MP News: सौरभ शर्मा के ठिकानों पर छापे से नेताओं-अधिकारियों का गठजोड़ उजागर, दुबई शिफ्ट होने की थी तैयारी


परिवहन
विभाग
के
पूर्व
आरक्षक
सौरभ
शर्मा
और
उसके
करीबी
दोस्त
चेतन
सिंह
गौर
के
ठिकानों
पर
लोकायुक्त
द्वारा
मारे
गए
छापे
से
यह
खुलासा
हो
गया
है
कि
नेताओं-अधिकारियों
के
गठजोड़
ने
मध्यप्रदेश
में
बीते
कुछ
सालों
में
अरबों
का
भ्रष्टाचार
किया
है।
ऐसा
इसलिए
भी
कहा
जा
रहा
है
क्योंकि
सौरभ
शर्मा
की
नियुक्ति
से
लेकर
उसकी
पूरी
नौकरी
और
परिवहन
चेक
पोस्टों
पर
नियुक्तियां,
उगाही
से
लेकर
पैसों
की
बंदरबांट
का
पूरा
जिम्मा
यह
बताता
है
कि
प्रदेश
में
नेताओं
और
अधिकारियों
के
बीच
किस
कदर
गठजोड़
काम
कर
रहा
था।
आयकर
विभाग
को
मिली
54
किलो
सोना
और
दस
करोड़
रुपये
से
भरी
इनोवा
कार
चेतन
गौर
की
है
और
उसका
सोना

नकदी
सौरभ
शर्मा
की
निकली।
इस
खुलासे
के
बाद
आशंका
जताई
जा
रही
है
कि
सौरभ
शर्मा
के
यहां
लोकायुक्त
छापे
की
कार्रवाई
की
सूचना
लीक
हो
गई
थी?
यह
इसलिए
क्योंकि
इतनी
बड़ी
मात्रा
में
सोना
और
नकदी
सौरभ
शर्मा
और
उसके
करीबी
दोस्त,
पार्टनर
चेतन
सिंह
गौर
के
ठिकानों
पर
लोकायुक्त
छापे
से
पहले
ही
इनोवा
में
भरकर
घर
से
बाहर
कर
दी
गई
थी।


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जानकार
सूत्रों
का
कहना
है
कि
सौरभ
शर्मा
के
खिलाफ
जब
से
जांच
शुरू
हुई
थी,
तभी
से
वह
चौकन्ना
हो
गया
था।
इतना
ही
नहीं
गबन
में
फंसने
की
आशंका
के
चलते
ही
उसने
नौकरी
से
वीआरएस
लेकर
बिल्डर
बनना
चुना
था।
कुछ
महीनों
से
वह
दुबई
में
निवेश
करने
और
वहां
परिवार
सहित
शिफ्ट
होने
की
तैयारी
में
था,
ताकि
पूरी
काली
कमाई
को
देश
से
बाहर
निवेश
कर
बचाया
जा
सके।
शायद
लोकायुक्त
पुलिस
को
भी
इसकी
भनक
लग
गई
थी
कि
सौरभ
शर्मा
को
छापेमारी
की
तैयारी
की
भनक
है।
इसीलिए
लोकायुक्त
पुलिस
ने
आनन-फानन
में
प्रकरण
दर्ज
कर
छापा
मारा।


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डायरियों
में
दर्ज
नाम
आयकर
और
लोकयुक्त
के
रडार
पर

लोकायुक्त
के
छापे
में
सौरभ
शर्मा
के
यहां
से
लाल
और
नीली
रंग
की
डायरियां
मिली
हैं।
कहा
जा
रहा
है
कि
इन
डायरियों
में
नेताओं
और
परिवहन
विभाग
के
अधिकारियों
का
कब
कितना
हिस्सा
दिया
गया
और
किन
पार्टियों
या
नेताओं
को
कितना
चंदा
दिया
गया,
इसका
पूरा
हिसाब
है।
अब
लोकयुक्त
पुलिस
डायरियों
में
दर्ज
नेताओं

