
जर्जर
हो
गई
कुएं
की
दीवार
विस्तार
दमोह
शहर
में
अनेक
प्राचीन
कुएं-बावड़ियां
हैं,
जिनका
संरक्षण
न
होने
से
उनका
अस्तित्व
खत्म
होता
जा
रहा
है।
इनमें
से
ही
पुराना
बाजार
स्थित
1428
में
बना
मछरया
कुआं
भी
है
जो
शहर
का
सबसे
प्राचीन
कुआं
है।
इस
कुएं
से
ही
वार्ड
पहचाना
जाता
है।
यहां
कभी
मछली
बेची
जाती
थी
जिससे
कुएं
को
पहचान
मिली।
596
वर्ष
प्राचीन
इस
कुएं
का
निर्माण
सन
1428
में
किया
गया
था।
शिलालेख
कुछ
वर्ष
पहले
तक
यहां
थे।
25
साल
पहले
यह
कुआं
लोगों
के
पेयजल
का
प्रमुख
साधन
था।
पानी
नीचे
पहुंचने
पर
लोग
सीढ़ियों
के
सहारे
नीचे
उतरकर
पानी
भरते
थे।
पहले
इस
कुएं
के
पास
मछली
बेची
जाती
थी,
इसलिए
इसका
नाम
मछरया
कुआं
पड़
गया।
पुराना
बाजार
दो
स्थित
इस
कुएं
से
ही
इस
वार्ड
की
पहचान
है।
यदि
किसी
को
पुराना
बाजार
के
पते
पर
जाना
है
तो
उसे
मछरया
कुआं
का
नाम
लेना
पड़ता
है।
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वर्तमान
में
यह
कुआं
चारों
ओर
से
जर्जर
हो
गया
है।
इसकी
दीवारें
कमजोर
होकर
एक
तरफ
से
गिरने
लगी
हैं।
इसके
आसपास
रहने
वाले
लोगों
को
खतरा
बना
हुआ
है।
यहां
एक
आंगनवाड़ी
केंद्र
भी
है। स्थानीय
निवासी
सोनू,
आनंद
नामदेव,
देवेश
खरे
ने
बताया
कि
प्रशासन
को
समय
रहते
इस
कुएं
का
जीर्णोद्धार
कराना
चाहिए।
इसके
चारों
ओर
सुरक्षा
के
प्रबंध
करना
चाहिए
ताकि
कोई
बड़ा
हादसा
न
हो
सके।
रानी
दुर्गावती
संग्रहालय
के
परिचायक
सुरेंद्र
चौरसिया
ने
बताया
कि
यह
कुआं
पुरातत्व
के
अधीन
नहीं
आता।
इस
वजह
से
संरक्षित
नहीं
है।
कुएं
के
प्राचीन
होने
की
जानकारी
उनके
रिकार्ड
में
नहीं
है।
लेकिन
कुएं
का
नाम
बहुत
प्रचलित
है
इसका
संरक्षण
होना
बेहद
जरूरी
है।