
इंदौर
देश
में
2017
से
लगातार
स्वच्छता
में
अव्वल
रह
रहा
है।
नगर
के
सफाई
कर्मियों,
अधिकारियों
की
योजना
और
जनता
का
सहयोग
सभी
के
संयुक्त
रूप
के
प्रयासों
से
यह
संभव
हुआ
है।
देश
में
अव्वल
रहने
के
पीछे
इंदौर
की
स्वच्छता
का
ऐतिहासिक
इतिहास
रहा
है।
24
जुलाई
1960
को
विनोबा
भावे
का
इंदौर
आगमन
और
नगर
को
सफाई
के
लिए
प्रेरित
करना
एक
बड़े
कार्य
का
श्रीगणेश
था।
उन्होंने
लोगों
को
जागृत
कर
साफ-सफाई
के
प्रति
जागरूक
किया
था।
1960
में
विनोबा
भावे
ने
स्वच्छ
इंदौर
का
संकल्प
लिया
था।
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1960
में
संत
विनोबा
इंदौर
में
सफ़ेद
कोठी
(वर्तमान
में
रीगल
सिनेमा
के
सामने
अहिल्या
लाइब्रेरी)
में
ठहरे
थे।
आचार्य
विनोबा
भावे
ने
जगन्नाथ
धर्मशाला
में
आयोजित
एक
सभा
को
कहा
इंदौर
की
आबोहवा
बहुत
ही
अच्छी
है।
विनोबा
भावे
ने
इंदौर
की
यात्रा
में
सफाई
सप्ताह
भी
मनाया
था।
उन्होंने
नगर
में
सर्वोदय
नगर
की
कल्पना
की
जिसे
स्वच्छ
नगर
बनाना
उनकी
योजना
थी।
इस
कार्य
के
लिए
उन्होंने
बाकायदा
एक
समिति
का
गठन
किया
था।
इस
समिति
में
अप्पा
साहब
पटवर्धन,
महापौर
शेर
सिंह,
भूतपूर्व
महापौर
ईश्वर
चंद
जैन,
गांधी
निधि
के
संचालक
श्री
दाते,
लक्ष्मण
सिंह
चौहान,
कांतिलाल
पटेल
और
सुश्री
हीराबाई
बोर्डिया
आदि
थे।
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इंदौर
की
स्वच्छता
मुहिम
में
लोगों
को
जागरूकता
के
लिए
विनोबा
भावे
ने
मालवा
मिल
की
श्रमिक
कॉलोनी
के
निकट
शौचालय
की
सफाई
का
अभियान
भी
स्वयं
ही
किया।
इस
कार्यक्रम
में
उनके
साथ
महादेवी
ताई
एवं
कुमारी
कुसुम
देशपांडे
भी
सफाई
कार्य
में
शामिल
थीं।
जाहिर
है
विनोबा
ने
इंदौर
में
लोगों
में
सफाई
के
लिए
आज
से
65
वर्ष
पूर्व
की
अलख
जागृत
की
थी,
जिसके
परिणाम
अब
मिल
रहे
हैं।
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जाते
बच्चे
महामारी
रहा
बड़ा
सबक
आबादी
का
नगर
में
बढ़ता
ग्राफ
और
रोजगार
की
उपलब्धता
से
नगर
की
जनसंख्या
बढ़ती
गई।
साफ
सफाई
की
ओर
विशेष
ध्यान
नहीं
दिया
जाता
था।
1866-67
में
ऐसे
ही
हाल
रहे,
उसका
परिणाम
यह
हुआ
कि
1870
में
नगर
में
महामारी
फैलना
आरंभ
हो
गई।
1881
में
पुनः
हैजा
फैला,
1903
से
1911
के
मध्य
सफाई
न
होना
और
गंदगी
की
वजह
से
नौ
बार
महामारी
की
चपेट
में
आया।
इस
दौरान
करीब
22500
लोगों
की
मृत्यु
हो
गई।
नगर
की
जनसंख्या
कम
हो
गई
थी।
नगर
छोड़कर
लोग
जाने
लगे
थे।
1994
में
सूरत
के
फ्लेग
का
असर
इंदौर
में
भी
दिखा
था।
इन
महामारियों
से
समय-समय
पर
स्वच्छता
की
मुहिम
नगर
में
चलती
रही।
रियासत
काल
से
जारी
है
दौर
होल्कर
राजाओं
के
कार्यकाल
में
भी
नगर
में
सफाई
व्यवस्था
की
ओर
विशेष
ध्यान
दिया
जाता
था।
इंदौर
में
नगर
सेविका
की
स्थापना
तुकोजीराव
होल्कर
द्वितीय
के
कार्यकाल
में
1870
में
की
गई
थी,
जो
स्थानीय
नगर
के
कार्य
को
करवाती
थी।
नगर
पालिका
की
अस्सी
वर्ष
पुरानी
वार्षिक
रिपोर्ट
में
सफाई
की
ओर
विशेष
ध्यान
देने
का
उल्लेख
है।
कुछ
कारणों
से
नगर
महामारी
की
चपेट
में
कुछ
वर्ष
रहा,
पर
सफाई
का
कार्य
जारी
रहा।
नगर
में
सड़कें
मसक
से
धोने
की
परंपरा
आज
भी
कई
लोगों
को
स्मरण
होगी।
स्वच्छता
में
लगातार
आठवीं
बार
इंदौर
देश
में
अपना
स्थान
बना
पाया
है।
नगरवासियों
के
लिए
गौरव
की
बात
है।
नगर
के
बच्चे
-बच्चे
में
सफाई
के
प्रति
जागरूकता
है।
यह
इंदौरियों
की
मेहनत
का
प्रतिफल
है।