मंदसौर
के
राजा
भगवान
पशुपतिनाथ
का
मंदिर
परिसर
रविवार
को
अनेक
प्रकार
के
पकवानों
की
खुशबू
से
महक
उठा।
भगवान
पशुपतिनाथ
मंदिर
के
गर्भगृह
में
प्रातःकालीन
आरती
मंडल
द्वारा
56
भोग
का
नैवेद्य
लगाया
गया,
जिसके
दर्शन
करने
के
लिए
भक्तों
के
पहुंचने
का
सिलसिला
लगातार
जारी
है।
के
राजा
भगवान
पशुपतिनाथ
का
मंदिर
परिसर
रविवार
को
अनेक
प्रकार
के
पकवानों
की
खुशबू
से
महक
उठा।
भगवान
पशुपतिनाथ
मंदिर
के
गर्भगृह
में
प्रातःकालीन
आरती
मंडल
द्वारा
56
भोग
का
नैवेद्य
लगाया
गया,
जिसके
दर्शन
करने
के
लिए
भक्तों
के
पहुंचने
का
सिलसिला
लगातार
जारी
है।
रविवार
को
भगवान
पशुपतिनाथ
का
रूद्राभिषेक
कर
शिखर
पर
ध्वजा
चढ़ाई
गई,
जिसके
बाद
भगवान
पशुपतिनाथ
की
अष्टमुखी
प्रतिमा
का
नयनाभिराम
शृंगार
कर
छप्पन
भोग
का
नैवेद्य
अर्पित
किया
गया।
रविवार
को
भगवान
पशुपतिनाथ
मंदिर
में
प्रातः
कालीन
आरती
मंडल
के
तत्वावधान
में
सावन
माह
की
समाप्ति
के
उपलक्ष्य
में
पशुपतिनाथ
मंदिर
गर्भगृह
में
एक
हजार
थाल
में
छप्पन
भोग
का
नैवेद्य
अर्पित
किया
गया।
को
भगवान
पशुपतिनाथ
का
रूद्राभिषेक
कर
शिखर
पर
ध्वजा
चढ़ाई
गई,
जिसके
बाद
भगवान
पशुपतिनाथ
की
अष्टमुखी
प्रतिमा
का
नयनाभिराम
शृंगार
कर
छप्पन
भोग
का
नैवेद्य
अर्पित
किया
गया।
रविवार
को
भगवान
पशुपतिनाथ
मंदिर
में
प्रातः
कालीन
आरती
मंडल
के
तत्वावधान
में
सावन
माह
की
समाप्ति
के
उपलक्ष्य
में
पशुपतिनाथ
मंदिर
गर्भगृह
में
एक
हजार
थाल
में
छप्पन
भोग
का
नैवेद्य
अर्पित
किया
गया।
भगवान
को
अर्पित
किए
गए
नैवेद्य
में
कई
प्रकार
की
मिठाइयां
व
नमकीन
शामिल
हैं।
इसके
पूर्व
सुबह
11
बजे
आरती
मंडल
द्वारा
भगवान
पशुपतिनाथ
का
विद्वान
आचार्यों
के
आचार्यत्व
में
महारुद्राभिषेक
व
हवन
का
आयोजन
किया
गया।
उसके
बाद
भगवान
पशुपतिनाथ
की
आरती
के
पश्चात
भगवान
पशुपतिनाथ
का
नयनाभिराम
शृंगार
कर
मंदिर
गर्भगृह
में
एक
हजार
थाल
में
56
भोग
का
नैवेद्य
सजाया
गया।
50
साल
से
चली
आ
रही
परंपरा
भगवान
पशुपतिनाथ
मंदिर
प्रातःकालीन
आरती
मंडल
के
प्रवक्ता
उमेश
परमार
ने
बताया
कि
आरती
मंडल
द्वारा
50
साल
से
भी
पहले
से
भगवान
पशुपतिनाथ
मंदिर
में
56
भोग
का
नैवेद्य
अर्पित
करने
की
परंपरा
चली
आ
रही
है।
उसी
परंपरा
के
तहत
इस
वर्ष
भी
56
भोग
का
आयोजन
किया
गया
है,
जिसके
दर्शन
रात
11
बजे
तक
होंगे।