट
के
पदाधिकारियों
और
कर्मचारियों
ने
छल
किया
है।
इसी
तरह
मंदिर
के
ऊपर
मूर्तियों
के
निर्माण
में
भी
हेरा
फेरी
हुई
है।
मूर्ति
बनाने
वाली
एजेंसी
को
एक
करोड़
20
लाख
रुपये की
राशि
दी
गई
है।
जबकि
मूर्तियां
इतनी
राशि
की
नहीं
है।
इसमें
भी
निर्माण
एजेंसी
और
ट्रस्ट
के
पदाधिकारियों
के
बीच
में
मिलीभगत
हुई
है।


13
लाख
में
जमीन
खरीदी,
फिर
90
लाख
रुपये में
ट्रस्ट
को
बेच
दी

मंदिर
ट्रस्ट
के
सदस्य
सचिन
असाटी
ने
तीन
सदस्यों
के
साथ
मिलकर
2014
में
महंतपुर
के
पास
13
लाख
रुपये की
गोशाला
के
लिए
जमीन
खरीदी।
बाद
में
यही
जमीन
96
लाख
रुपये की
राशि
मंदिर
ट्रस्ट
से
निकाल
ली
और
ट्रस्ट
के
नाम
कर
दी
है।
जबकि
मंदिर
के
ट्रस्ट
के
पास
जगह
की
कोई
कमी
नहीं
है।
बड़े
पौराणिक
ने
बताया
कि
मंदिर
ट्रस्ट
की
ओर
से
मंदिर
के
ऊपर
लगवाने
के
लिए
जो
मूर्तियां
लगवाई
गई
हैं।
उनके
लिए
एक
करोड़
20
लाख
रुपये
की
राशि
खर्च
होना
बताया। लेकिन
इतनी
राशि
का
निर्माण
कार्य
मंदिर
में
हुआ
ही
नहीं
है।
मूर्तियों
की
जांच
कराने
का
उल्लेख
भी
प्रतिवेदन
है।
इसी
तरह
ब्लड
बैंक
यूनिट
बंद
करके
सामान
गायब
करने
का
आरोप
भी
पदाधिकारियों
पर
लगा
है।
दमोह
एसडीएम
आरएल
बागरी
का
कहना
है
मंदिर
ट्रस्ट
में
कई
बिंदुओं
में
गड़बड़ी
सामने
आई
है।
हालांकि,
अभी
तहसीलदार
को
रिसीवर
नियुक्ति
करने
का
सुझाव
दिया
है।
इस
मामले
में
आगे
कलेक्टर
को
निर्णय
लेना
है।