Khandwa: दलबदल कर बीजेपी में शामिल हुई विधायक छाया मोरे ने विकास कार्य में लगाए भेदभाव के आरोप, की ये मांग

मध्यप्रदेश
में
मोहन
यादव
की
सरकार
प्रदेश
में
विकास
के
लाख
दावे
करे,
लेकिन
प्रदेश
के
खंडवा
जिले
में
जमीनी
हकीकत
इससे
ठीक
उलट
नजर

रही
है।
यहां
दलबदल
कर
कांग्रेस
से
बीजेपी में
शामिल
हुईं,
आदिवासी
बहुलता
वाले
क्षेत्र
से
विधायक
ने
जिले
के
आला
अधिकारियों
पर,
उनकी
विधानसभा
में
विकास
कार्यों
में
भेदभाव
के
आरोप
लगाए
हैं।

वहीं,
इसको
लेकर
उन्होंने
जिला
पंचायत
सीईओ
को
एक
ज्ञापन
सौंपकर
उनकी
विधानसभा
की
दोनों
जनपदों
में
बीते
दो साल से
रुके
हुए
कार्यों
को
स्वीकृत
करने
की
गुहार
भी
लगाई
है।
हालांकि,
जब
उन्हें
याद
दिलाया
गया
कि
वे
तो
सत्ताधारी
दल
से
ही
विधायक
हैं,
तब
वे
सवालों
से
बचते
हुए
सरकार
के
कामों
की
तो
तारीफ
करती
रहीं। लेकिन
फिर
भी
आलाधिकारियों
से
कुंठित
ही
नजर
आईं।

खंडवा
जिले
की
पंधाना
विधानसभा
से
विधायक
छाया
मोरे
को,
प्रदेश
में
अपनी
ही
सरकार
होने
के
बावजूद
विधानसभा
क्षेत्र
में विकास
कार्यों
को
करवाने
में
कड़ी
मशक्कत
का
सामना
करना
पड़
रहा
है।
विधायक
मोरे
अपने
विधानसभा
क्षेत्र
की
दो
जनपद
पंचायतों
के
अंतर्गत
आने
वाले
करीब
69
गांवों
के
जनप्रतिनिधियों
के
साथ
बुधवार
को
खंडवा
कलेक्टर
कार्यालय
पहुंची और
दोनों
ही
जनपद
पंचायतों
को
बजट
आवंटित
करने
को
लेकर
जिला
पंचायत
सीईओ
को
एक
ज्ञापन
सौंपा।
उन्होंने
ज्ञापन
के
माध्यम
से
बताया
कि
जिले
की
सभी
विधानसभाओं
में
स्थित
जनपद
पंचायतों
को
वहां
होने
वाले
विकास
कार्यों
के
लिए
फंड
दिया
जा
रहा
है।
लेकिन
उनकी
विधानसभा
के
साथ
भेदभाव
किया
जा
रहा
है।
उनके
अनुसार
पंधाना
विधानसभा
में
जो
दो
जनपद
पंचायतें
आती
हैं,
उन्हें
बीते
दो
सालों
से
बजट
ही
नहीं
दिया
जा
रहा
है।

वहीं,
मीडिया
से
बातचीत
में
विधायक
छाया
मोरे
ने
बताया
कि उनकी
जनपदों
के
सरपंच
लोग
ऊनसे
मिले
थे। तब
उन्होंने
हमसे
कहा
कि
जब
सभी
दूर
पक्के
काम
हो
रहे
हैं,
जिनमें
खंडवा,
खालवा
और
मांधाता
सभी
जगह
पक्के
काम
हो
रहे
हैं।
लेकिन
सिर्फ
पंधाना
विधानसभा
की
ही
दोनों
जनपदों
में
पक्के
काम
बंद
हैं और
कच्चे
काम
भी
यहां
नहीं
दिए
जा
रहे
हैं तो
हमारे
विधानसभा
के
सरपंचों
की
मांग
है
कि
जो
छोटे-मोटे
काम
है,
जिनमें
सड़क,
नाली
वगैरह
हैं।
वे
काम
उन्हें
दिए
जाने
चाहिए।
उसको
लेकर
आज
बैठक
भी
है
तो
उनकी
बात
को
बैठक
में
भी
रख
देंगे
और
ज्ञापन
भी
दे
देंगे।
हालांकि,
जब
उन्हें
याद
दिलाया
गया
कि
उनकी
सरकार
है,
तब
वे
सवालों
से
बचते
नजर
आईं और
कहा
कि
सरकार
तो
अपना
काम
कर
ही
रही
है। लेकिन
कामों
के
लिए
आगे
बातचीत
भी
करना
पड़ती
है।