
320
फीट
ऊंचे
पहाड़
पर
है
भगवान
परशुराम
का
मंदिर।
–
फोटो
:
अमर
उजाला
विस्तार
दमोह
जिले
में
भगवान
परशुराम
का
एकमात्र
मंदिर
परशुराम
टेकरी
पर
है।
यहां
विराजमान
भगवान
परशुराम
मंदिर
में
आने
वाले
भक्तों
की
संतान
प्राप्ति
की
मनोकामना
पूर्ण
करते
हैं।
भगवान
की
प्रतिमा
320
फीट
ऊंचे
पहाड़
पर
बरिया
के
पेड़
के
नीचे
खुदाई
के
दौरान
सपना
देकर
निकली
थी।
भगवान
ने
बैजनाथ
श्रीवास्तव
किशुनगंज
वाले
दादा
को
12
साल
लगातार
स्वपन
दिया
था।
जिसके
बाद
उन्होंने
अपने
साथी
तुलसीराम
से
इस
बारे
में
चर्चा
की
और
जब
पॉलिटेक्निक
कॉलेज
के
बाजू
से
बने
इस
पहाड़
पर
खुदाई
की
और
बरिया
के
पेड़
को
हटाया
तो
वहां
भगवान
परशुराम
की
अद्भुत
प्रतिमा
निकली।
इसके
बाद
से
यह
स्थान
परशुराम
टेकरी
के
नाम
से
पहचाना
जाने
लगा,
जहां
दमोह
जिले
के
अलावा
कई
जिलों
से
श्रद्धालु
अपनी
मनोकामना
लेकर
आते
हैं।
मंदिर
निर्माण
रुकवाने
से
हुआ
था
विवाद
मंदिर
के
पुजारी
पंडित
कृष्ण
कुमार
गर्ग
ने
बताया
कि
साल
1981
में
बैजनाथ
श्रीवास्तव
के
द्वारा
इस
पहाड़
पर
खुदाई
करवाई
थी
और
बरिया
के
पेड़
के
नीचे
भगवान
परशुराम
की
प्रतिमा
निकली
थी।
12
साल
तक
लगातार
भगवान
परशुराम
उन्हें
स्वप्न
देते
रहे,
इसके
बाद
जब
उन्होंने
खुदाई
करवाई
तब
यह
प्रतिमा
बाहर
निकली।
इसके
बाद
यहां
पूजन
अर्चन
शुरू
हुआ
और
1
साल
के
बाद
1982
में
मंदिर
निर्माण
का
काम
प्रारंभ
किया
गया।
यह
पूरी
जगह
वन
विभाग
के
अंतर्गत
आती
है
इसलिए
उस
समय
तत्कालीन
डीएफओ
अली
साहब
के
द्वारा
मंदिर
निर्माण
कार्य
को
रुकवा
दिया
गया।
जैसे
ही
लोगों
को
इस
बात
की
जानकारी
लगी
कि
वन
विभाग
के
अधिकारी
ने
मंदिर
का
निर्माण
कार्य
रुकवा
दिया
है
तो
यहां
विवाद
के
हालात
बन
गए
थे।
उस
दौरान
तत्कालीन
कलेक्टर
ने
इस
विवाद
को
शांत
करवाया
और
48
घंटे
के
अंदर
यहां
मंदिर
निर्माण
कार्य
शुरू
करवाकर
लाइट
की
व्यवस्था
करवाई
गई।
पंडित
गर्ग
बताते
हैं
कि
भगवान
परशुराम
ने
सपने
में
दादा
बैजनाथ
श्रीवास्तव
को
यह
भी
बताया
था
कि
आपके
यहां
तो
कोई
संतान
नहीं
होगी,
लेकिन
इसके
बाद
जो
भी
व्यक्ति
अपनी
संतान
की
मनोकामना
लेकर
मंदिर
आएगा
उसकी
झोली
जरूर
भर
जाएगी।
आज
तक
यहां
से
कोई
भी
महिला
खाली
हाथ
नहीं
लौटी।
मंगलवार
और
शनिवार
को
यहां
विशेष
रूप
से
भगवान
का
पूजन
करने
के
लिए
लोग
आते
हैं
और
अपनी
मनोकामना
भगवान
परशुराम
से
मांगते
हैं।
सैकड़ों
लोगों
के
यहां
संतान
की
प्राप्ति
हुई
है,
इस
बात
का
दावा
भी
मंदिर
के
पुजारी
गर्ग
करते
हैं।
उन्होंने
बताया
कि
जिले
में
भगवान
परशुराम
का
कहीं
भी
दूसरा
मंदिर
नहीं
है।
पॉलिटेक्निक
कॉलेज
के
पास
से
जमीन
से
320
फीट
की
ऊंचाई
पर
पहाड़
पर
यह
मंदिर
है,
जिसे
परशुराम
टेकरी
के
नाम
से
जाना
जाता
है।
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अक्षय
तृतीया
के
दिन
निकली
थी
प्रतिमा
मंदिर
पुजारी
गर्ग
ने
बताया
कि
अप्रैल
महीने
में
अक्षय
तृतीया
के
दिन
भगवान
परशुराम
का
जन्म
उत्सव
मनाया
जाता
है
उसी
दिन
यह
प्रतिमा
बरिया
के
पेड़
के
नीचे
से
खुदाई
के
दौरान
मिली
थी।
यहां
हजारों
की
संख्या
में
ब्राह्मण
समाज
के
लोग
भगवान
परशुराम
का
पूजन
करने
अक्षय
तृतीया
के
दिन
आते
हैं।
पहले
यह
पूरा
क्षेत्र
जंगली
एरिया
हुआ
करता
था,
इसलिए
लोग
बहुत
कम
ही
मंदिर
तक
आ
पाते
थे।
लेकिन,
धीरे-धीरे
विकास
कार्य
हुआ
और
आज
स्थिति
यह
है
कि
यह
मंदिर
शहर
के
बीचो-बीच
स्थित
है।
जंगल
तो
अब
यहां
कहीं
नहीं
दिखाई
देते,
चारों
ओर
वन
विभाग
की
भूमि
पड़ी
है
जहां
लोग
अपना
निवास
बनाकर
रह
रहे
हैं।
आज
भगवान
परशुराम
का
जन्म
उत्सव
मंदिर
में
बहुत
ही
धूमधाम
के
साथ
मनाया
जाएगा।
जिले
में
एकमात्र
मंदिर
होने
की
वजह
से
हजारों
की
संख्या
में
यहां
पर
विप्र
समाज
के
लोग
हवन,
पूजन
करने
आते
हैं
और
इसके
बाद
एक
भव्य
शोभायात्रा
पूरे
शहर
में
निकाली
जाती
है।