Damoh: ओझा ने कहा- घर पर प्रसव हो तो बेटा होगा, महिला ने मानी बात और जान पर बन आई, काउंसलिंग से बची जिंदगी

Damoh Ojha says If delivery takes place at home it will be son woman agreed and her life was in danger

बेटे
को
गोद
में
लिए
खड़ी
मां


फोटो
:
अमर
उजाला

विस्तार

दमोह
जिले
में
हटा
ब्लॉक
के
अमझीर
गांव
में
छह बेटियों
की
मां
ने
बेटे
की
चाहत
में
ओझा
की
बात
मान
ली
और
ओझा
के
कहे
अनुसार
घर
पर
प्रसव
कराने
की
जिद
कर
ली।
अस्पताल
जाना
उचित
नहीं
समझा।
जब
हालत
बिगड़ी
तो
जान
बचाना
मुश्किल
हो
गया।
स्वास्थ्य
अमले
को
जानकारी
लगी
तो
महिला
की
काउंसलिंग
कर
उसे
उचित
इलाज
दिया
और
सबसे
बड़ी
बात
महिला
ने
बेटे
को
ही
जन्म
दिया।


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बता
दें
कि
बुंदेलखंड
में
परंपराओं
के
नाम
पर
अंधविश्वास
का
खेल
आज
भी
जारी
है। लोग
तांत्रिकों
की
बातों
को
पत्थर
की
लकीर
मान
लेते
हैं,
फिर
भले
उनकी
जान
चली
जाए।


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यह
है
मामला

अमझीर
गांव
निवासी
कमलेश
रानी
पति
कृपाल
आदिवासी
38
के
यहां
छह बेटियां
हैं
और
सातवीं
संतान
की
चाहत
उसे
बेटे
की
थी।
इसलिए
वह
किसी
तांत्रिक
के
पास
चली
गई।
उसने
सलाह
दी
की
प्रसव
घर
पर
हो
तो
निश्चित
ही
लड़का
होगा।
महिला
के
परिजन
इस
बात
को
सच
मानकर
घर
पर
ही
प्रसव
कराने
का
निर्णय
ले
चुके
थे
और
आशा
कार्यकर्ता,
आशा
सहयोगी
और
सीएचओ
को
लिखकर
दे
चुके
थे
कि उन्हें
स्वास्थ्य
विभाग
से
कोई
लाभ
नहीं
चाहिए।
इस
अंधविश्वास
के
चलते
महिला
कमजोर
हो
गई
थी
और
हाई
रिस्क
श्रेणी
में
चली
गई।


शरीर
में
बचा
था
चार ग्राम
खून

अंधविश्वास
के
चलते
महिला
के
परिजनों
द्वारा
महिला
को
घर
से
बाहर
निकलने
से
लेकर
कई
पाबंदी
लगा
दी
गई,
जिसके
चलते
महिला
कमजोर
हो
गई
और
स्वास्थ्य
विभाग
की
टीम
द्वारा
जब
महिला
की
ब्लड
जांच
की
गई
तो
महज
चार
ग्राम
ब्लड
निकला
जो
प्रसव
के
दौरान
जच्चा-बच्चा
के
लिए
खतरा
था।

काउंसिल
का
मिला
लाभ

21
जुलाई
को
मडियादो
में
सीबीएमओ
उमाशंकर
पटेल
द्वारा
स्वास्थ
विभाग
की
समीक्षा
बैठक
का
आयोजन
किया
गया।
जिसमें
अमझीर
उप
स्वास्थ्य
केंद्र
में
पदस्थ
सीएचओ
मनीषा
अहिरवार
द्वारा
इस
स्थिति
से
अवगत
कराया
गया।
मामले
की
गंभीरता
समझते
हुए
सीबीएमओ
द्वारा
टीम
गठित
की
गई,
जिसमें
बीसीएम
देवेंद्र
सिंह
ठाकुर
और
अंतरा
फाउंडेशन
के
धीरेंद्र
गर्ग
को
शामिल
किया
गया।
जिन्होंने
महिला
के
घर
बार-बार
जाकर
समझाया
और
महिला
को
जिला
अस्पताल
ले
जाया
गया।
जहां
महिला
को
आवश्यक
उपचार
दिया
गया,
सुरक्षित
प्रसव
कराया
गया
और
उसने
बेटे
को
जन्म
दिया।

अमझीर
उपस्वास्थ्य
केंद्र
की
सीएचओ
मनीषा
अहिरवार
ने
बताया
कि
महिला
छह लड़कियों
को
जन्म
दे
चुकी
थी।
महिला
के
परिजन
अगली
संतान
बेटा
चाह
रहे
थे।
इसलिए
किसी
ओझा
से
झाड़
फूंक
कराई
गए
थी।
उनका
मानना
था
कि महिला
का
अगर
प्रसव
घर
पर
होगा
तो
लड़का
होगा,
जिसकी
जानकारी
वरिष्ठ
अधिकारियों
को
दी
गई
थी।

हटा
सिविल
अस्पताल
के
सीबीएमओ
डाक्टर
उमाशंकर
पटेल
ने
बताया,
मामला
सामने
आने
के
बाद
महिला
की
काउंसिल
कराई
गई।
टीम
द्वारा
परिवार
को
अंधविश्वास
से
बाहर
निकालकर
कर
स्वास्थ
सुविधाओं
का
लाभ
बताया
गया।
महिला
के
परिजन
टीम
से
सहमत
हुए
और
अंधविश्वास
से
निकले
और
जिला
अस्पताल
में
प्रसव
कराने
पहुंचे।
जहां
महिला
ने
स्वस्थ
बेटे
को
जन्म
दिया,
जिसका
वजन
भी
तीन
किलो
है
और
दोनों
बिल्कुल
ठीक
हैं।