मध्यप्रदेश
के
लिए
30
जून
सोमवार
का
दिन
बेहद
खास
रहा।
मुख्यमंत्री
डॉ.
मोहन
यादव
ने
खंडवा
जिले
में
बड़ी
घोषणाएं
कीं।
उन्होंने
1518
करोड़
रुपये
से
अधिक
के
विकासकार्यों
का
लोकार्पण
किया
और
‘एक
बगिया
मां
के
नाम’
परियोजना
की
घोषणा
भी
की।
मौका
था
90
तक
चलने
वाले
‘जल
गंगा
संवर्धन
अभियान’
के
समापन
का।
यहां
समापन
के
साथ-साथ
वॉटरशेड
सम्मेलन
भी
आयोजित
किया
गया।
सीएम
डॉ.
मोहन
यादव
ने
कार्यक्रम
की
शुरुआत
दीप
प्रज्ज्वलन
और
कन्या
पूजन
से
की
और
फिर
जलदूतों
व
जल
सखियों
पर
पुष्पवर्षा
भी
की।
कार्यक्रम
में
सीएम
डॉ.
यादव
ने
कहा
कि
आज
का
कार्यक्रम
अद्वितीय
है।
जल
संरचनाओं
के
माध्यम
से
परमात्मा
ने
हमें
प्रसाद
दिया
है।
यह
सबको
बांटने
के
लिए
है।
हमारी
सरकार
ने
गुडी
पड़वा
यानी
30
मार्च
से
शुरू
करके
30
जून
तक
2.39
लाख
जलदूत
बनाए।
उनके
बलबूते
गांव-गांव
के
अंदर
अद्वितीय
अभियान
चलाया
गया।
जल
गंगा
संवर्धन
अभियान
समापन
समारोह
एवं
वॉटरशेड
सम्मेलन
के
दौरान
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
के
द्वारा
भेजे
गए
संदेश
का
वाचन
भी
किया
गया।
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कार्यक्रम
में
मुख्यमंत्री
डॉ.
मोहन
यादव
ने
कहा
कि
हमारा
मध्यप्रदेश
नदियों
का
मायका
है।
करीब
300
नदियां
अपने
प्रदेश
से
निकलती
हैं।
हमारी
नदियां
केवल
प्रदेश
के
लिए
वरदान
नहीं।
राज्य
की
एक-एक
नदी
पूरे
देश
के
लिए
वरदान
है।
हमारी
सोन
नदी
मां
गंगा
को
समृद्ध
करती
है।
इन
नदियों
के
माध्यम
से
हमारा
गौरवशाली
अतीत
फिर
जीवित
हो
रहा
है।
जल
गंगा
संवर्धन
अभियान
के
माध्यम
से
हमने
कई
काम
किए।
सारी
नदियों
के
घाटों
को
स्वच्छ
किया
गया।
जिससे,
स्नान
करने
वालों
के
लिए
सुविधा
बढ़ाई
जा
सके।
इस
अभियान
के
लिए
छाया
के
शेड
तैयार
किए
गए।
देश
की
सभी
नदियों
में
मां
नर्मदा
का
विशेष
स्थान
है।
ये
एकमात्र
नदी
है,
जिसकी
परिक्रमा
होती
है।
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देने
के
बहाने
घर
के
बाहर
बुलाया,
फिर
सहेली
पर
फेंका
एसिड,
चेहरा,
सीना
और
पैर
जले;
हालत
गंभीर
27
हजार
हेक्टेयर
में
सिंचाई
की
नई
सुविधा
सीएम
डॉ.
यादव
ने
कहा
कि
हमारी
सरकार
ने
जलदूतों
के
माध्यम
से
57
नदियों
में
गिरने
वाले
194
नालों
से
ज्यादा
की
पहचान
करके
उनके
शोधन
की
योजना
बनाई
है।
ड्रॉप-मोर
क्रॉप
के
माध्यम
से
40
हजार
किसानों
के
खेतों
में
सिंचाई
की
व्यवस्था
की
गई
है।
वाटरशेड
के
माध्यम
से
36
जिलों
में
91
परियोजनाएं
चलाई
जा
रही
हैं।
9
हजार
से
ज्यादा
जल
संरचनाएं
बन
चुकी
हैं।
27
हजार
हेक्टेयर
में
सिंचाई
की
नई
व्यवस्था
की
जा
चुकी
है।
सरकार
के
प्रयासों
से
निमाड़
क्षेत्र
में
बड़ा
बदलाव
हुआ
है।
पहले
ये
क्षेत्र
गर्मी
में
तपता
था,
लेकिन
अब
यहां
का
तापमान
4
डिग्री
कम
हो
गया
है।
बुंदेलखंड
पूरा
प्यासा
था,
लेकिन
अब
केन-बेतवा
नदी
लिंक
परियोजना
से
यहां
का
दृश्य
ही
बदल
जाएगा।
पार्वती-काली-सिंध
नदी
जोड़ो
परियोजना
प्रदेश
के
बड़े
क्षेत्र
के
वरदान
साबित
होगी।
क्या
है
एक
बगिया
मां
के
नाम?
