
मध्य
प्रदेश
के
सागर
जिले
में
एक
ऐसी
परंपरा
है,
जिसमें
गोवंशों
को
खुली
दावत
दी
जाती
है।
यहां
एक
दिन
के
लिए
किसान
अपनी
फसल
में
गोवंश
को
खुला
छोड़
देते
हैं।
ये
परंपरा
400
वर्ष
से
ज्यादा
समय
से
चली
आ
रही
है।
वैसे
तो
किसान
पशुओं
से
अपनी
फसल
की
सुरक्षा
के
लिए
न
जाने
क्या-क्या
उपाय
करते
रहते
हैं।
खेत
में
अगर
धोखे
से
किसी
का
पशु
आ
जाए
तो
लड़ाई
हो
जाती
है।
वहीं
एक
दिन
ऐसा
भी
होता
है,
जब
यही
किसान
अपने
खेत
में
चराने
के
लिए
पशुओं
को
ढूंढते
हैं।
हम
आपको
ऐसे
ही
एक
गांव
की
करीब
400
साल
पुरानी
परंपरा
के
बारे
में
बता
रहे
हैं,
जिसमें
किसान
अपने
गांव
के
सभी
पशुओं
को
फसलों
में
छोड़
देते
हैं
और
दिनभर
वह
फसलों
में
चरते
रहते
हैं।
सागर
जिले
के
राहतगढ़
से
करीब
20
किलोमीटर
दूर
ग्राम
रजौली
में
इस
परंपरा
को
मनाया
जाता
है।
पौष
माह
में
पढ़ने
वाली
सोमवती
अमावस्या
के
दिन
सभी
ग्रामीण
अपने-अपने
गौ
वंशों
को
गांव
के
खेतों
में
दिनभर
चरने
के
लिए
छोड़
देते
हैं।
यह
नजारा
देखने
के
लिए
गांव
सहित
आसपास
के
सैकड़ों
लोग
आते
हैं।
ग्रामीणों
का
कहना
है
कि
करीब
400
वर्ष
से
भी
ज्यादा
पहले
गांव
के
बुजुर्ग
दादू
मर्दन
सिंह
लोधी
ने
यह
परंपरा
शुरू
की
थी।
इसे
आज
तक
निभाया
जा
रहा
है।
ऐसा
करने
से
हमें
खुशी
मिलती
है।
ग्रामीणों
का
मानना
है
कि
गाय
फसलों
में
अपना
पैर
रख
देती
हैं
और
हमारे
खेत
में
भोजन
कर
लेती
है
तो खेत
में
फसल
बहुत
ज्यादा
होती
है।
रजौली
गांव
की
इस
अनोखी
परंपरा
सभी
के
लिए
उदाहरण
है।
पशु
किसानों
के
साथी
हैं।
इनका
भरण
पोषण
करना
सब
की
जिम्मेदारी
है।