
प्रतिकात्मक
तस्वीर
–
फोटो
:
istock
विस्तार
मध्य
प्रदेश
के
शासकीय
अस्पतालों
में
अमानक
दवाइयों
की
सप्लाई
ने
एक
गंभीर
विवाद
खड़ा
कर
दिया
है।
जीवन
रक्षक
दवाओं
के
परीक्षण
में
अमानक
पाई
जाने
वाली
10
दवाइयों
को
लेकर
मध्य
प्रदेश
शासकीय
स्वशासी
चिकित्सक
महासंघ
ने
मुख्यमंत्री
को
पत्र
लिखकर
कठोर
कार्रवाई
की
मांग
की
है।
महासंघ
ने
इस
स्थिति
को
मरीजों
की
जान
के
साथ
खिलवाड़
करार
देते
हुए
दोषी
दवा
निर्माता
कंपनियों
पर
एफआईआर
और
आजीवन
कारावास
जैसी
सख्त
सजा
की
मांग
की
है। शासकीय
अस्पतालों
में
मरीजों
के
इलाज
के
लिए
उपयोग
की
जाने
वाली
10
महत्वपूर्ण
जीवन
रक्षक
दवाओं
को
लैब
परीक्षण
में
अमानक
पाया
गया
है।
इस
स्थिति
से
मरीजों
की
जान
को
गंभीर
खतरा
उत्पन्न
हो
गया
है।
यह
मामला
तब
और
अधिक
गंभीर
हो
जाता
है
जब
इन
दवाओं
में
ओआरएस
जैसी
सामग्री
भी
शामिल
हो,
जिसका
दस्त
और
डायरिया
से
ग्रस्त
बच्चों
के
इलाज
में
विशेष
महत्व
है।
चिकित्सक
महासंघ
ने
यह
भी
दावा
किया
है
कि
गंभीर
मरीजों
पर
इन
दवाओं
का
प्रभाव
नहीं
हो
रहा
है,
जो
मरीजों
की
सेहत
को
और
भी
खतरनाक
बना
रहा
है।
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महासंघ
के
संयोजक
डॉ.
राकेश
मालवीय
ने
कहा
कि
गत
दिनों
में
लगातार
अमानक
दवाओं
की
आपूर्ति
ने
यह
सिद्ध
किया
है
कि
दवा
निर्माता
कंपनियों
पर
गुणवत्तापूर्ण
दवाइयों
के
उत्पादन
का
कोई
प्रभावी
नियंत्रण
नहीं
है।
महासंघ
का
मानना
है
कि
इस
स्थिति
में
दवा
निर्माता
कंपनियों
को
कठोर
सजा
मिलनी
चाहिए
ताकि
भविष्य
में
ऐसी
घटनाएं
न
हों। महासंघ
ने
मांग
की
है
कि
इस
मामले
में
दोषी
कंपनियों
और
उनके
निदेशकों
पर
तुरंत
एफआईआर
दर्ज
की
जाए।
अमानक
दवाइयां
सप्लाई
करने
वाली
कंपनियों
पर
आजीवन
कारावास
की
सजा
का
प्रावधान
करने
की
मांग
की
है।
इस
मामले
की
उच्च
स्तरीय
जांच
के
निर्देश
देने
की
भी
मांग
की
गई
है,
ताकि
दोषियों
को
कड़ी
से
कड़ी
सजा
मिल
सके।
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