मध्यप्रदेश
के
दतिया
जिले
से
एक
बेहद
मार्मिक
तस्वीर
सामने
आई
है,
जो
प्रशासन
की
लापरवाही
और
विकास
के
दावों
की
पोल
खोल
रही
है।
यहां
एक
महिला
के
निधन
के
बाद
शव
का
अंतिम
संस्कार
तिरपाल
के
नीचे
करना
पड़ा,
क्योंकि
गांव
में
न
तो
पक्का
मुक्तिधाम
है
और
न
ही
बारिश
से
बचाव
का
कोई
स्थाई
इंतजाम।
दरअसल,
शुक्रवार
शाम
को
जब
60
वर्षीय
अवध
बाई
अहिरवार
का
अंतिम
संस्कार
किया
जा
रहा
था,
तभी
अचानक
बारिश
शुरू
हो
गई,
जिससे
चिता
भीग
गई
और
आग
जलाने
में
कठिनाई
होने
लगी।
गांव
में
पक्का
मुक्तिधाम
नहीं
होने
के
कारण
ग्रामीणों
ने
बांस-बल्लियों
और
तिरपाल
की
मदद
से
एक
अस्थायी
ढांचा
खड़ा
किया,
जिसके
नीचे
किसी
तरह
चिता
को
जलाया
गया।
परिजन
और
ग्रामीण
बारिश
में
भीगते
हुए
अंतिम
संस्कार
में
शामिल
हुए।
ये
भी
पढ़ें:अमर
उजाला
संवाद
पहली
बार
मध्य
प्रदेश
में,
26
जून
को
भोपाल
में
जुटेंगी
हस्तियां
यह
नजारा
दतिया
जिले
के
भांडेर
ब्लॉक
की
अस्टोट
ग्राम
पंचायत
के
मुरिया
गांव
में
देखने
को
मिला।
आजादी
के
78
साल
बाद
भी
गांव
में
एक
भी
पक्का
मुक्तिधाम
नहीं
बन
पाया।
अगर,
बारिश
के
मौसम
में
किसी
की
मृत्यु
हो
जाती
है
तो
अंतिम
संस्कार
एक
बड़ी
चुनौती
बन
जाता
है।
ग्रामीणों
का
कहना
है
कि
वर्षों
से
शासन
से
मांग
की
जा
रही
है,
लेकिन
अब
तक
सिर्फ
आश्वासन
ही
मिले
हैं।
ये
भी
पढ़ें: अमर
उजाला
संवाद
इस
बार
मध्य
प्रदेश
में,
कार्यक्रम
में
शामिल
होने
के
लिए
रजिस्टर
करें
गांव
में
श्मशान
घाट
नहीं
होने
के
संबंध
में
जब
ग्राम
पंचायत
सचिव
से
बात
की
गई,
तो
उन्होंने
बताया
कि
मुक्तिधाम
का
एस्टीमेट
तैयार
किया
गया
है,
लेकिन
निर्माण
अब
तक
शुरू
नहीं
हो
सका
है।
यह
स्थिति
ना
सिर्फ
सरकारी
तंत्र
की
उदासीनता
को
उजागर
करती
है,
बल्कि
ग्रामीण
जनता
की
पीड़ा
और
उपेक्षा
का
भी
प्रमाण
है।