इंदौर
में
मेघदूत
चौपाटी
पर
धरने
पर
बैठे
लोग।
–
फोटो
:
अमर
उजाला,
इंदौर
विस्तार
की
मेघदूत
चौपाटी
पर
धरने
पर
बैठे
लोगों
से
मिलने
चौथे
दिन
भी
कोई
नहीं
आया।
कलेक्टर,
निगम
कमिश्नर
और
नेताओं
के
चक्कर
काटकर
थक
चुके
दुकानदारों
ने
धरने
पर
बैठने
का
निर्णय
लिया
लेकिन
किसी
ने
भी
उनकी
कोई
सुध
नहीं
ली।
चौथे
दिन
धरने
पर
बैठे
लोगों
से
अमर
उजाला
ने
बातचीत
की
और
जाना
कि
वे
किस
तरह
की
परिस्थितियों
का
सामना
कर
रहे
हैं।
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बस
आश्वासन
दे
रहे
नेता
और
अधिकारी
धरने
पर
बैठे
आनंद
मिश्रा
ने
कहा
कि
हमारे
सब्र
का
बांध
टूटने
लगा
है।
हम
मंत्री
कैलाश
विजयवर्गीय,
विधायक
रमेश
मेंदोला,
कलेक्टर
आशीष
सिंह
और
निगम
कमिश्नर
शिवम
वर्मा
से
कई
बार
मिल
चुके
हैं।
हर
बार
हमें
आश्वासन
दिया
जाता
है
लेकिन
होता
कुछ
नहीं
है।
थक
हारकर
हमने
धरने
पर
बैठने
का
फैसला
लिया
है
और
आज
चौथा
दिन
है
लेकिन
कोई
हमने
बात
तक
करने
नहीं
आया
है।
आनंद
ने
कहा
कि
यहां
धरने
पर
बैठे
कई
लोगों
की
परिस्थिति
तो
इतनी
खराब
है
कि
वह
अब
कुछ
भी
और
काम
नहीं
कर
सकते
क्योंकि
वे
20
से
30
साल
से
यहीं
पर
दुकान
लगा
रहे
हैं।
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बुजुर्ग
महिला
ने
बताई
पीड़ा
अमर
उजाला
से
बातचीत
में
बुजुर्ग
महिला
अपनी
पीड़ा
बताते
हुए
भावुक
हो
गई।
उन्होंने
बताया
कि
उनके
पति
घर
पर
बीमार
हैं
और
दिनभर
बिस्तर
पर
रहते
हैं।
बच्चे
और
हम
मिलकर
यहां
पर
एक
दुकान
लगाते
थे
जिससे
घर
चलता
था।
हमारी
स्थिति
बेहद
खराब
है
घर
पर
खाने
पीने
और
बीमार
का
इलाज
करवाने
के
लिए
भी
पैसे
नहीं
हैं।
बच्चों
के
साथ
धरने
पर
बैठी
महिलाएं
कई
महिलाओं
ने
बताया
कि
वे
बच्चों
को
भी
लेकर
आई
हैं
क्योंकि
बच्चों
का
स्कूल
जाना
छूट
गया
है।
स्कूल
की
फीस
नहीं
भरी
है
और
घर
चलाने
का
खर्च
भी
नहीं
बचा
है।
दो
महीने
से
कई
लोग
कर्ज
लेकर
घर
चला
रहे
हैं।