सीएम
डॉ.
यादव
ने
कहा
कि
प्रदेश
में
‘एक
बगिया
मां
के
नाम’
परियोजना
चलाई
जाएगी।
इसके
अंतर्गत
30
हजार
से
अधिक
स्व
सहायता
समूह
की
पात्र
महिलाओं
की
निजी
भूमि
पर
30
लाख
से
अधिक
फलदार
पौधे
लगाएं
जाएंगे।
ये
महिलाओं
की
आर्थिक
तरक्की
का
आधार
बनेंगे।
ये
पौधे
30
हजार
एकड़
निजी
भूमि
पर
लगाए
जाएंगे।
इस
परियोजना
की
लागत
900
करोड़
रुपये
है।
परियोजना
के
तहत
हितग्राहियों
को
पौधे,
खाद,
गड्ढे
खोदने
के
साथ
ही
पौधों
की
सुरक्षा
के
लिए
कंटीले
तार
की
फेंसिंग
और
सिंचाई
के
लिए
50
हजार
लीटर
का
जलकुंड
बनाने
के
लिए
राशि
प्रदान
की
जाएगी।
यह
अभियान
15
अगस्त
से
15
सितंबर
तक
चलेगा।
ये
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में
15
दिन
में
10%
बारिश
को
कोटा
पूरा,
समान्य
से
2
इंच
ज्यादा
हुई
बारिश,
भोपाल
में
अभी
कम
वर्षा
83
हजार
से
अधिक
खेत
तालाब
का
निर्माण
सीएम
ने
बताया
कि
2048
करोड़
रुपये
की
लागत
के
83
हजार
से
अधिक
खेत
तालाबों
का
निर्माण
पूरा
हुआ।
इससे
खेत
का
पानी
खेत
में
सिंचित
होगा।
254
करोड़
रुपये
की
लागत
से
1
लाख
से
अधिक
कूप
रीचार्ज
हुए।
अमृत
सरोवर
2.0
के
तहत
354
करोड़
रुपये
की
लागत
से
1
हजार
से
अधिक
नए
अमृत
सरोवरों
का
निर्माण
हुआ।
शहरी
क्षेत्रों
में
3300
से
अधिक
जल
स्त्रोतों
को
पुनर्जीवन
मिला।
2200
नालों
की
सफाई
और
4000
वर्षा
जल
संचयन
संरचनाओं
का
निर्माण
पूरा
हुआ।
जल
गंगा
संवर्धन
अभियान
में
40
लाख
लोगों
की
भागीदारी
से
5
हजार
से
अधिक
जल
स्त्रोतों
का
जीर्णोद्धार
हुआ।
My
Bharat
पोर्टल
के
माध्यम
से
2.30
लाख
से
अधिक
जलदूत
बनाए
गए।
ग्रामीण
क्षेत्रों
में
पानी
चौपाल
का
आयोजन
हुआ।
इस
दौरान
जीआईएस
आधारित
सिपरी
(SIPRI)
सॉफ्टवेयर
के
उपयोग
से
जल
स्रोतों
का
चयन
और
एआई
आधारित
मॉनिटरिंग
की
गई।
नर्मदा
परिक्रमा
पथ
और
अन्य
तीर्थ
मार्गों
के
डिजिटलीकरण
के
जरिए
श्रद्धालुओं
की
सुविधाओं
ख्याल
रखा
जा
सकेगा।
6
करोड़
पौधों
की
नर्सरी
विकसित
सीएम
ने
बताया
कि
57
प्रमुख
नदियों
में
मिलने
वाले
194
से
अधिक
नालों
का
चिह्नांकन
और
उनके
शोधन
के
लिए
योजना
तैयार
की
गई
है।
जैव
विविधता
संरक्षण
के
लिए
घड़ियाल
और
कछुओं
का
जलावतरण
किया
गया।
145
नदियों
के
उद्म
क्षेत्रों
को
चिन्हित
कर
हरित
विकास
के
लिए
योजना
तैयार
की
गई
है।
अविरल
निर्मल
नर्मदा
योजना
में
5600
हेक्टेयर
में
पौधरोपण
शुरू
कर
दिया
गया
है।
वन्य
जीवों
के
लिए
जल
की
उपलब्धता
सुनिश्चित
करने
के
लिए
2500
से
अधिक
तालाब,
स्टॉप
डैम
का
निर्माण
हुआ
है।
पौधरोपण
के
लिए
करीब
6
करोड़
पौधों
की
नर्सरी
विकसित
की
गई
हैं।
1200
करोड़
लागत
की
91
वॉटरशेड
परियोजनाएं
स्वीकृत
की
गई
हैं।
इससे
5.5
लाख
हेक्टेयर
क्षेत्र
को
सिंचाई
सुविधा
मिलेगी।
9000
से
अधिक
जल
संरक्षण
संरचनाओं
के
जरिए
किसानों
को
1
वर्ष
में
दो
से
तीन
फसलों
का
लाभ
मिलने
लगा
है।