
तालाब
में
पत्थर
पर
बैठा
मगरमच्छ
विस्तार
इस
भीषण
गर्मी
में
इंसानों
के
साथ
जंगली
जानवर
भी
काफी
परेशान
हैं।
वहीं
प्रदेश
के
सबसे
बड़े
नौरादेही
अभयारण्य
में
यहां
से
निकली
दो
नदियां
बाघों
और
अन्य
जंगली
जानवरों
को
राहत
दे
रही
है।
नदियों
के
अलावा
यहां
एक
बड़ा
तालाब
भी
है,
जहां
जानवर
अधिकांश
समय
रहकर
गर्मियों
से
राहत
पाते
हैं।
नौरादेही
वर्तमान
में
रानी
दुर्गावती
टाइगर
रिजर्व
का
हिस्सा
है।
हालांकि,
अभी
यहां
टाइगर
रिजर्व
के
नियम
लागू
नही
हैं।
जानवरों
की
भरमार
होती
जा
रही
है।
इस
वजह
से
दूरृदराज
से
आने
वाले
सैलानी
कम
खर्च
में
वही
आनंद
उठाते
हैं
जो
उन्हें
बड़े
पार्क
या
टाइगर
रिजर्व
मे
मिलते
हैं।
नौरादेही
अभयारण्य
में
बाघों
के
अलावा
सांभर,
भालू,
भेड़िया,
चीतल,
बंदर,
नीलगाय,
तेंदुआ
के
आलावा
कई
तरह
के
जानवर
हैं
जो
सैलानियों
को
आसानी
से
भ्रमण
के
दौरान
दिख
जाते
हैं।
सैकड़ों
प्रजाति
के
पक्षी
हैं,
जिनकी
चहल-पहल
से
यह
अभयारण्य
गुलजार
होता
है।
कभी
बाघों
की
दहाड
तो
कभी
पक्षियों
की
आवाज
अलग
ही
अनुभूति
प्रदान
करता
रहता
है।
बारह
महीने
रहता
है
पानी
नौरादेही
से
निकलने
वाली
नदियों
में
बारह
महीने
पानी
रहता
है।
गर्मियों
के
दिनों
में
तालाब
और
नदियों
के
अलग,
अलग
ठिकानों
पर
जानवरों
का
बसेरा
बना
हुआ
है।
नोरादेही
अभ्यारण
से
व्यारमा
और
बामनदेही
नदी
निकली
है।
इसके
अलावा
एक
छेवला
तालाब
है
जो
यहां
रहने
बाले
जानवरों
के
लिए
पानी
की
पूर्ति
करता
है।
व्यारमा
और
बमनदेही
नदी
नोरादेही
के
जंगलों
से
ही
निकलने
वाली
नदियां
हैं।
गर्मियों
में
बाघ
हो
या
चीतल
सभी
का
ठिकाना,
यह
नदियां
और
उनके
किनारे
हैं।
छेबला
तालाब
पर
शाकाहारी
जानवर
और
मगरमच्छ
का
रहवास
बना
हुआ
है,
जो
शाम
के
समय
तालाब
के
पत्थरो
पर
आकर
बैठे
दिखाई
देते
है।
बाघ-बाघिन
भी
इन्ही
नदियों
के
पास
अपना
बसेरा
बनाए
हुए
हैं।
कुछ
समय
पहले
बमनदेही
नदियों
के
पास
बाघों
का
वीडियो
भी
सामने
आया
था।
विज्ञापन
पर्यटकों
को
आकर्षित
करती
है
नदियां
वीरांगना
रानी
दुर्गावती
टाइगर
रिजर्व
के
डिप्टी
डायरेक्टर
अब्दुल
अंसारी
ने
बताया
कि
नौरादेही
मे
छेवला
जलाशय
और
जगरासी
तालाब
के
अलावा
व्यारमा
और
बामनेर
नदियों
में
सालभर
पानी
रहता
है
जो
पर्यटकों
के
लिए
विशेष
आकर्षण
बनी
हुई
हैं।
निश्चित
तौर
पर
लोगों
में उत्साह
रहता
है
कि
हम
टाइगर
रिजर्व
घूमने
जा
रहे
हैं।
नौरादेही
प्रबंधन
और
पर्यटकों
दोनों
में
उत्साह
है।
सड़कों
की
मरम्मत
करा
ली
है
जो
सफारी
के
लिए
जिप्सी
रजिस्टर्ड
हैं,
वह
पूरी
क्षमता
के
साथ
चल
रही
हैं।
धीरे-धीरे
पर्यटन
को
बढ़ावा
मिलेगा।
इस
बार
पर्यटकों
को
बढ़ावा
देने
के
लिए
घूमने
की
फीस
कम
कर
दी
गई
है।
हमारी
कोशिश
है
कि
यहां
पर्यटन
बढे़
और
पर्यटन
बढ़ने
से
इस
इलाके
का
विकास
होगा।