
सावन
मास
में
आगामी
23
जुलाई
को
पड़ने
वाली
मासिक
शिवरात्रि
की
शाम
7
से
8
बजे
हर
घर
में
पूजा-अर्चना
की
गूंज
सुनाई
देगी।
देश-विदेश
में
बसे
श्रद्धालु
पार्थिव
शिवलिंग
बनाकर
भगवान
शिव
का
रुद्राभिषेक
करेंगे।
विज्ञापन
Trending
Videos
अंतरराष्ट्रीय
कथा
वाचक
पंडित
प्रदीप
मिश्रा
ने
छत्तीसगढ़
के
कोरबा
में
आयोजित
शिव
महापुराण
के
माध्यम
से
यह
संदेश
दिया
है
कि
सावन
मास
की
इस
पावन
शिवरात्रि
पर
पार्थिव
शिवलिंग
बनाकर
सामूहिक
रूप
से
उनका
अभिषेक
किया
जाए।
मान्यता
है
कि
सामूहिक
पूजा
से
आराध्य
देवता
शीघ्र
प्रसन्न
होते
हैं।
विज्ञापन
पिछले
छह
वर्षों
से
पंडित
मिश्रा
के
आह्वान
पर
देश-विदेश
में
करोड़ों
शिव
भक्तों
द्वारा
पार्थिव
शिवलिंग
निर्माण
कर
पूजन
किया
जा
रहा
है।
इस
बार
श्रद्धालुओं
में
पहले
से
दोगुना
उत्साह
देखा
जा
रहा
है।
प्रतिदिन
बड़ी
संख्या
में
श्रद्धालु
कांवड़
लेकर
चितावलिया
हेमा
स्थित
निर्माणाधीन
मुरली
मनोहर
और
कुबेरेश्वर
महादेव
मंदिर
पहुंच
रहे
हैं।
वहां
नियमित
रूप
से
नि:शुल्क
प्रसादी,
पेयजल,
नाश्ता
और
फलाहारी
की
व्यवस्था
की
गई
है।
ये
भी
पढ़ें: एग्जाम
देने
जा
रहे
छात्र
की
सड़क
हादसे
में
मौत,
घर
में
मचा
कोहराम
23
जुलाई
को
शिवभक्तों
का
दिव्य
अनुष्ठान
इस
वर्ष
का
आयोजन
23
जुलाई
बुधवार
को
शाम
7
से
रात
8
बजे
तक
किया
जाएगा।
पंडित
प्रदीप
मिश्रा
के
आह्वान
पर
‘हर-हर
महादेव,
घर-घर
महादेव’
के
संकल्प
के
साथ
देश-विदेश
में
बसे
भक्त
अपने-अपने
घरों
पर
पार्थिव
शिवलिंग
बनाएंगे
और
विधिपूर्वक
जलाभिषेक
करेंगे।
यह
आयोजन
यूट्यूब
और
फेसबुक
पर
लाइव
प्रसारित
किया
जाएगा।
पंडित
मिश्रा
ने
अपने
वीडियो
संदेश
में
भक्तों
से
अपील
की
है
कि
वे
पूजन
के
लिए
ब्राह्मणों
और
संतों
को
आमंत्रित
करें।
यदि
यह
संभव
न
हो,
तो
श्रद्धालु
टीवी
या
ऑनलाइन
माध्यम
से
पूजा-अर्चना
में
भाग
ले
सकते
हैं।
ये
भी
पढ़ें: झीलढाना
गांव
विकास
से
कोसों
दूर,
बरसात
में
टापू
बना
गांव,
उफनती
नदी
पार
कर
स्कूल
जाते
बच्चे
मासिक
शिवरात्रि
का
महत्व
समिति
के
मनोज
दीक्षित
‘मामा’
ने
बताया
कि
महाशिवरात्रि
शिवभक्तों
के
लिए
अत्यंत
महत्वपूर्ण
है।
पौराणिक
मान्यताओं
के
अनुसार,
इसी
दिन
मध्यरात्रि
को
भगवान
शिव
लिंग
रूप
में
प्रकट
हुए
थे।
यह
वह
क्षण
था
जब
ब्रह्मा
और
विष्णु
ने
पहली
बार
शिवलिंग
का
पूजन
किया।
प्रत्येक
वर्ष
एक
महाशिवरात्रि
और
11
मासिक
शिवरात्रियां
होती
हैं।
मासिक
शिवरात्रि
हर
माह
कृष्ण
पक्ष
की
चतुर्दशी
को
मनाई
जाती
है।
मान्यता
है
कि
इस
व्रत
को
करने
से
भगवान
शिव
प्रसन्न
होते
हैं।
देवी
लक्ष्मी,
सरस्वती,
इंद्राणी,
गायत्री,
सावित्री,
पार्वती
और
रति
ने
इस
व्रत
को
कर
शिव
कृपा
से
अनंत
फल
प्राप्त
किए
थे।
सीवन
नदी
के
तट
से
कांवड
लेकर
आने-जाने
वाले
श्रद्धालुओं
का
चल
रहा
सिलसिला