राजधानी
भोपाल
स्वच्छता
सर्वेक्षण
2024-25
में
कड़ी
मेहनत
के
बाद
तीन
पायदान
की
वृद्धि
की
है।
भोपाल
को
स्वच्छता
सर्वेक्षण
2024
में
देश
का
सबसे
साफ
शहर
घोषित
किया
गया
है।
10
लाख
से
अधिक
आबादी
वाले
शहरों
की
कैटेगरी
में
भोपाल
ने
दूसरा
स्थान
पाया
है।
पिछले
साल
भोपाल
5वें
स्थान
पर
था।
स्वच्छ
भारत
मिशन
के
तहत
भोपाल
नगर
निगम
की
ओर
से
वो
कौन
से
प्रयोग
किए
गए
थे,
जिनकी
बदौलत
भोपाल
ने
छलांग
लगाकर
सीधे
देश
में
दूसरे
साफ
शहर
का
खिताब
हासिल
कर
लिया।
इससे
बड़ा
सवाल
है
वह
कौन
सी
कमी
रह
गई
जिसके
कारण
भोपाल
नंबर
वन
पर
नहीं
पहुंच
पाया
और
भोपाल
को
आगे
नंबर
वन
पर
पहुंचने
के
लिए
क्या
करना
चाहिए।
भोपाल
के
पास
सबसे
बड़ी
चुनौती कचरे
का
सेग्रीगेशन
करना
है।
पिछले
दिनों
आदमपुर
छावनी
में
कचरे
के
पहाड़
में
आग
लग
गई।
तीन-चार
दिन
इलाके
में
धुआं
रहा।
गर्मी
में
यहां
एक-दो
बार
आग
लगना
आम
बात
है।
इस
प्रकार
और
भी
कई
चुनौतियां
हैं
जिनसे
भोपाल
को
निपटना
होगा।
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पीछे
रहने
के
मुख्य
कारण
–
निगम
अमला
सेग्रीगेशन
के
लिए
सख्ती
नहीं
करता।
जिस
वजह
से
लोग
भी
लापरवाह
हैं।
–
भोपाल
में
कचरा
कलेक्शन
की
गाड़ियों
की
जीपीएस
लगे
हैं,
लेकिन
मॉनिटरिंग
नहीं
होती।
–
आदमपुर
छावनी
में
कचरा
प्रोसेसिंग
के
लिए
निगम
ने
जिस
भी
कंपनी
को
लगाया
वह
फेल
हो
गई।
–
भोपाल
में
पहले
भानपुर
में
कचरा
डाला
जाता
था,
अब
आदमपुर
में
पहाड़
जैसा
ढेर
बन
रहा
है।
क्योंकि
कचरा
प्रोसेस
नहीं
हो
रहा।
–
भोपाल
में
सिर्फ
प्लानिंग
हुई
भोपाल
ने
2017
में
कचरे
से
बिजली
बनाने
का
प्रोजेक्ट
बनाया,
जो
धरातल
पर
नहीं
उतर
सका।
–
चार
साल
पहले
चारकोल
बनाने
का
प्रोजेक्ट
आया,
पर
प्लांट
निर्माण
ही
शुरू
नहीं
हुआ
है।
–
सीएनजी
स्
सिटी
बसें
चलाने
का
की
प्लानिंग
7
साल
पहले
बनी,
पर
अभी
तक
कुछ
नहीं
हो
पाया।
–
भोपाल
में
सिर्फ
20
से
30
प्रतिशत
ही
कचरा
सही
से
अलग
हो
पाता
है।
सूखा
और
गीला
कचरा
एक
साथ
ही
जाता
है।
अगर
नंबर
वन
पर
आना
है
तो
क्या
करना
होगा
–
आगे
अगर
नंबर
वन
पर
आना
है
तो
कचरे
का
सेग्रीगेशन
करना
सबसे
बड़ी
चुनौती
है।
जिसे
हरना
होगा।
पिछले
दिनों
आदमपुर
छावनी
में
कचरे
के
पहाड़
में
आग
लग
गई।
तीन-चार
दिन
इलाके
में
धुआं
रहा।
गर्मी
में
यहां
एक-दो
बार
आग
लगना
आम
बात
है।
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–
चारकोल
प्लांट
और
सीएनजी
प्लांट
जल्द
शुरू
करना
होगा।
हालांकि
दोनो
ही
प्लांट
पर
तेजी
से
काम
चल
रहा
है।
–
सफाई
का
बजट
बढ़ाना
होगा
और
उसे
पूरा
खर्च
करना
होगा।
हालांकि
पिछले
बजट
में
केवल
3
प्रतिशत
खर्च
हुआ
था
जोकि
काफी
कम
है।
भोपाल
में
सफाई
का
बजट
सिर्फ
50-55
करोड़
है।
–
गीले
और
सूखे
कचरे
को
लेकर
निगम
ने
कारगर
कदम
आगे
बढ़ाना
होगा।
जिससे
रैंकिंग
में
और
सुधार
होगा।
–
पब्लिक
टॉयलेट
की
सफाई
में
में
बेहतर
करना
होगा।
–
आदमपुर
छावनी
को
कचरामुक्त
करना
होगा।
कई
टन
कचरा
पड़ा
होने
से
आदमपुर
समेत
आसपास
के
गांवों
का
भूजल
भी
प्रदूषित
हो
गया
है।
कचरा
जलाने
से
हवा
भी
दूषित
हो
रही
है।
–
शहर
के
कई
इलाकों
में
अभी
भी
सीवेज
की
समस्या
है।
बारिश
के
दिनों
में
सीवेज
का
पानी
सड़कों
पर
आ
जाता
है।
।
–
प्रतिबंधित
पॉलिथीन
का
उपयोग
खुलेआम
हो
रहा।
इस
पर
उतनी
सख्ती
नहीं
हुई,
जितनी
जरूरी
थी।
–
कई
क्षेत्रों
में
खुले
में
कचरा
फेंका
जा
रहा।
इस
पर
सही
ढंग
से
पाबंदी
नहीं
लग
पाई।
यह
भी
पढ़ें-भोपाल
ने
एक
साल
में
3
पायदान
की
लगाई
छलांग,बना
देश
में
दूसरे
नंबर
का
साफ
शहर
स्वच्छ
सर्वेक्षण
में
भोपाल
का
अब
तक
का
सफर
स्वच्छ
सर्वेक्षण
में
भोपाल
ने
2017
और
2018
में
लगातार
दो
साल
देश
में
दूसरी
रैंक
हासिल
की
थी।
2019
में
भोपाल
खिसककर
19वें
नंबर
पर
आ
गया
था।
उस
समय
अफसरों
के
लगातार
तबादले
के
कारण
तैयारियों
की
दिशा
ही
तय
नहीं
हो
पाई
थी,
लेकिन
2020
में
कम
बैक
करते
हुए
12
पायदान
ऊपर
खिसका
और
7वीं
रैंक
हासिल
की।
2021
के
सर्वेक्षण
में
भी
भोपाल
ने
7वां
स्थान
हासिल
किया
था।
2022
के
सर्वेक्षण
में
भोपाल
की
रैंक
सुधरी
और
यह
छठें
स्थान
पर
आ
गया।
वहीं,
भोपाल
को
5
स्टार
मिला।
2024
में
एक
पायदान
और
सुधार
हुआ
और
पांचवीं
रैकिंग
रही।
इस
बार
और
सुधार
हुआ
और
दूसरे
पायदान
तक
पहुंचा
है।