उज्जैन
के
पाटीदार
हॉस्पिटल
में
संचालित
होने
वाले
मेडिकल
स्टोर की
एक
ऐसी
लापरवाही
सामने
आई
है,
जिसमें
मेडिकल
के
स्टॉफ
द्वारा
एक
हार्ट
पेशेंट
को
पर्ची
पर
लिखी
हार्ट
की
दवाई
की
बजाय
पेट
साफ
करने
की
दवा
दे
दी।
हार्ट
पेशेंट
पूरे
महीने
इस
गलत
दवाई
को
लेता
रहा
और
दर्द
के
कारण
तड़पता
रहा।
लेकिन
उन्हें
फिर
भी
आराम
नहीं
हुआ
तो
वह
डॉक्टर
के
पास
पहुंचे और
ली
जा
रही
दवाई
डॉक्टर
को
दिखाई।
डॉक्टर
ने
जब
इस
दवाई
को
देखा
तो
पूरा
मामला
सामने
आया।
क्योंकि
जो
दवाई
हार्ट
पेशेंट
के
द्वारा
ली
जा
रही
थी,
वह
हार्ट
की
नहीं
बल्कि
पेट
साफ
करने
की
थी।
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कलेक्ट्रेट
कार्यालय
में
गनमैन
संजीव
सोलंकी
के
पिता
गंगाराम
सोलंकी
कार्डियक
(दिल
की
बीमारी)
मरीज
हैं,
जिनका
उपचार
डॉ.
राज
शर्मा
द्वारा
किया
जा
रहा
है।
डॉक्टर
ने
उन्हें
हार्ट
की
दवा
लिखी
थी।
एक
महीने
से
दवा
फ्रीगंज
स्थित
पाटीदार
अस्पताल
के
पाटीदार
मेडिकोज
से
खरीदी
जा
रही
थी।
27
नवंबर
को
संजीव
सोलंकी
को
पता
चला
कि
दवा
हार्ट
की
नहीं,
बल्कि
पेट
साफ
करने
की
है।
विज्ञापन
संजीव
सोलंकी
ने
मामले
की
शिकायत
मुख्य
स्वास्थ्य
एवं
चिकित्सा
अधिकारी
के
साथ
खाद्य
एवं
औषधि
प्रशासन
अधिकारियों
से
की।
मामला
कलेक्टर
नीरज
कुमार
सिंह
के
संज्ञान
में
पहुंचा
तो
कार्रवाई
के
निर्देश
जारी
किए गए।
ड्रग
इंस्पेक्टर
धर्मेन्द्र
कुशवाह
और
प्रभारी
सीएमएसओ
डॉ.
एसके
सिंह
27
नवंबर
की
रात
10
बजे
मेडिकल
सील
करने
पहुंचे।
जहां
हंगामे
की
स्थिति
बन
गई
थी।
पाटीदार
अस्पताल
में
70
मरीज
कार्डियक के
भर्ती
थे।
उनकी
दवा
पाटीदार
मेडिकोज
से
सप्लाई हो
रही
थी, जिसके
चलते
स्वास्थ्य
विभाग
की
टीम
ने
नोटिस
जारी
किया
और
24
घंटे
में
गलत
दवा
देने
के
मामले
में
जवाब
प्रस्तुत
करने
को
कहा।
जवाब
नहीं
मिलने
पर
दोबारा
नोटिस
जारी
किया
गया,
उसका
जवाब
भी
नहीं
दिया
गया।
उसके
बाद
मुख्य
चिकित्सा
एवं
स्वास्थ्य
अधिकारी
डॉ.
अशोक
कुमार
पटेल
के
मार्गदर्शन
में
औषधि
निरीक्षक
धर्मेन्द्र
सिंह
कुशवाह
की
टीम
पाटीदार
मेडिकोज
पहुंची
और
सील
करने
की
कार्रवाई
की।
इन
धाराओं
के
तहत
हुई
कार्रवाई
औषधि
निरीक्षक
धर्मेन्द्र
कुशवाह
ने
बताया
कि
मेडिकोज
का
लाइसेंस
15
दिन
के
लिए सस्पेंड
किया
गया
है।
मेडिकोज
संचालक
जितेन्द्र
पाटीदार
हैं,
जो
दो फॉर्मासिस्ट और
आठ कर्मचारियों
के
साथ
मेडिकोज
संचालित
कर
रहा
था।
मेडिकोज
सील
करने
के
साथ
लाइसेंस
निरस्त
करने
की
कार्रवाई
औषधि
एवं
प्रसाधन
सामग्री
अधिनियम
1940
नियमावली
1945
के
प्रावधानों
के
अंतर्गत
की
गई
है।
कार्रवाई रोकने
के
लिए
मरीज
का
इलाज
चलने
की
कही
थी
बात
एक
महीने
तक
हार्ट
के
मरीज
को
गलत
दवा
देने
वाले
मेडिकोज
पर
27
नवंबर
को
पहुंची
टीम
पर
मेडिकल
वालों
ने
कार्रवाई
रोकने
के
लिए पहले
तो
जनप्रतिनिधियों
के
माध्यम
से
दबाव
बनाया।
लेकिन
इसके
बावजूद
भी
जब
कार्रवाई
नहीं
रुकी
तो
अस्पताल
में
भर्ती
70
से
80
मरीज
के
उपचार
की
बात
कही
गई।
लेकिन
जिम्मेदारों
ने
मेडिकल
स्टॉफ
की
कोई
बात
नहीं
सुनी
और
उसे
सील
कर
दिया।
यहां
सवाल
यह
उठता
है
कि
मरीज
को
गलत
दवाई
देने
वाले
इस
मेडिकल
के
स्टॉफ
और
संचालक
की
आखिर
क्या
जिम्मेदारी
है।
अगर
गलत
दवाई
लेने
से
मरीज
के
साथ
कोई
अनहोनी
घटना
घटित
हो
जाती
तो
इसका
जिम्मेदार
आखिर
कौन
होता?