
इंदौर
में
मंत्री
कैलाश
विजयवर्गीय
ने
बैठक
कर
यूका
के
कचरे
से
संबंधित
शंकाओं
पर
अफसरों
से
जवाब
लिया
–
फोटो
:
अमर
उजाला
विस्तार
से
इंदौर
आए
337
टन
विषैले
कचरे
को
लेकर
जारी
विरोध
के
बीच
इंदौर
में
कैलाश
विजयवर्गीय
की
मौजूदगी
में
एक
बैठक
आयोजित
की
गई।
उन्होंने
कहा
कि
हमें
भी
शहर
की
चिंता
है।
रातभर
हमने
सरकार
को
सोने
नहीं
दिया।
उन्होंने
कहा
कि
जहरीले
कचरे
से
जनता
भयग्रस्त
न
हो,
शंका
का
समाधान
जरूरी
है।
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विजयवर्गीय
ने
अफसरों
से
यह
भी
पूछा
कि
वर्ष
2015
में
दस
टन
जहरीले
कचरे
को
जलाया
गया
तो
क्या
पीथमपुर
की
जनता
को
जानकारी
थी?
जिसका
अफसर
कोई
जवाब
नहीं
दे
सके।
आईएएस
विवेक
पोरवाल
ने
कहा
कि
पीथमपुर
में
दो
बार
कचरे
का
ट्रायल
हो
चुका
है।
फसल
की
उत्पादकता,
पानी
की
जांच
की
गई।
17
जगहों
पर
बोर
कर
37
मापदंडों
पर
परीक्षण
किया
गया।
पानी
दूषित
नहीं
पाया
गया।
उन्होंने
कहा
कि
सरकार
ने
जल्दबाजी
नहीं
की।
पूरी
प्रक्रिया
अपनाई
गई
है।
337
टन
कचरे
को
जलाने
में
महीनों
लगेंगे।
कचरे
को
लेकर
मन
में
शंकाएं
हो
सकती
हैं,
भ्रांतियां
हो
सकती
हैं,
लेकिन
सरकार
पूरी
जिम्मेदारी
के
साथ
कचरे
का
निष्पादन
करेगी।
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डॉ.
संजय
लोंढे
ने
सवाल
उठाया
कि
भोपाल
का
कचरा
इंदौर
में
ही
क्यों
जलाया
जा
रहा
है?
अफसरों
ने
कहा
कि
पहले
जो
ट्रायल
किया
गया।
उसके
आधार
पर
ही
फैसला
लिया
गया।
अतुल
सेठ
ने
कहा
कि
ठंड
के
समय
वातावरण
में
धुआं
देर
तक
बना
रहता
है।
कचरा
अभी
क्यों
जलाया
जा
रहा
है।
अफसरों
ने
कहा
कि
कचरे
के
निपटान
में
चार
से
छह
माह
का
समय
लगेगा।
डॉक्टर
एसएस
नैयर
ने
सवाल
उठाया
कि
पहले
जो
कचरा
जलाया
गया,
उसका
खुलासा
तब
क्यों
नहीं
किया
गया।
हमेशा
कचरा
जलाने
का
काम
छुप
कर
क्यों
किया
गया।
अफसरों
ने
कहा
कि
सभी
जनप्रतिनिधि
को
इस
बारे
में
बताया
गया
था।
शिक्षाविद
एसएल
गर्ग
ने
कहा
कि
जलाने
से
पहले
कचरे
की
प्रयोगशाला
में
जांच
होना
चाहिए।
एक
घंटे
चली
बैठक
में
कचरा
जलाने
का
खुलकर
विरोध
हुआ।