
मंदसौर
में
भाजपा
से
सुधीर
गुप्ता
और
कांग्रेस
दिलीप
गुर्जर
में
मुकाबला
रहा।
–
फोटो
:
अमर
उजाला
विस्तार
मंदसौर
लोकसभा
का
इतिहास
रोचक
रहा
है।
भाजपा
का
गढ़
कही
जाने
वाली
इस
सीट
पर
इस
बार
कांग्रेस
को
बड़ी
उम्मीद
है।
वहीं
भाजपा
अपनी
जीत
को
लेकर
निश्चिंत
नजर
आ
रही
है।
हालांकि
चार
जून
के
आने
वाले
नतीजे
सब
साफ
कर
देंगे।
मध्य
प्रदेश
की
मंदसौर
लोकसभा
सीट
भाजपा
का
परंपरागत
गढ़
रही
है।
अब
तक
सिर्फ
चार
बार
कांग्रेस
को
इस
सीट
पर
जीत
मिली
है।
जबकि
सीट
पर
एक
बार
भारतीय
जनसंघ
एक
बार
जनता
पार्टी
और
आठ
बार
भाजपा
के
खाते
में
गई
है।
डॉक्टर
लक्ष्मीनारायण
पांडे
यहां
से
आठ
बार
सांसद
रहे
हैं।
इसके
बाद
2009
के
लोकसभा
चुनाव
में
कांग्रेस
नेत्री
मीनाक्षी
नटराजन
ने
भाजपा
के
डॉक्टर
पांडे
को
परास्त
किया
था।
उसके
बाद
2014
के
लोकसभा
चुनाव
में
एक
बार
फिर
भाजपा
ने
इस
सीट
पर
कब्जा
किया।
2014
के
चुनाव
में
भाजपा
के
सुधीर
गुप्ता
ने
मीनाक्षी
नटराजन
को
परास्त
किया
था।
उसके
बाद
2019
के
चुनाव
में
भी
इस
सीट
पर
भाजपा
का
कब्जा
रहा।
मंदसौर
संसदीय
क्षेत्र
भाजपा
का
मजबूत
गढ़
रहा
है।
जब
से
मंदसौर
संसदीय
क्षेत्र
अस्तित्व
में
आया
है,
तब
से
कांग्रेस
को
सिर्फ
चार
बार
जीत
मिली
है।
मंदसौर
संसदीय
क्षेत्र
से
भाजपा
के
डॉ.
लक्ष्मीनारायण
पांडे
आठ
बार
सांसद
रहे
हैं।
2009
में
जब
कांग्रेस
ने
मीनाक्षी
नटराजन
को
उतारा,
तब
पांडे
का
विजयी
रथ
थमा
था।
2014
और
2019
के
लोकसभा
चुनावों
में
मोदी
लहर
का
जादू
चला
और
भाजपा
के
सुधीर
गुप्ता
इस
सीट
को
दोबारा
कांग्रेस
से
छीनने
में
कामयाब
रहे
थे।
दोनों
बार
उनकी
जीत
का
अंतर
तीन
लाख
वोट
से
अधिक
का
रहा।
2024
के
लोकसभा
चुनाव
की
बात
करें
तो
इस
बार
भी
मुख्य
मुकाबला
कांग्रेस
और
भाजपा
के
बीच
ही
रहा
है।
मंदसौर
लोकसभा
सीट
से
भाजपा
ने
तीसरी
बार
सुधीर
गुप्ता
को
मैदान
में
उतारा
है
तो
वहीं
कांग्रेस
ने
ओबीसी
बाहुल्य
क्षेत्र
होने
की
वजह
से
कांग्रेस
नेता
व
नागदा
के
पूर्व
विधायक
दिलीप
सिंह
गुर्जर
को
चुनाव
मैदान
में
उतारकर
ओबीसी
कार्ड
खेलने
की
कोशिश
की
है।
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75
फीसदी
से
ज्यादा
मतदान
