
दमोह
के
जिला
चिकित्सालय
में
नई
ब्लड
बैंक
यूनिट
बनकर
तैयार
है।
–
फोटो
:
अमर
उजाला
विस्तार
दमोह
जिला
अस्पताल
को
नई
सौगात
मिलने
वाली
है।
यहां
पर
लंबे
इंतजार
के
बाद
नई
ब्लड
बैंक
यूनिट
तैयार
हो
गई
है।
अगले
महीने
14
जून
को
विश्व
रक्तदान
दिवस
पर
उसका
शुभारंभ
होगा।
कई
अत्याधुनिक मशीनें
भी
लगाई
जाएंगी।
नए
ब्लड
बैंक
में
एक
साथ
20
व्यक्ति
रक्तदान
कर
सकेंगे।
इसके
साथ
ही
कंपोनेंट
सेपरेशन
यूनिट
भी
इसमें
इंस्टॉल
होगी।
इससे
मरीजों
को
प्लाज्मा,
प्लेटलेट्स
और
आरबीसी
अलग-अलग
जरूरत
के
हिसाब
से
दिया
जा
सकेगा।
अस्पताल
प्रबंधन
ने
लाइसेंस
की
प्रक्रिया
पूरी
कर
ली
है।
इसके
लिए
फर्नीचर
से
लेकर
उपकरण
तक
अहमदाबाद
से
बुलाए
गए
हैं।
काफी
पुराना
हो
गया
वर्तमान
ब्लड
बैंक
वर्तमान
में
जिला
अस्पताल
में
जो
ब्लड
बैंक
है।
वह
अस्पताल
की
स्थापना
के
समय
का
है।
इसमें
मशीनें
भी
एडवांस
नहीं
हैं।
पी-आरबीसी
व
प्लाज्मा और
प्लेटलेट्स
अलग-अलग
निकालने
के
लिए
मशीनें
नहीं
हैं।
ऐसे
में
मरीजों
को
निजी
लैब
या
फिर
जबलपुर
जाना
पड़ता
है,
लेकिन
अब
यह
सुविधा
जिला
अस्पताल
में
होने
से
लोगों
को
बाहर
नहीं
जाना
पड़ेगा।
जिला
अस्पताल
के
आरएमओ
डॉ.
विशाल
शुक्ला
ने
बताया
कि
नए
ब्लड
बैंक
में
कंपोनेंट
सेपरेशन
यूनिट
लगाई
जाएगी।
इसमें
डबल
बैग
में
ब्लड
लेकर
उसे
प्रोसेस
कर
आरबीसी
व
प्लाज्मा
इश्यू
करना
शुरू
कर
दिया
जाएगा।
प्लाज्मा
का
उपयोग
कभी
भी
किया
जा
सकेगा।
उन्होंने
बताया
कि
डेंगू
और
चिकनगुनिया
के
मौसम
में
जब
मरीज
बढ़
जाते
हैं
तो
उन्हें
प्लेटलेट्स
की
जरूरत
होती
है,
उस
समय
ट्रिपल
बैग
में
ब्लड
लेकर
रखा
जाएगा।
मरीजों
को
अलग
से
प्लेटलेट्स
उपलब्ध
करा
दिया
जएगा।
डॉ.
शुक्ला
ने
बताया
कि
कंपोनेंट
सेपरेशन
यूनिट
पूरी
तरह
शुरू
होने
के
बाद
एक
यूनिट
ब्लड
को
पी-आरबीसी,
प्लाज्मा
व
प्लेटलेट्स
में
बदलकर
तीन
मरीजों
के
लिए
उपयोग
में
लाया
जा
सकेगा।
इन
मरीजों
को
होगा
फायदा
-
पी-आरबीसी-एनीमिया
व
खून
की
कमी
के
रोगियों
को।
-
प्लाज्मा
बर्न
व
ब्लडिंग
डिसऑर्डर
के
मरीजों
को। -
प्लेटलेट्स-
डेंगू,
चिकनगुनिया
आदि
के
मरीजों
को।
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कंपोनेंट
यूनिट
मशीन
में
ब्लड
को
घुमाया
जाता
है
डॉ.
शुक्ला
ने
बताया
कि
ब्लड
में
तीन
कंपोनेंट
होते
हैं।
इनमें
पैक्ड
रेड
ब्लड
सेल
(पी-आरबीसी),
प्लाज्मा
और
प्लेटलेट्स
शामिल
हैं।
यूनिट
में
ब्लड
को
घुमाया
जाता
है।
इससे
ब्लड
परत-दर-परत
अलग
हो
जाता
है,
जिसमें
पी-आरबीसी,
प्लाज्मा,
प्लेटलेट्स
अलग-अलग
हो
जाते
हैं।
रक्त
के
प्रत्येक
तत्व
की
अलग-अलग
जीवन
अवधि
होती
है।
जिसे
जरूरत
के
मुताबिक
मरीजों
को
दिया
जाता
है।
इससे
रोगियों
को
तेजी
से
फायदा
होता
है।