परिजनों
के
साथ
खड़े
बच्चे
विस्तार
दमोह
जिले
के
देहात
थाना
क्षेत्र
के
मारुताल
गांव
निवासी
दो
नाबालिग
भाई-बहन
सोमवार
सुबह
स्कूल
गए
थे,
लेकिन
शाम
तक
घर
नहीं
लौटे।
परिजनों
ने
काफी
खोजबीन
की,
लेकिन
सुराग
नहीं
मिलने
पर
जबलपुर
नाका
पुलिस
चौकी
में
सूचना
दी।
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चौकी
प्रभारी
ने
मामले
की
जानकारी
एसपी
को
दी
और
बच्चों
की
खोजबीन
शुरू
की
गई।
देर
रात
गांव
में
ही
स्कूल
के
एक
शिक्षक
के
घर
दोनों
बच्चे
सोते
हुए
मिले।
बच्चों
के
सुरक्षित
मिलने
से
पुलिस
और
परिजनों
ने
राहत
की
सांस
ली।
अपने
मासूम
बच्चों
को
देखकर
माता-पिता
की
आंखों
में
खुशी
के
आंसू
आ
गए।
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जानकारी
के
अनुसार
अनुराधा
(10)
पिता
अनु
आदिवासी
और
साहिल
(5)
मारुताल
गांव
के
स्कूल
में
पढ़ने
गए
थे।
स्कूल
की
छुट्टी
के
बाद
दोनों
बच्चे
भटक
गए।
परिजनों
ने
पहले
अपने
स्तर
पर
बच्चों
को
ढूंढने
की
कोशिश
की,
लेकिन
जब
कोई
पता
नहीं
चला
तो
जबलपुर
नाका
पुलिस
चौकी
में
गुमशुदगी
की
सूचना
दी
गई।
एसपी
श्रुत
कीर्ति
सोमवंशी
को
जानकारी
मिलने
पर
उन्होंने
तत्काल
एडिशनल
एसपी
संदीप
मिश्रा,
डीएसपी
महिला
प्रकोष्ठ
भावना
दांगी,
देहात
थाना
प्रभारी
मनीष
कुमार
और
चौकी
प्रभारी
आनंद
कुमार
को
बच्चों
की
तलाश
में
जुटने
का
निर्देश
दिया।
पुलिस
ने
बच्चों
को
खोजने
के
लिए
कोतवाली
चौराहा
से
घंटाघर
तक
और
स्कूल
के
आसपास
सर्चिंग
की।
सीसीटीवी
फुटेज
भी
देखे
गए,
लेकिन
बच्चों
का
कहीं
पता
नहीं
चला।
इसके
बाद
पुलिस
स्कूल
के
शिक्षक
गोविंद
सिंह
राजपूत
के
घर
पहुंची,
जहां
दोनों
बच्चे
सोते
हुए
मिले।
शिक्षक
गोविंद
सिंह
और
उनकी
पत्नी
मीना
सिंह
ने
बताया
कि
बच्चे
भटकते
हुए
उनके
घर
आए
थे।
रात
हो
जाने
के
कारण
उन्होंने
बच्चों
को
खाना
खिलाया
और
सुला
दिया।
परिजनों
की
आंखों
में
आए
आंसू
पुलिस
ने
बच्चों
को
सुरक्षित
पाकर
शिक्षक
और
उनकी
पत्नी
को
धन्यवाद
दिया।
बच्चों
को
उनके
माता-पिता
के
पास
ले
जाया
गया,
जहां
मासूम
बच्चों
को
देखते
ही
माता-पिता
गले
लगकर
रो
पड़े।
इसके
बाद
डीएसपी
भावना
दांगी
ने
बच्चों
से
बातचीत
की
और
उन्हें
पुलिस
वाहन
से
सुरक्षित
उनके
घर
पहुंचाया।