मंदसौर
संसदीय
क्षेत्र
में
2024
के
लोकसभा
चुनाव
में
पुरुष
मतदान
77.81
व
महिला
मतदान
72.65
फीसदी
रहा।
संसदीय
क्षेत्र
से
18
लाख
98
हजार
60
मतदाताओं
में
से
14
लाख
28
हजार
383
ने
वोट
दिए।
कुल
9
लाख
57
हजार
883
पुरुषों
में
से
7
लाख
45
हजार
354
ने
वोट
दिए,
वहीं
9
लाख
40
हजार
149
महिलाओं
में
से
6
लाख
83
हजार
14
ने
वोट
दिए।
अन्य
थर्ड
जेंडर
के
कुल
28
वोटर
में
से
15
ने
मतदान
किया।
इस
तरह
संसदीय
क्षेत्र
में
कुल
75.25
फीसदी
मतदान
रहा।
जो
कि
पिछले
लोकसभा
चुनाव
से
2.64%
कम
रहा।
पिछले
लोकसभा
चुनाव
में
कुल
77.89%
मतदान
हुआ
था।
आठ
में
से
सात
सीटों
पर
भाजपा
का
कब्जा
मंदसौर
लोकसभा
क्षेत्र
मंदसौर
व
नीमच
जिले
की
सात
विधानसभा
आती
हैं।
साथ
ही
रतलाम
जिले
की
जावरा
विधानसभा
क्षेत्र
के
कुछ
ग्रामीण
क्षेत्र
लोकसभा
सीट
में
आते
हैं।
इस
संसदीय
क्षेत्र
में
मंदसौर,
मल्हारगढ़,
सुवासरा,
गरोठ,
नीमच,
जावद,
मनासा
और
रतलाम
जिले
की
जावरा
तहसील
का
कुछ
क्षेत्र
शामिल
है।
इनमें
से
सिर्फ
मंदसौर
विधानसभा
सीट
पर
कांग्रेस
का
कब्जा
है
जबकि
शेष
सात
विधानसभा
सीटों
पर
भाजपा
का
कब्जा
है।
सामाजिक
ताना-बाना
मंदसौर
लोकसभा
क्षेत्र
में
2011
की
जनगणना
के
मुताबिक
जनसंख्या
24,72,444
है।
75.49
फीसदी
आबादी
ग्रामीण
क्षेत्र
में
रहती
है
और
24.51
फीसदी
आबादी
शहरी
क्षेत्र
में।
मंदसौर
में
16.78
फीसदी
आबादी
अनुसूचित
जाति
की
है,
जबकि
5.36
फीसदी
आबादी
अजजा
वर्ग
की
है।
इस
सीट
पर
मुस्लिम
आबादी
9.05%
है।
मंदसौर
जिला
हिंदू
और
जैन
मंदिरों
के
लिए
खासी
पहचान
रखता
है।
आजादी
से
पहले
यह
ग्वालियर
रियासत
का
हिस्सा
था।
मंदसौर
जिला
मुख्यालय
पर
शिवना
नदी
किनारे
स्थित
विश्वविख्यात
अष्टमुखी
भगवान
पशुपतिनाथ
मंदिर,
धर्मराजेश्वर,
बहिपर्श्वनाथ
जैन
मंदिर,
नवनिर्मित
अर्यरक्षित
सूरिश्वर
जी
जैन
मंदिर,
नालछा
माता
मंदिर,
कुबेर
मंदिर
और
गांधी
सागर
बांध
यहां
के
मुख्य
दर्शनीय
व
पर्यटन
स्थल
हैं।
मंदसौर
संसदीय
क्षेत्र
में
बड़े
पैमाने
पर
अफीम
की
खेती
होती
है।
मंदसौर
संसदीय
क्षेत्र
राजस्थान
के
प्रतापगढ़
चित्तौड़गढ़,
कोटा,
भीलवाड़ा,
झालावाड़
और
मध्य
प्रदेश
के
रतलाम
जिले
से
घिरा
हुआ
है।