
मध्य
प्रदेश
का
स्थापना
दिवस
–
फोटो
:
अमर
उजाला
विस्तार
मध्य
प्रदेश
स्थापना
दिवस
का
उत्सव
1
नवंबर
को
पूरे
प्रदेश
में
बड़े
धूमधाम
से
मनाया
जाएगा।
भोपाल
के
लालपरेड
ग्राउंड
से
इसकी
शुरुआत
हो
चुकी
है।
स्थापना
दिवस
का
यह
मौका
मध्य
प्रदेश
के
इतिहास
को
याद
करने
और
उसके
गौरव
को
बढ़ाने
का
है।
1956
में
बने
इस
राज्य
के
गठन
की
पृष्ठभूमि
और
राजधानी
भोपाल
को
बनाने
की
कहानी
बेहद
रोचक
है।
आइए,
जानें
कैसे
बना
यह
राज्य
और
क्यों
चुना
गया
भोपाल
को
राजधानी
बनाने
के
लिए।
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1956
में
भारतीय
राज्यों
के
पुनर्गठन
के
दौरान
मध्य
प्रदेश
को
एक
नए
राज्य
के
रूप
में
स्थापित
किया
गया।
इस
पुनर्गठन
के
दौरान
भोपाल,
मध्य
भारत,
विंध्य
प्रदेश,
सेंट्रल
प्रोविंस
(सीपी)
और
बरार
को
मिलाकर
एक
बड़ा
राज्य
तैयार
किया
गया,
जिसे
मध्य
प्रदेश
का
नाम
दिया
गया।
देश
के
मध्य
में
स्थित
होने
के
कारण
इसे
‘भारत
का
दिल’
भी
कहा
जाता
है।
1950
से
पहले,
इन
क्षेत्रों
में
अलग-अलग
विधानसभाएं
और
प्रशासनिक
व्यवस्थाएं
थीं।
जब
भारतीय
संविधान
लागू
हुआ
और
चुनावों
के
बाद
विधान
मंडलों
की
स्थापना
हुई,
तब
क्षेत्रीय
पहचान
को
संगठित
करते
हुए
भाषा
के
आधार
पर
प्रदेशों
का
गठन
किया
गया।
विंध्य
प्रदेश
और
मध्य
भारत
के
हिस्सों
को
मिलाकर
एक
एकीकृत
राज्य
का
सपना
साकार
किया
गया।
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मध्य
प्रदेश
की
राजधानी
को
लेकर
इंदौर,
ग्वालियर,
जबलपुर
और
भोपाल
के
बीच
लंबे
समय
तक
चर्चा
हुई।
राज्य
पुनर्गठन
आयोग
ने
सभी
विकल्पों
पर
विचार
करते
हुए
यह
पाया
कि
भोपाल
में
प्रशासनिक
कार्यालयों
के
लिए
पहले
से
ही
पर्याप्त
भवन
और
सुविधाएं
उपलब्ध
थीं।
इसके
अलावा
भोपाल
का
भौगोलिक
स्थान
भी
राज्य
संचालन
के
लिए
उपयुक्त
था।
साथ
ही,
भोपाल
के
नवाब
भारत
में
विलय
को
तैयार
रहीं
थे।
ऐसे
में
उनको
नियंत्रित
करने
के
लिए
भी
इसे
राजधानी
बनाने
का
निर्णय
लिया
गया।
अंततः
1956
में
भोपाल
को
आधिकारिक
रूप
से
मध्य
प्रदेश
की
राजधानी
घोषित
कर
दिया
गया।
मध्य
प्रदेश
के
पहले
मुख्यमंत्री
पंडित
रविशंकर
शुक्ल
और
राज्यपाल
डॉक्टर
बी
पट्टाभिसीतारमैया
बने।
1
नवंबर
2000
से
अलग
होकर
छत्तीसगढ़
नया
राज्य
बना।
प्रदेश
की
सीमा
से
उत्तर
प्रदेश,
छत्तीसगढ़,
महराष्ट्र,
गुजरात
और
राजस्थान
जुड़ें
है।
इस
वर्ष
मध्य
प्रदेश
स्थापना
दिवस
के
अवसर
पर
कई
सांस्कृतिक
और
पारंपरिक
कार्यक्रम
आयोजित
किए
जा
रहे
हैं,
जो
राज्य
के
गौरवशाली
इतिहास
और
समृद्ध
सांस्कृतिक
धरोहर
का
परिचय
देंगे।
स्थापना
दिवस
पर
पूरे
प्रदेश
में
रैलियों,
झांकियों
और
विभिन्न
कार्यक्रमों
के
माध्यम
से
मध्य
प्रदेश
के
योगदान
और
विकास
को
प्रस्तुत
किया
जाएगा।