अधिकारियों
से
पूछताछ
की
हिम्मत
नहीं
जुटा
पा
रही,
लेकिन
अपने
स्तर
पर
पूरी
पड़ताल
शुरू
कर
दी
है।
इधर,
लोकायुक्त
पुलिस
ने
आयकर
विभाग
को
पत्र
लिखकर
कहा
है
कि
चूंकि
लोकायुक्त
छापे
के
बाद
सौरभ
शर्मा
का
54
किलोग्राम
सोना
और
करीब
दस
करोड़
रुपये
भोपाल
के
बाहर
भेजा
जा
रहा
था।
यानी
हमारी
कार्रवाई
के
बाद
यह
मूवमेंट
हुआ,
इसलिए
आयकर
विभाग
से
पहले
उक्त
जब्त
रकम

सोने
की
जांच
की
जिम्मेदारी
लोकायुक्त
की
है।
हालांकि,
अभी
दोनों
एजेंसियां
उक्त
सामान
को
लेकर
आगे
की
जांच
में
जुटी
हैं।
कहा
जा
रहा
है
कि
लोकायुक्त
के
रडार
पर
कई
नेता

अधिकारी
हैं,
जिनमें
कुछ
तो
सेवानिवृत्त
हो
चुके
हैं।


पूर्व
अफसर

पूर्व
मंत्री
से
कनेक्शन

आयकर
विभाग
ने
खनन
कारोबारी
राजेश
शर्मा
और
लोकायुक्त
ने
पूर्व
आरक्षक
सौरभ
शर्मा
पर
छापा
मारा
है।
इन
दोनों
ही
मामलों
में
दिलचस्प
पहलू
यह
है
कि
राजेश
शर्मा
के
तार
एक
वरिष्ठ
सेवानिवृत्त
अफसर
और
सौरभ
शर्मा
का
कनेक्शन
एक
पूर्व
मंत्री
से
जुड़ा
है।
परिवहन
विभाग
से
जुड़े
रहे
लोगों
को
का
कहना
है
कि
उन
नेता
के
कार्यकाल
में
ही
सौरभ
ने
मामूली
आरक्षक
से
सर्वेसर्वा
की
हैसियत
तक
पहुंच
गया।
इतना
माल
बना
लिया
कि
नौकरी
छोड़
दी
और
बिल्डर
बन
गया।
यह
सारा
खेल
तत्कालीन
मंत्री
के
एक
खास
व्यक्तियों
दो
आरटीओ
तथा
तीन
आरटीआई
के
साथ
मिल
कर
किया।

मां
और
पत्नी
स्कूल
में
चेयरपर्सन-डायरेटर

बीडीए
ने
एक
एनजीओ
को
शाहपुरा
के
बी
सेटर
में
करीब
20
हजार
वर्गफीट
जमीन
स्कूल
बनाने
के
लिए
आवंटित
की
थी।
इसके
साथ
तीन
साल
में
स्कूल
निर्माण
की
शर्त
रखी
गई
थी।
मौके
पर
पार्क
बना
था।
वर्ष
2022
में
स्कूल
का
निर्माण
शुरू
हो
गया।
यहां
एक
प्रतिष्ठित
स्कूल
खोलने
की
तैयारी
है।
इसके
लिए
वर्ष
2025
की
समय
सीमा
तय
की
गई
थी।
खास
बात
यह
है
कि
स्कूल
समिति
में
सौरभ
की
मां
चेयरपर्सन
और
पत्नी
डायरेक्टर
है।
स्कूल
निर्माण
के
विरोध
में
शाहपुरा
के
रहवासी

