दमोह
जिले
में
एनसीइआरटी
की
पुस्तकों
को
लेकर
बड़ी
लापरवाही
सामने
आई
है।
अधिकारियों
ने
पुस्तकों
की
सूची
में
चार
कक्षाओं
की
पुराने
सिलेबस
की
पुस्तकें
स्वीकृत
कर
दीं।
अब
कक्षा
चौथी,
पांचवीं,
सातवीं
और
आठवीं
के
50
हजार
से
अधिक
बच्चों
को
दोबारा
किताबें
खरीदनी
होगी।
इनके
अभिभावकों
ने
पुस्तक
मेला
में
लाइन
में
लगकर
किताबों
को
खरीदा
था,
लेकिन
अब
स्कूल
में
उन्हें
बताया
जा
रहा
है
कि
सिलेबस
बदल
गया
है,
नई
पुस्तकें
लानी
होंगी।
खास
बात
यह
है
कि
अब
स्टेशनरी
पर
पुस्तक
वापस
नहीं
हो
रही
है।
ऐसे
में
इन
अभिभावकों
को
अब
नई
पुस्तकें
ही
खरीदनी
होंगी।
इधर,
पूरे
मामले
में
कलेक्टर
और
शिक्षा
विभाग
ने
कोई
समाधान
नहीं
निकाला।
पुस्तकों
के
मामले
में
जिला
समिति
ने
किस
स्तर
पर
लापरवाही
की
है।
इसका
अंदाजा
इसी
से
लगाया
जा
सकता
है
कि
समिति
ने
एनसीइआरटी
के
उस
अलर्ट
को
भी
अनदेखा
कर
दिया,
जो
कि
10
मार्च
को
जारी
किया
गया
था।
इस
अलर्ट
नोटिफिकेशन
में
स्पष्ट
किया
गया
था
कि
नए
सत्र
के
लिए
वह
कक्षा
चौथी,
पांचवीं,
सातवीं
और
आठवीं
के
सिलेबस
को
बदलने
जा
रहे
हैं।
समिति
ने
यदि
इस
पर
ही
गौर
किया
होता
तो
दमोह
में
मार्च
के
अंत
में
आयोजित
बृहद
पुस्तक
मेले
से
इन
कक्षाओं
की
पुस्तकों
के
विक्रय
से
रोका
जा
सकता
था।
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सांसद
हिमाद्री,
जानें
दाखिला
कराकर
क्या
कहा
वापस
नहीं
हो
रही
पुस्तकें
चार
कक्षाओं
की
पुस्तकें
बदलने
से
जिले
के
करीब
50
हजार
बच्चों
के
अभिभावक
प्रभावित
हुए
हैं।
वे
अब
क्या
करें,
यह
अब
तक
जिला
शिक्षा
समिति
तय
नहीं
कर
सकी
है।
सिलेबस
बदलने
के
बाद
स्टेशनरी
पर
उनकी
पुस्तकें
बदली
नहीं
जा
रही
हैं,
उन्हें
कहा
जा
रहा
है
कि
कलेक्टर
द्वारा
स्वीकृत
पुस्तकें
ही
उनके
द्वारा
विक्रय
की
गईं,
जो
कि
वापस
नहीं
होती
है।
शिक्षा
विभाग
और
कलेक्टर
हेल्पलाइन
पर
भी
उनकी
सुनवाई
नहीं
हो
रही
है।
दरअसल,
नवीन
सत्र
2025-26
के
लिए
जिले
में
एनसीइआरटी
की
पुस्तकें
350
स्कूलों
में
लागू
की
गई
थीं।
इन
पुस्तकों
की
सूची
और
रेट
जिला
शिक्षा
समिति
ने
तय
किए
थे।
जिसमें
समिति
अध्यक्ष
कलेक्टर
सुधीर
कोचर,
सचिव
डीइओ
एसके
नेमा
ने
अप्रूव
किया
था।
इस
आधार
पर
स्टेशनरी
संचालकों
को
सूची
सौंपी
गई
थी
और
उन्होंने
उक्त
सूची
के
आधार
पर
पुस्तकें
होलसेलर
से
खरीदी
थीं।
जिसका
विक्रय
तीन
बार
लग
चुके
पुस्तक
मेला
में
स्टेशनरी
संचालकों
द्वारा
किया
गया।
अब
पुस्तकों
के
अप्रूव
करते
समय
हुई
बड़ी
लापरवाही
में
किसकी
जिम्मेदारी
तय
होगी,
यह
सवाल
बना
हुआ
है।
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प्रदेश
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मान,
कौन
हैं
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उइके?
PM
मोदी
ने
‘मन
की
बात’
लिया
जिनका
नाम
क्या
हो
सकता
है
पता
कर
रहे
कलेक्टर
सुधीर
कोचर
का
कहना
है पुस्तकों
के
सिलेबस
के
संबंध
में
जानकारी
प्राप्त
हुई
है।
इसमें
अब
क्या
हो
सकता
है,
पता
कर
रहे
हैं।
जल्द
ही
स्पष्ट
किया
जाएगा।
समिति
के
माध्यम
से
हुई
पुस्तकों
की
स्वीकृति
जिला
शिक्षा
अधिकारी
एसके
नेमा
का
कहना
है
कि
पुस्तकों
को
स्वीकृत
करना
जिला
शिक्षा
समिति
के
माध्यम
से
हुआ
था।
इस
संबंध
में
समिति
से
चर्चा
करने
के
बाद
ही
कुछ
कहा
जा
सकता
है।
यह
गलती
कैसे
हुई,
फिलहाल
कुछ
नहीं
कहा
जा
सकता
है,
समीक्षा
करते
हैं।