माधव
नगर
पुलिस
ने
वाहन
फाइनेंस
धोखाधड़ी
के
एक
बड़े
खेल
का
भंडाफोड़
किया
है।
बुधवार
रात
पुलिस
ने
एक
ही
रजिस्ट्रेशन
नंबर
(MP
09-CB-1212)
पर
चल
रही
दो
इनोवा
गाड़ियों
को
जब्त
किया।
इनमें
से
एक
गाड़ी
इंदौर
की
है,
जिसे
किस्तों
के
बकाया
रहने
पर
फाइनेंस
कंपनी
तलाश
रही
थी।
आरोपी
गाड़ी
का
नंबर
बदलकर
उसे
उज्जैन
में
चला
रहे
थे
ताकि
पहचान
छुपाई
जा
सके।
शिकायत
के
बाद
पुलिस
हरकत
में
आई
बुधवार
शाम
माधव
नगर
पुलिस
को
एक
फाइनेंस
कंपनी
के
प्रबंधक
से
शिकायत
मिली
थी,
जिसमें
बताया
गया
कि
उज्जैन
में
एक
ही
नंबर
की
दो
गाड़ियां
देखी
गई
हैं।
जानकारी
मिलते
ही
पुलिस
ने
तलाशी
अभियान
चलाया
और
दोनों
इनोवा
गाड़ियों
को
अंजुश्री
कॉलोनी
से
बरामद
कर
थाने
ले
आई।
किराए
पर
चला
रहे
थे
गाड़ियां
पुलिस
जांच
में
सामने
आया
कि
दोनों
गाड़ियाँ
अंजुश्री
कॉलोनी
निवासी
सुनील
रायकवार
और
उसका
भाई
सोनू
किराए
पर
चला
रहे
थे।
इनमें
से
एक
वाहन
सुनील
और
सोनू
के
नाम
पर
है,
जबकि
दूसरी
गाड़ी
उनकी
मामी
शीला
रायकवार
(निवासी
इंदौर)
के
नाम
पर
पंजीकृत
है।
पुलिस
का
कहना
है
कि
फाइनेंस
कंपनी
को
इंदौर
वाली
गाड़ी
की
तलाश
थी,
जिसे
जानबूझकर
उज्जैन
लाकर
उसी
नंबर
प्लेट
के
साथ
चलाया
जा
रहा
था।
पढ़ें: न्यायमूर्ति
संजीव
सचदेवा
ने
बने
मप्र
हाईकोर्ट
के
मुख्य
न्यायाधीश,
राज्यपाल
मंगुभाई
पटेल
ने
दिलाई
शपथ
रिश्तेदारी
का
सहारा
लेकर
गुमराह
किया
गया
टीआई
राकेश
भारतीय
ने
बताया
कि
यह
पूरी
योजना
फाइनेंस
कंपनी
को
गुमराह
करने
की
सोची-समझी
कोशिश
थी,
जिसमें
रिश्तेदारों
का
सहारा
लेकर
वाहन
को
छिपाया
गया।
जांच
में
यह
भी
सामने
आया
कि
दोनों
वाहनों
के
रंग
और
मॉडल
में
अंतर
था,
जिससे
पुलिस
को
शक
हुआ
और
मामले
का
खुलासा
हो
गया।
जांच
में
जुटी
पुलिस,
और
खुलासे
संभव
पुलिस
ने
दोनों
वाहनों
को
जब्त
कर
मालिकों
को
थाने
बुलाया
है।
साथ
ही
फाइनेंस
कंपनी
के
अधिकारियों
को
भी
बयान
के
लिए
बुलाया
गया
है।
पुलिस
अब
यह
पता
लगाने
में
जुटी
है
कि
क्या
यह
कोई
संगठित
गिरोह
है,
जो
इसी
तरह
अन्य
शहरों
में
भी
फाइनेंस
गाड़ियाँ
छुपाकर
चला
रहा
है।
धोखाधड़ी
का
नया
तरीका
पुलिस
का
मानना
है
कि
यह
फाइनेंस
कंपनियों
को
चकमा
देने
का
नया
ट्रेंड
बनता
जा
रहा
है,
जिसमें
वाहन
खरीदने
के
बाद
किश्तें
न
चुकाकर
नंबर
प्लेट
बदल
दी
जाती
है
और
गाड़ी
को
दूसरे
शहर
में
चलाया
जाता
है।
इससे
वाहन
की
लोकेशन
ट्रेस
करना
मुश्किल
हो
जाता
है।
चेतावनी
का
संकेत
यह
मामला
फाइनेंस
कंपनियों
के
लिए
एक
चेतावनी
है
कि
वे
अपने
बकाया
वाहनों
पर
निगरानी
प्रणाली
मजबूत
करें।
साथ
ही
वाहन
खरीदने
वालों
को
भी
समझना
चाहिए
कि
ऐसे
मामलों
में
कानूनी
कार्रवाई
से
बचना
मुश्किल
होता
है।