Hingot war: दीपावली के दूसरे दिन खेला जाता है इंदौर के समीप हिंगोट युद्ध, जानिए क्या है परंपरा

Hingot war: Hingot war is played near Indore on the second day of Diwali, know what is the tradition.

हिंगोट
युद्ध


फोटो
:
amar
ujala

विस्तार

इंदौर
से
35
किलोमीटर
देपालपुर
में
दिपावली
के
दूसरे
दिन
हिंगोट
युद्ध
खेलने
की
परंपरा
वर्षों
से
चली
आ रही
है।
कलंगी
और तुर्रा
नाम
की
सेनाएं
आमने
सामने
होती
है
और उनके
हाथों
में
होते
है
जलते
हुए
हिंगोट,
जो
एक
दूसरे
पर
फेंके
जाते
है।यह
परंपरागत
युद्ध
शनिवार
को
भी
दोनो
सेनाएं
खेलेगी।
इसकी
तैयारी
बीते
दस
दिनों
से
जारी
है।
दोनो
सेनाएं
बारुद
भरकर
हिंगोट
तैयार
कर
चुकी
है।


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शुक्रवार
को
सिंदूरी
शाम
होते
ही
दोनों
सेनाअेां
के
योद्धा
खेल
भावना
का
परिचय
देते
हुए
पहले
एक
दूसरे
के
गले
मिलेंगे
और
फिर
आमने
सामने
होकर
हिंगोट
युद्ध
लड़ेंगे।


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यह
हिंगोट
युद्ध
पूरे
प्रदेश
में
प्रसिद्ध
है
और  सैकड़ों
वर्षों
से
खेला
जा
रहा
है।
इस
युद्ध
में
हिंगोट
से
दोनो
सेना
के
कई
योद्धा
घायल
हो
जाते
है।
इस
युद्ध
को
देखने
के
लिए
हजारों
की
संख्या
में
आसपास
के
गांवों
के
लोग
भी
जुटते
है।


दो
गांवों
के
ग्रामीण
खेलते
है
युद्ध

हिंगोट
युद्ध
गौतमपुरा
और  रुणजी
गांव
के
ग्रामीण
खेलते
है।
गौतमपुरा
की
सेना
का
नाम
तुर्रा
होता
है
और  रुणजी
गांव
की
सेना
कलंगी
कहलाती
है।
जलते
डिंगोट
से
बचने
के
लिए
योद्धा
साफा
पहनते
है
और  हाथ
में
ढाल
भी
रखते
है।
कुछ
नौजवान
युवक
हेलमेट
पहनकर
भी
युद्ध
के
मैदान
में
उतरते
है।

पीठ
पर
बंधे
तरकश
से
हिंगोट
निकाले
जाते
है
और उसे
जलाकर
दूसरी
सेना
की
तरफ
फेंका
जाता
है।
राकेट
जैसे
हिंगोट
से
दूसरी
सेना
के
लोग
खुद
को
बचाते
है।
सूरज
के
डूबने
के
बाद
जैसे
ही
अंधेरा
होने
लगता
है।
युद्ध
को
विराम
दे
दिया
जाता
है।

इसके
बाद
दोनो
सेनाएं
फिर
एक
दूसरे
के
गले
मिलती
है।
लोग
भी
एक
दूसरे
को
दीपावली
की
बधाई
देते
है
और  अपने-अपने
घर
लौट
आते
है।