मध्य
प्रदेश
सरकार
ने
मेडिकल
कॉलेजों
में
कार्यरत
प्रोफेसर
और
डॉक्टरों
को
लेकर
बड़ा
फैसला
किया
है।
अब
ऐसे
डॉक्टर
जो
केवल
ऑफिस
बैठकर
प्रशासनिक
काम
करते
हैं,
उन्हें
दोबारा
पढ़ाई
और
इलाज
से
जुड़ी
सेवाओं
में
लगाया
जाएगा।
सरकार
का
मानना
है
कि
डॉक्टरों
और
प्रोफेसरों
को
मरीजों
और
छात्रों
से
दूर
बैठाकर
बाबूगिरी
करवाना
मेडिकल
सेवाओं
और
शिक्षा
दोनों
के
लिए
नुकसानदायक
है। आयुष
विभाग
इसको
लेकर
प्रावधान
करने
जा
रहा
है।
इसमें
जिन
डॉक्टरों
के
पास
20
साल
से
कम
का
शिक्षण
अनुभव
है,
उन्हें
अब
65
की
बजाय
62
साल
की
उम्र
में
ही
सेवा
से
मुक्त
कर
दिया
जाएगा।
यह
नियम
आयुर्वेद
कॉलेजों
पर
भी
लागू
होगा।
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