
विस्तार
विक्रम
विश्वविद्यालय
के
28वें
दीक्षांत
समारोह
में
विभिन्न
विषयों
पर
उपाधि
लेने
वाले
विद्यार्थियों
के
बीच
ही
ग्रामीण
क्षेत्र
की
एक
युवा
शोधार्थी
ने
पारंपरिक
से
लेकर
आधुनिक
समय
तक
स्त्री-पुरुष
के
शृंगार
प्रसाधन,
उनकी
संस्कृति
और
साहित्यिक
अभिव्यक्ति
पर
शोध
किया
है।
यह
इस
विषय
पर देश
की
पहली
पीएचडी
उपाधि
प्राप्त
की
है।
मूलत:
मनिहार
कला
व्यवसाय
से
जुड़ी
डॉ
सलमा
शाइन
मनिहार
ने
स्त्री-पुरुष
के
शृंगार
प्रसाधन,
उनकी
संस्कृति
और
साहित्यिक
अभिव्यक्ति
पर
शोध
कर
देश
की
पहली
पीएचडी
उपाधि
प्राप्त
की
है।
उन्होंने
बताया
कि
वे
जिले
की
तराना
तहसील
में
निवास
कर
पारिवारिक
व्यवसाय
चूड़ी
बनाने
और
विक्रय
के
कार्य
से
जुड़ी
है।
लाख,
कांच,
ब्रास
आदि
की
चूडिय़ों
के
निर्माण
और
व्यवसाय
में
मनिहार
कला
का
उपयोग
किया
जाता
है।
लाख
की
चूडिय़ों
पर
नग,
कांच
आदि
चढ़ाते
हुए
उन्हें
आकर्षक
रूप
दिया
जाता
है।
परिवार
में
मनिहार
कला
का
काम
पुरानी
पीढ़ी
से
किया
जाता
है।
वे
बचपन
से
ही
इस
कला
में
निपुण
थी।
डॉ.
सलमा
शाइन
ने
हिन्दी
साहित्य
में
एमए
का
पाठ्यक्रम
करने
के
दौरान
ही
प्रो.
शैलेंद्र
कुमार
शर्मा
के
निर्देशन
में
चूडिय़ों
पर
किए
जाने
वाले
मनिहार
कला
पर
रिसर्च
पेपर
लिखा
था।
जिसके
अंतर्गत
स्त्री-पुरुष
के
श्रृंगार
और
मनिहार
कला
का
उल्लेख
किया
गया
था।
इस
रिसर्च
पेपर
को
सराहना
मिली।
प्रो
शैलेंद्र
कुमार
शर्मा
ने
उन्हें
इस
कार्य
को
विस्तार
देते
हुए
और
आगे
बढ़ाने
के
लिए
प्रेरित
किया।
डॉ
सलमा
शाईन
ने
बताया
कि
चार
वर्ष
में
पीएचडी
पूर्ण
की
है।
इसमें
महिलाओं
के
पारंपरिक
से
लेकर
आधुनिक
समय
तक
के
आभूषण
वस्त्र,रूप
सौन्दर्य
और
रूप
श्रृंगार
सहित
पुरुषों
के
आभूषण
घड़ी,
चेन,
अंगूठी,
वस्त्र
रूप
सौन्दर्य
को
शामिल
किया
गया।
इसमें
यह
भी
बताया
गया
की
कैसे
शृंगार
समय
के
साथ
बदलता
गया
और
आधुनिक
समय
में
किस
तरह
का
शृंगार
किया
जाता
है।।
प्रो.
प्रज्ञा
थापक
और
प्रो.
शर्मा
के
निर्देशन
में
स्त्री-पुरुष
के
पारंपरिक
शृंगार-प्रसाधन
पर
मालवी
लोक
साहित्य
एवं
संस्कृति
के
साथ
अनुशीलन
करते
हुए
शोध
कार्य
प्रारंभ
किया।
इसके
लिए
पारंपरिक
से
लेकर
आधुनिक
समय
तक
स्त्री-पुरुषों
द्वारा
किए
जाने
वाले
शृंंगार
को
केंद्रित
रखते
हुए
प्राचीन
समय
से
प्रयुक्त
होने
वाली
श्रृंगार
सामग्री,
वस्त्र,
आभूषण
पर
पांच
वर्ष
के
दौरान
शोध
कार्य
पूर्ण
किया।
उन्होंने
स्थान
स्थान
पर
जाकर
फोटोग्राफ
लिए
और
लोक
समुदाय
से
साक्षात्कार,
वाचिक
साहित्य,
संस्कृति
का
सर्वेक्षण
एवं
विवेचन
किया।
जानिए
क्या
है
मनिहार
कला
प्रो.
शैलेंद्र
कुमार
शर्मा
ने
बताया
कि
मनिहार
कला
चूडिय़ों,
पाटले,
बाजूबंद
और
कंठहार
आदि
पर
होने
वाली
एक
विशेष
प्रकार
की
कला
को
कहा
जाता
है।
चूडिय़ां
महिलाओं
के
श्रृंगार
प्रसाधन
में
उपयोग
में
आती
है,
इसीलिए
श्रृंगार
प्रसाधन
पर
केंद्रित
करते
हुए
शोध
कार्य
शुरू
कराया
गया।
स्त्री-पुरुष
के
श्रृंगार
पर
केंद्रित
शोध
कार्य
संभवत:
देश
का
पहला
शोध
कार्य
है।
श्रंगार
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श्रंगार
शृंगार