
जिला
शिक्षा
अधिकारी
कार्यालय।
–
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:
अमर
उजाला
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जिले
के
विभिन्न
शासकीय
स्कूलों
में
पदस्थ
शिक्षकों
की
डीएड
की
अंकसूची
फर्जी
पाए
जाने
पर
छह
शिक्षकों
की
सेवाएं
समाप्त
कर
दी
गई
हैं।
इन
शिक्षकों
की
नियुक्ति
वर्ष
1996
और
2002
के
बीच
में
हुई
थी।
शिकायतें
मिलने
पर
जब
इनका
सत्यापन
कराया
गया
तो
शिकायत
सही
मिलीं।
अब
इनकी
सेवाएं
समाप्त
कर
दी
गई
हैं।
जिला
शिक्षा
अधिकारी
एसके
नेमा
ने
बताया
कि
इन
शिक्षकों
ने
फर्जी
तरीके
से
अंकसूची
बनवाई
थी,
इसमें
गिरोह
शामिल
थे।
22
से
28
साल
पहले
इन
शिक्षकों
ने
ज्वाइन
किया
था
और
डीएड
की
अंकसूची
बाद
में
लगाई
थी।
इतनी
लंबी
नौकरी
करने
के
बाद
जब
इनकी
जांच
हुई
तो
इस
तरह
का
फर्जीवाड़ा
सामने
आया।
फर्जीवाड़ा
करने
वाले
शिक्षकों
की
सूचना
पुलिस
को
दी
है।
जिला
शिक्षा
अधिकारी
ने
बताया
कि
इन
शिक्षकों
ने
फर्जी
अंकसूची
कहां
से
ली
और
इसके
पीछे
कौन
सा
गिरोह
है।
इसका
पता
लगाने
के
लिए
टीम
गठित
की
गई
है।
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इन
6
शिक्षकों
की
सेवाएं
हुईं
समाप्त
जिन
शिक्षकों
की
सेवाएं
समाप्त
की
गई
है
उनमें
बाटियागढ़
ब्लाक
के
मगरोन
संकुल
के
बेलापुरवा
प्राइमरी
स्कूल
शिक्षक
बबलेश
पटेल
के
खिलाफ
दस्तावेज
फर्जी
होने
की
शिकायत
मिली
थी।
जब
बोर्ड
से
इसकी
जांच
कराई
गई
तो
डीएड
की
अंकसूची
फर्जी
निकली।
इनकी
नियुक्ति
1996-97
में
हुई
थी।
इन्हें
सेवा
से
बर्खास्त
कर
दिया
गया
है।
तेंदूखेड़ा
ब्लाक
के
तेजगढ़
कन्या
स्कूल
में
पदस्थ
शिक्षक
श्याम
सुंदर
साहू
की
अंकसूची
फर्जी
पाई
गई
थी।
इनकी
नियुक्ति
भी
1996
में
हुई
थी।
शासन
स्तर
पर
जांच
आने
के
बाद
इसका
खुलासा
हुआ।
मगरोन
संकुल
में
प्राइमरी
शिक्षक
अंजुलता
की
डीएड
की
अंकसूची
भी
फर्जी
निकली
है।
उन्होंने
वर्ष
2002
में
ज्वाइनिंग
की
थी।
इनका
संकुल
बटियागढ़
रखा
गया
था।
अब
इन्हें
बर्खास्त
कर
दिया
गया
है।
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डीएड
की
मार्कशीट
भी
फर्जी
निकली
मिडिल
स्कूल
शिक्षक
कमलेश
खरे
की
डीएड
की
मार्कशीट
भी
फर्जी
निकली
है।
इसकी
जांच
जेडी
सागर
के
आदेश
पर
हुई
थी।
वहां
से
जांच
प्रतिवेदन
मिलने
के
बाद
खरे
को
बर्खास्त
किया
गया
है।
दमोह
शहर
के
नवीन
पांडे
मिडिल
स्कूल
में
पदस्थ
पुष्पेंद्र
मुड़ा
मिडिल
शिक्षक
के
पद
पर
पदस्थ
थे।
इनकी
नियुक्ति
वर्ष
1998
में
हुई।
हुई
थी।
इसकी
भी
डीएड
की
अंकसूची
जाली
पाई
गई
है।
अब
इसकी
सूचना
पुलिस
को
दी
जा
रही
है।
तेंदूखेड़ा
मिडिल
स्कूल
में
पदस्थ
शिक्षिका
ज्योति
जैन
ने
2003
में
ज्वाइनिंग
की
थी।
इनकी
डीएड
की
अंकसूची
जांच
के
लिए
भेजी
गई
थी।
वहां
पर
उसका
रजिस्ट्रेशन
नहीं
मिला।
विभागीय
जांच
के
बाद
संबंधित
को
नोटिस
जारी
किया
गया
था,
लेकिन
संतोषजनक
जवाब
नहीं
मिला।
जिस
पर
उनकी
सेवाएं
समाप्त
कर
दी
गई
थी।