इन
दिनों
जिले
का
वन
अमला
मीडिया
की
सुर्खियां
बटोर
रहा
है। हर
रोज
वन
विभाग
के
मैदानी
अधिकारियों
के
खिलाफ
शिकवा
शिकायतें
हो
रही
हैं,
जिस
पर
नाम
मात्र
की
भी
कार्रवाई नहीं
हो
रही
है।
चंदिया
रेंज
के
कर्मचारियों
द्वारा
की
गई
गाली-गलौज
की
शिकायत
पर
एक्शन
हुआ
नहीं
कि
उसी
रेंज
की
एक
और
शिकायत
कलेक्टर
के
पास
पहुंची
है। जहां
5
दिनों
से
भूखे
प्यासे
बच्चों
के
साथ
कलेक्ट्रेट
परिसर
में
बैठे
मजदूरों
की
मजदूरी
वन
विभाग
नहीं
दे
रहा
है,
जिससे
वह
परेशान
हैं
और
खाने
के
लाले
पड़े
हुए
हैं।
मामला
है
वन
विभाग
के
चंदिया
रेंज
क्षेत्र
के
घोघरी
ग्राम
का,
जहां
पौधे
लगाने
के
लिए
गड्डे
कराए गये
और
लेंटाना
की
भी
कटाई
कराई
गई। परंतु
अब
पैसा
देने
की
बारी
आई
तो
वन
विभाग
ने
हाथ
खड़े
कर
दिये,
इतना
ही
नहीं
शराब
के
नशे
में
धुत होकर
बीट
गार्ड
राजेश
नामक
कर्मी
मां
बहन
की
गाली
देकर
अपमानित
करता
है। वहीं,
चंदिया
रेंजर
का
कहना
है
कि
तुम
लोगों
को
जहां
जाना
है
वहां
शिकायत
करो,
वन
विभाग
के
इस
तानाशाह
रवैये
से
परेशान
होकर
मजदूर
अपने
छोटे
बच्चों
के
साथ
5
दिनों
से
अधिकारियों
के
दफ्तरों
के
चक्कर
काट
रहे
हैं।
मगर
उन्हें
यह
आश्वस्त
करने
वाला
कोई
नहीं
मिला
कि
अब
आप
लोगों
की
मजदूरी
मिल
जायेगी।
हालांकि
इस
मामले
में
विभाग
के
एसडीओ
ने
मजदूरी
दिलाने
की
सफाई
दी
है।
वहीं
शहडोल
जिले
के
व्यौहारी
से
काम
करने
आये
मजदूर
महेन्द्र
ने
बताया
कि
हमको
काम
करने
के
लिए
बीट
गार्ड
और
डिप्टी
रेंजर
साहब
ने
बुलाया
था।
हम
लोग
घोघरी
में
काम
किए
हैं।
13
दिन
हम
32
लोग
लेंटाना
की
सफाई
का
काम
किये
हैं
और
7235
गड्ढे
भी
खोदे
हैं।
अब
उसमें
भुगतान
मांगने
में
गाली
गलौज
करते
हैं।
कहते
हैं
कि
रातों-रात
हम
तुम
लोगों
को
गायब
कर
देंगे।
कहीं
पता
नहीं
चलेगा।
गंदी
गंदी
गालियां
देते
हैं।
महिलाओं
को
भी
गालियां
देते
हैं।
कहते
हैं
हम
आते
हैं
तो
बताते
हैं
तुम
लोगों
को
इस
तरह
की
बातें
कालीचरण
डिप्टी
साहब
कहते
हैं।
हम
लोग
चाहते
हैं
कि
जैसा
हमने
काम
किया
है,
प्रेम
से
हमारा
भुगतान
कर
दिया
जाए।
काम
शुरू
करवाने
से
पहले
हम
लोगों
से
बोले
थे
कि
नकद
कैश
हम
देंगे।
खाता
वगैरह
लगता
है
तो
वह
हम
बाद
में
देख
लेंगे।
अब
यहां
आने
पर
रहते
हैं
कि
तुम
हमको
खाता
दो,
जबकि
नकद
कैश
में
बात
हुई
थी
हम
लोगों
को
300
रुपये
रोज
लेंटना
उखाड़ने
का
पैसा
तय
हुआ
था
जिसमें
हम
32
लोग
13
दिन
काम
किए
हैं
और
गड्डों
के
लिए
बोले
थे
जो
शासन
के
रेट
होंगे
उस
हिसाब
से
गड्ढे
का
पैसा
दिया
जाएगा,
पैसा
नगद
देने
के
लिए
डिप्टी
साहब
और
बीट
गार्ड
राजेश
यादव
हमसे
बोले
थे।
वहीं
महिला
मजदूर
नीशू
बताई
कि
हम
लोग
कलेक्टर
कार्यालय
में
बैठे
हैं
तीन-चार
दिन
से
हमारे
बच्चे
