श्री
हनुमान
स्वरूप
में
बाबा
महाकाल।
–
फोटो
:
अमर
उजाला
विस्तार
महाकालेश्वर
मंदिर
में
आज
सोमवार
को
हनुमान
अष्टमी
पर
सुबह
हुई
भस्मारती
के
दौरान
बाबा
महाकाल
का
श्री
हनुमान
के
स्वरूप
में
आकर्षक
शृंगार
किया
गया।
भस्म
आरती
में
जय
श्री
महाकाल
के
साथ
जय
हनुमान
की
गूंज
भी
गुंजायमान
हुई।
जिसने
भी
इन
दिव्य
दर्शनों
का
लाभ
लिया
वह
देखता
ही
रह
गया।
भक्तों
को
दर्शन
देने
के
लिए
बाबा
महाकाल
सुबह
4
बजे
जागे।
उसके
बाद
बाबा
महाकाल
की
भस्म
आरती
धूमधाम
से
की
गई।
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विश्व
प्रसिद्ध
श्री
महाकालेश्वर
मंदिर
के
पुजारी
पंडित
महेश
शर्मा
ने
बताया
कि
पौष
माह
कृष्ण
पक्ष
की
अष्टमी
तिथि
सोमवार
पर
आज
बाबा
महाकाल
सुबह
4
बजे
जागे।
भगवान
वीरभद्र
और
मानभद्र
की
आज्ञा
लेकर
मंदिर
के
पट
खोले
गए।
जिसके
बाद
सबसे
पहले
भगवान
को
गर्म
जल
से
स्नान,
पंचामृत
अभिषेक
करवाने
के
साथ
ही
केसर
युक्त
जल
अर्पित
किया
गया।
आज
बाबा
महाकाल
श्री
हनुमान
के
रूप
से
शृंगारित
हुए।
उसके
बाद
फिर
पूजन
अर्चन
के
बाद
बाबा
महाकाल
को
महानिर्वाणी
अखाड़े
के
द्वारा
भस्म
रमाई
गई।
भस्म
आरती
के
दौरान
बाबा
महाकाल
का
ऐसा
शृंगार
देख
सभी
अभिभूत
हो
गए।
बाबा
महाकाल
के
इस
आलौकिक
स्वरूप
को
सभी
ने
निहारा।
श्रद्धालुओं
ने
इस
दौरान
बाबा
महाकाल
के
निराकार
से
साकार
होने
के
स्वरूप
का
दर्शन
कर
जय
श्री
महाकाल
जय
हनुमान
का
उद्घोष
भी
किया।
विज्ञापन
केवल
उज्जैन
में
मनाया
जाता
है
हनुमान
अष्टमी
का
पर्व
हनुमान
अष्टमी
पर्व
आज
सोमवार
को
धूमधाम
के
साथ
मनाया
जा
रहा
है।
महाकाल
की
नगरी
में
बाबा
हनुमानजी
महाराज
का
डंका
गूंज
रहा
है।
शहर
की
चारों
दिशाओं
की
रक्षा
करने
के
लिए
हनुमान
मंदिरों
की
स्थापना
हुई
थी।
इसलिए
यहां
108
हनुमान
मंदिर
हैं।
स्कंदपुराण
के
अवंतिका
खंड
में
उल्लेख
भी
मिलता
है,
यही
वजह
है
कि
हनुमान
अष्टमी
का
पर्व
केवल
उज्जैन
में
मनाए
जाने
की
परंपरा
रही
है।
ज्योतिषाचार्य
पं.
अमर
डब्बावाला
के
अनुसार
पौष
मास
में
कृष्ण
पक्ष
की
अष्टमी
को
हनुमान
अष्टमी
के
रूप
में
मनाया
जाता
है।
महाकाल
की
नगरी
में
रूद्र
स्वरूप
में
भगवान
हनुमान
भी
विराजमान
हैं।
मलमास
के
साथ
यह
महीना
धनु
संक्रांति
का
भी
माना
गया
है,
साथ
ही
सूर्य
की
साधना
भी
इस
महीने
में
करने
का
विशेष
महत्व
है।
इसी
महीने
में
संयोग
से
हनुमान
अष्टमी
भी
आती
है।
यहां
पर
108
हनुमान
यात्रा
का
विधान
है,
जो
शक्ति
का
अंश
मानकर
की
जाती
है।
इससे
मानसिक,
शारीरिक
कष्ट
दूर
होते
हैं।
इस
माह
में
ऋतु
के
परिवर्तन
का
विधान
भी
बताया
जाता
है।
इसमें
सूर्य
और
हनुमानजी
की
आराधना
करने
से
लाभ
मिलता
है।
अवंतिका
में
हनुमानजी
की
चैतन्य
मूर्तियों
के
अनेक
स्थान
हैं।
हनुमंतकेश्वर
84
महादेवों
में
शामिल
हैं।