

शिवराज
सिंह,
भूपेंद्र
सिंह
और
वीडी
शर्मा
–
फोटो
:
सोशल
मीडिया
विस्तार
राज्यसभा
सांसद
व
कांग्रेस
के
वरिष्ठ
नेता
विवेक
तन्खा
द्वारा
दायर
किए
गए
दस
करोड़
रुपये के
मानहानि
के
मामले
में
एमपी-एमएलए
कोर्ट
ने
पूर्व
सीएम
शिवराज
सिंह
चौहान, भाजपा
प्रदेश
अध्यक्ष
विष्णुदत्त
शर्मा
और पूर्व
मंत्री
भूपेंद्र सिंह
के
खिलाफ
पांच-पांच
सौ
रुपये का
जमानती
वारंट
जारी
किया
है।
न्यायालय
ने
पाया
कि
आदेश के
बावजूद
भी
तीनों
अंडरटेडिंग
देने
व्यक्तिगत
रूप
से
उपस्थित
नहीं
हुए
हैं।
न्यायालय
ने
प्रकरण
में
अगली
सुनवाई
सात मई
को
निर्धारित
की
है।
उल्लेखनीय
है
कि
कांग्रेस
के
राज्यसभा
सदस्य
वरिष्ठ
अधिवक्ता
विवेक
कृष्ण
तन्खा
ने
एमपी-एमएलए
कोर्ट
जबलपुर
में
पूर्व
मुख्यमंत्री
शिवराज
सिंह
चौहान, भाजपा
प्रदेश
अध्यक्ष
वीडी
शर्मा
और
विधायक
भूपेंद्र
सिंह
के
खिलाफ
10
करोड़
की
मानहानि
का
परिवाद
दायर
किया
था।
परिवाद
में
कहा
गया
था
कि
सुप्रीम
कोर्ट
में
ओबीसी
आरक्षण
से
संबंधित
उन्होंने
कोई
बात
नहीं
कही
थी।
उन्होंने
मध्यप्रदेश
में
पंचायत
और
निकाय
चुनाव
मामले
में
परिसीमन
और
रोटेशन
की
मांग
करते
हुए
सुप्रीम
कोर्ट
में
पैरवी
की
थी।
सुप्रीम
कोर्ट
ने
चुनाव
में
ओबीसी
आरक्षण
पर
रोक
लगा
दी
तो
भाजपा
नेताओं
ने
साजिश
करते
हुए
इसे
गलत
ढंग
से
पेश
किया।
शिवराज
सिंह, वीडी
शर्मा
और
भूपेंद्र
सिंह
ने
गलत
बयान
देकर
ओबीसी
आरक्षण
पर
रोक
का
ठीकरा
उनके
सिर
फोड़
दिया, जिससे
उनकी
छवि
धूमिल
करके
आपराधिक
मानहानि
की
है।
एमपी-एमएलए
विशेष
कोर्ट
ने
20
जनवरी
को
तीनों
के
विरुद्ध
मानहानि
का
प्रकरण
दर्ज
करने
के
निर्देश
दिए
थे।
अंडरटेकिंग
देने
नहीं
हुए
उपस्थित
कोर्ट
ने
तीन
जनप्रतिनिधियों
को
22
मार्च
को
व्यक्तिगत
रूप
से
उपस्थित
के
निर्देश दिए थे।
निर्धारित
तिथि
को
तीनों
नेताओं
की
तरफ
से
गैर
हाजिरी
माफी
आवेदन
प्रस्तुत
किया
था, जिसमें
स्वयं
को
लोकसभा
चुनाव
में
व्यस्त
बताते
हुए
आग्रह
किया
था
कि
उन्हें
सात जून
तक
का
समय
प्रदान
किया
जाए।
न्यायालय
ने
आवेदन
को
स्वीकार
करते
हुए
निर्देश जारी
किए थे
कि
तीनों
नेता
दो अप्रैल
को
स्वयं
उपस्थित
होकर
इस
संबंध
में
अंडरटेकिंग
प्रस्तुत
करें।
उसके
बाद
दो अप्रैल
को
भी
तीनों नेता
कोर्ट
में
उपस्थित
नहीं
हुए।
न्यायालय
से
जिसे
गंभीरता
से
लेते
हुए
उनके
खिलाफ
जमानती
वारंट
जारी
करते
हुए
सात मई
को
व्यक्तिगत
रूप
से
उपस्थित
होने
के
निर्देश जारी
किए हैं।
हाईकोर्ट
से
नहीं
मिली
थी
राहत
तीनों
जनप्रतिनिधियों
ने
मानहानि
का
प्रकरण
दर्ज
किए जाने
के
खिलाफ
हाईकोर्ट
की
शरण
ली
थी।
तीनों
नेताओं
से
हाईकोर्ट
में
आवेदन
कर
आग्रह
किया
था
कि
प्रकरण
की
सुनवाई
के
दौरान
उन्हें
व्यक्तिगत
उपस्थिति
से
छूट
प्रदान
की
जाए।
याचिका
की
सुनवाई
करते
हुए
जस्टिस
संजय
द्विवेदी
की
एकलपीठ
ने
तीनों
नेताओं
को
लोकसभा
चुनाव
की
व्यस्तता
के
आधार
पर
हाजिरी
माफी
का
आवेदन
संबंधित
न्यायालय
के
समक्ष
प्रस्तुत
करने
के
निर्देश दिए थे।
हाईकोर्ट
में
याचिका
की
अगली
सुनवाई
23
अप्रैल
को
निर्धारित
कर
दी
थी।