गए।
उनका
कहना
था
कि
बीडीए
ने
जब
यह
कॉलोनी
बनाई
तो
इस
भूमि
को
ओपन
स्पेस
बताया
था।
तत्कालीन
निगम
कमिश्नर
वीएस
चौधरी
कोलसानी
ने
बिल्डिंग
परमिशन
पर
रोक
लगा
दी
थी।
इसके
खिलाफ
एनजीओ
कोर्ट
चली
गई।
वहां
से
अनुमति
बहाल
हो
गई।
इसके
बाद
से
निर्माण
तेजी
से
चल
रहा
है।
रहवासियों
का
तर्क
यह
भी
है
कि
जमीन
आवंटन
तीन
साल
में
स्कूल
निर्माण
की
शर्त
के
साथ
किया
गया
था,
अब
इसे
दरकिनार
यों
किया
जा
रहा
है।


30
से
ज्यादा
लॉकर
मिले

राजेश
शर्मा
और
सौरभ
शर्मा
पर
कार्रवाई
में
30
से
बैंक
लॉकर
मिले
हैं।
जांच
एजेंसियां
सोमवार
से
लॉकर
खोलना
शुरू
कर
सकती
हैं।
इनमें
जमीनों
की
खरीद-फरोख्त
से
जुड़े
दस्तावेज
और
कैश

सोना
मिल
सकता
है।
वहीं
सौरभ
शर्मा
और
उसके
करीबी
चेतन
सिंह
गौर
के
ठिकानों
से
सैकड़ों
रजिस्ट्रियां
मिली
हैं।
ऐसे
ही
राजेश
शर्मा
से
जुड़े
लोगों
के
यहां
से
प्रॉपर्टी
के
दस्तावेज
मिले
हैं।
अब
प्रत्येक
खरीदार
को
नोटिस
भेज
कर
जांच
एजेंसियां
पूछताछ
के
लिए
बुला
सकती
हैं।
ऐसे
में
कई
और
बड़े
नाम
उजागर
हो
सकते
हैं।
इसके
आधार
पर
संभावना
जताई
जा
रही
है
कि
छापे
की
कार्रवाई
भले
ही
खत्म
हो
जाए,
लेकिन
जांच
लंबी
चलती
रहेगी।


बड़ी
रकम
विदेश
में
निवेश
की

सौरभ
शर्मा
को
लेकर
एक
और
बड़ी
जानकारी
सामने

रही
है
कि
उसे
नौकरी
से
वीआरएस
लेते
समय
ही
पता
चल
गया
था
कि
आने
वाले
दिनों
में
जांच
एजेंसियां
उसके
पीछे
पड़
सकती
हैं।
ऐसे
में
उसने
बड़ी
रकम
विदेश
में
निवेश
की
थी।
इसलिए
वह
बार-बार
दुबई
जाता
है।
सूत्रों
की
मानें
तो
वह
कुछ
सालों
में
परिवार
सहित
दुबई
में
बसने
की
फिराक
में
था।
उसने
कई
अफसरों,
नेताओं
का
पैसा
निवेश
किया
है

जमा
कर
रखा
है।
बताया
जा
रहा
है
कि
उसे
बड़ी
कार्रवाई
का
अंदेशा
होने
लगा
था।
ऐसे
में
वो
सारी
प्रॉपर्टी
बेचकर
दुबई
में
बसने
की
फिराक
में
था।


दुबई
से
वापस
लाने
की
तैयारी

सूत्रों
के
अनुसार
जिस
वक्त
लोकायुक्त
ने
सौरभ
शर्मा
के
घर

अन्य
ठिकानों
पर
छापा
मारा,
तब
वह
मुंबई
में
ही
था।
उसकी
मां
ने
भी
लोकायुक्त
पुलिस
को
यही
बताया
था।
हालांकि,
छापे
की
भनक
लगते
ही
वह
दुबई
भाग
गया।
इधर,
लोकायुक्त
के
साथ
ही
आयकर
विभाग
उसे
दुबई
से
वापस
देश
लाने
की
तैयारी
में
जुट
गया
है।
इसके
लिए
वहां
स्थित
एजेंसी
से
संपर्क
किया
जा
रहा
है।