हाईकोर्ट
–
फोटो
:
अमर
उजाला
विस्तार
हाईकोर्ट
ने
मंदसौर
में
एक
व्यक्ति
द्वारा
मवेशी
के
लिए
वधशाला
खोलने
के
लिए
मांगी
गई
अनापत्ति
प्रमाण-पत्र
(एनओसी)
जारी
करने
का
निर्देश
नगर
निगम
के
एक
अधिकारी
को
दिया
है।
नगर
निगम
ने
मंदसौर
को
धार्मिक
नगरी
का
हवाला
देकर
एनओसी
नहीं
दी
थी।
कोर्ट
ने
इस
आपत्ति
को
पूरी
तरह
से
अस्वीकार्य
बताया।
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कसाई
के
अनापत्ति
प्रमाण-पत्र
(एनओसी)
के
लिए
आवेदन
को
खारिज
करने
के
लिए
स्थानीय
निकाय
का
तर्क
यह
था
कि
मंदसौर
एक
धार्मिक
शहर
है
और
इसलिए
यहां
वधशाला
खोलने
की
अनुमति
नहीं
दी
जा
सकती।
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उच्च
न्यायालय
की
इंदौर
पीठ
ने
कहा,
“रिटर्न
में
जो
कारण
दिया
गया
है
कि
मंदसौर
एक
धार्मिक
शहर
है,
इसलिए
यहां
वधशाला
खोलने
की
अनुमति
नहीं
दी
जा
सकती,
वह
पूरी
तरह
से
अस्वीकार्य
है।
उच्च
न्यायालय
ने
इस
प्रकरण
में
कहा
कि
राज्य
सरकार
ने
मंदसौर
में
केवल
100
मीटर
के
दायरे
में
एक
स्थान
को
ही
“पवित्र
क्षेत्र”
घोषित
किया
है,
इसलिए
पूरे
शहर
को
“पवित्र
क्षेत्र”
नहीं
माना
जा
सकता।
हाईकोर्ट
ने
यह
टिप्पणी
पेशे
से
कसाई
मंदसौर
निवासी
साबिर
हुसैन
की
याचिका
स्वीकार
करते
हुए
की।
हुसैन
ने
भैंस
के
मांस
के
कारोबार
के
लिए
बूचड़खाना
खोलने
के
लिए
मंदसौर
नगर
पालिका
से
एनओसी
प्राप्त
करने
के
लिए
2020
में
आवेदन
दिया
था,
लेकिन
मुख्य
नगर
पालिका
अधिकारी
ने
उसे
खारिज
कर
दिया
और
कहा
कि
मंदसौर
को
राज्य
सरकार
ने
“पवित्र
शहर”
घोषित
किया
है।
अनापत्ति
प्रमाण
पत्र
नहीं
दिया
जा
सकता।
हुसैन
ने
सीएमओ
के
समक्ष
अपने
आवेदन
में
कहा
कि
वह
मंदसौर
में
जिस
स्थान
पर
बूचड़खाना
खोलना
चाहते
हैं,
वह
“पवित्र
क्षेत्र”
से
बहुत
दूर
है।
कोर्ट
के
समक्ष
सुनवाई
के
दौरान
पवित्र
क्षेत्र
घोषित
करने
की
अधिसूचना
भी
प्रस्तुत
की
गई।
सरकार
ने
9
दिसंबर,
2011
को
जारी
एक
अधिसूचना
में
मंदसौर
में
पशुपतिनाथ
मंदिर
के
100
मीटर
के
दायरे
को
“पवित्र
क्षेत्र”
घोषित
किया
था।
अधिसूचित
क्षेत्र
में
पशु
वध,
अंडे,
मांस,
मछली
और
शराब
की
खरीद
और
बिक्री
पर
प्रतिबंध
लगा
दिया
गया
था।
कोर्ट
ने
माना
कि
अधिसूचना
100
मीटर
क्षेत्र
के
लिए
है।
पूरे
शहर
को
पवित्र
क्षेत्र
नहीं
माना
जा
सकता
है।दोनों
पक्षों
को
सुनने
के
बाद
कोर्ट
ने
सीएमओ
को
बूचड़खाना
खोलने
के
लिए
एनओसी
जारी
करने
का
निर्देश
दिए,
कोर्ट
ने
यह
भी
कहा
कि
याचिकाकर्ता
को
जल
और
वायु
प्रदूषण
रोकने
के
लिए
बनाए
गए
नियमों
के
पालन
के
तहत
ही
अनुमति
दी
जा
सकती
हैै।