भूखे
हैं
हम
लोगों
का
पेमेंट
नहीं
हुआ
गाली
देकर
भगा
रहे
हैं
इसलिए
मजबूर
होकर
के
यहां
पड़े
हुए
हैं
इसीलिए
हम
लोग
छोटे-छोटे
बच्चे
लेकर
के
यहां
पड़े
हुए
हैं
अब
हम
कहां
जाएं
हम
लोग
घोघरी
में
काम
किए
थे
बीट
गार्ड
राजेश
यादव
ऐसा
कहकर
हम
लोग
को
भगा
रहे
हैं।
वहीं
विनोद
ने
बताया
कि
हम
लोग
घोघरी
में
पौधा
प्लांटेशन
के
लिए
गड्ढे
वगैरह
का
काम
किए
हैं
लेंटाना
उखाड़े
हैं
अब
हम
लोगों
को
मजदूरी
नहीं
दे
रहे
हैं
गाली
गलौज
कर
रहे
हैं
और
बीट
गार्ड
भगा
रहे
हैं
जब
हम
लोगों
ने
रेंजर
साहब
से
बात
किया
तो
रेंजर
साहब
ने
भी
कहा
कि
जाओ
यहां
से
भाग
जाओ
तुमको
जो
करना
होगा
कर
लो,
4
दिन
से
हम
लोग
कुछ
नहीं
खाए
हैं
अभी
वहां
हम
लोग
रोड
के
किनारे
बैठे
थे
तो
वहां
से
भी
हमको
भगा
दिया
गया।
वहीं
इस
मामले
में
वन
विभाग
के
एसडीओ
कुलदीप
त्रिपाठी
ने
बताया
कि
अभी
हम
यहां
मीटिंग
में
आए
थे
तब
हमको
मालूम
हुआ
हमने
उनसे
चर्चा
किया
तो
उन्होंने
कहा
कि
हमारा
पेमेंट
नहीं
हुआ
इसलिए
हम
यहां
आए
हैं
मगर
मजदूरों
का
कहना
है
कि
हमको
नगद
पेमेंट
चाहिए
और
आजकल
शासन
के
नियमानुसार
नगद
पेमेंट
कहीं
नहीं
होता
है
यह
लोग
खाता
नंबर
उपलब्ध
नहीं
करवा
पा
रहे
हैं
अभी
इनका
एक
टीम
लीडर
था
जो
की
आया
हुआ
था,
यह
सभी
लोनी
लोग
हैं
और
इनका
हमेशा
यही
पैटर्न
रहा
है
यदि
ये
खाता
उपलब्ध
करा
देंगे
तो
हम
एक-दो
दिन
में
इनका
पेमेंट
करवा
देंगे,
वही
जब
पूछा
गया
कि
उनके
साथ
अभद्रता
की
गई
है
तो
इसको
निराधार
बताया
लोनी
समुदाय
हर
वर्ष
गड्डों
की
शिकायत
करते
है
इनका
यही
पैटर्न
है
यह
सभी
लोनी
समुदाय
के
हैं
और
हर
वर्ष
आते
हैं
गड्डों
का
काम
करते
हैं
और
इनका
यही
पैटर्न
है
आप
अन्य
जिलों
में
भी
पता
कर
लीजिए
यह
बस
यही
शिकायत
करते
हैं
वही
जब
पूछा
गया
कि
आए
आप
एक
समुदाय
विशेष
को
बदमाश
कह
रहे
हैं
तब
बोले
नहीं
यह
लोनी
लोग
हैं,
सभी
नहीं
कुछ
लोग
ऐसा
करते
हैं
यह
हमेशा
यही
करते
हैं।
गौरतलब
है
कि
मजदूरों
को
जब
नगद
भुगतान
करने
की
बात
कह
कर
बुलाया
जाता
है
तो
वन
विभाग
कहीं
से
भी
व्यवस्था
कर
इनको
नगद
मजदूरी
दे
और
वही
राजपत्रित
पद
पर
रहते
हुए
एक
एसडीओ
द्वारा
एक
समाज
विशेष
को
बदमाश
कहना
गले
से
नहीं
उतर
रहा
है
यदि
उनके
पास
नगद
काम
करवाने
की
व्यवस्था
नहीं
है
तो
इनको
पहले
ही
बताना
चाहिए
कि
आपका
भुगतान
हम
आपके
अकाउंट
में
करेंगे
यदि
ऐसी
स्थिति
में
मजदूर
मंजूर
करते
तो
उनसे
काम
करवाया
जाता
और
नहीं
तो
इनका
भुगतान
किसी
भी
तरह
से
किया
जाए
आज
छोटे-छोटे
बच्चों
को
लेकर
के
यह
खुले
आसमान
के
नीचे
पड़े
हुए
हैं
हालांकि
रात
में
एसडीएम
बांधवगढ़
ने
इनको
रैन
बसेरा
में
रहने
की
व्यवस्था
करवाई
थी
मगर
फिर
भी
वन
विभाग
का
यह
तानाशाही
रवैया
समझ
से
परे
है।