
अक्षय
तृतीया।
–
फोटो
:
अमर
उजाला।
विस्तार
बुंदेलखंड
में
अक्षय
तृतीया
पर
मिट्टी
से
बने
गुड्डे
गुड़ियों
का
विवाह
कराने
की
परंपरा
है।
शुक्रवार
को
पर्व
के
मौके
पर
दमोह
के
कई
मंदिरों
में
महिलाओं
और
छोटी
बच्चियों
ने
बरिया
के
पेड़
के
नीचे
बैठकर
इन
गुड्डा
गुड़ियों
का
विवाह
कराया।
महिलाओं
ने
मिट्टी
घड़े
भरकर
आम,
पीपल,
बरिया
के
पेड़
के
नीचे
बैठकर
यह
विवाह
रचाया
और
वैवाहिक
रस्में
निभाई।
इसके
बाद
वहीं
पर
बैठकर
भोजन
किया।
महिलाओं
और
बच्चियों
ने
गुड्डे
गुड़ियों
को
आकर्षक
परिधानों
में
सजाया
था।
दमोह
के
बड़े
पुल,
जटाशंकर
मंदिर
और
बड़ी
देवी
मंदिर
में
लगे
बरिया
के
पेड़
के
नीचे
शाम
के
समय
बड़ी
संख्या
में
महिलाएं
और
छोटी
बच्चियों
इन
गुड्डा,-गुड़ियों
के
दूल्हा,दुल्हन
के
लिबास
में
सजाकर
लेकर
पहुंची
थीं।
दरअसल
अक्षय
तृतीया
पर्व
पर
बिना
मुहूर्त
के
विवाह
होता
है,
यह
दिन
विवाह
के
लिए
काफी
शुभ
माना
जाता
है,
लेकिन
ग्रह
नक्षत्रों
के
कारण
यह
कई
वर्ष
बाद
पहला
अवसर
आया
है
जब
अक्षय
तृतीया
पर
विवाह
कार्यक्रम
संपन्न
नहीं
हुए।
ग्रामीण
क्षेत्रों
में
अक्षय
तृतीया
के
मौके
पर
नाबालिग
बच्चों
का
विवाह
भी
प्रशासन
की
नजर
से
बचकर
चोरी
छिपे
किया
जाता
है,
लेकिन
इस
बार
कलेक्टर
ने
इन
बाल
विवाह
को
रोकने
के
लिए
विशेष
टीम
तैयार
की
थी,
जिसके
कारण
कहीं
भी
कोई
बाल
विवाह
संपन्न
नहीं
हो
सका।आंगनवाड़ी
कार्यकर्ताओं
एवं
पर्यवेक्षकों
की
ड्यूटी
विभिन्न
धार्मिक
स्थलों
एवं
ग्रामीण
क्षेत्रों
में
लगाई
गई
ताकि
बाल
विवाह
करने
वाले
परिजनों
को
समझाईश
देकर
बाल
विवाह
रोका
जा
सके।